Hindi Newsदेश न्यूज़Consensual sex with a minor wife will also be considered rape Bombay HC sentences husband to 10 years in prison

नाबालिग पत्नी से सहमति से सेक्स भी माना जाएगा रेप; बॉम्बे HC ने पति को सुनाई 10 साल की सजा

  • इस मामले में हाई कोर्ट ने नाबालिग के अधिकारों की रक्षा करते हुए कड़ा रुख अपनाया। अदालत ने माना कि 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ सहमति से भी यौन संबंध बनाना बलात्कार की श्रेणी में आता है।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानSat, 30 Nov 2024 06:35 AM
share Share

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने हाल ही में अपने एक अहम फैसले में कहा कि 18 वर्ष से कम उम्र की पत्नी के साथ सहमति से भी शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार की श्रेणी में आता है। अदालत ने निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें दोषी को 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। न्यायमूर्ति गोविंदा सनप ने यह फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत वैवाहिक बलात्कार के अपवाद नाबालिगों पर लागू नहीं होते। उन्होंने कहा, "18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ शारीरिक संबंध वैवाहिक स्थिति की परवाह किए बिना बलात्कार है।"

यह मामला 2019 का है और इसमें पीड़िता एक नाबालिग लड़की थी। वह वारधा जिले की रहने वाली थी और तीन-चार वर्षों से आरोपी के संपर्क में थी। शुरुआत में उसने आरोपी की हरकतों को लगातार नकार दिया। लेकिन आर्थिक तंगी के कारण जब वह काम की तलाश में दूसरे शहर चली गई, तो आरोपी ने उसका पीछा किया। आरोपी ने उसे उसके काम के स्थान तक ले जाने और वापस छोड़ने के बहाने से उसका भरोसा जीता। इसके बाद उसने शादी का झूठा वादा कर पीड़िता को शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया। इस रिश्ते के चलते पीड़िता गर्भवती हो गई।

आरोपी ने जल्दबाजी में एक किराए के कमरे में कुछ पड़ोसियों की उपस्थिति में एक अनौपचारिक शादी की रस्म आयोजित की। बाद में पीड़िता ने इस शादी को कानूनी रूप से अमान्य और औपचारिकताओं से रहित बताया। गर्भवती होने के बाद आरोपी ने पीड़िता पर गर्भपात का दबाव बनाया। उसने बच्चे की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया और यहां तक कि पीड़िता पर बेवफाई का आरोप लगाया। आखिरकार न्याय की तलाश में पीड़िता ने वारधा पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज हुआ।

इस मामले में हाई कोर्ट ने नाबालिग के अधिकारों की रक्षा करते हुए कड़ा रुख अपनाया। अदालत ने माना कि 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ सहमति से भी यौन संबंध बनाना बलात्कार की श्रेणी में आता है। दोषी को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। निचली अदालत ने भी यह सजा सुनाई थी।

यह फैसला एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि बालिकाओं के अधिकारों और सुरक्षा के लिए कानून किसी भी प्रकार की वैवाहिक या सामाजिक परिस्थितियों को बलात्कार का बचाव नहीं बनने देगा। यह फैसला न केवल न्याय सुनिश्चित करता है, बल्कि समाज में जागरूकता भी फैलाता है कि नाबालिगों के साथ यौन शोषण किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें