
लद्दाख में युवाओं का आंदोलन हुआ हिंसक, पत्थरबाजी के बाद BJP दफ्तर फूंका; सड़कों पर क्यों उतरे लोग?
संक्षेप: प्रदर्शनकारियों की 4 मांगें हैं। पहली लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। दूसरी, लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए। तीसरी, लद्दाख में लोकसभा सीटें बढ़ाकर दो की जाएं और चौथी लद्दाख की जनजातियों को ST का दर्जा दिया जाए।
Ladakh Statehood Protest: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की राजधानी लेह में छात्रों और युवाओं का प्रदर्शन बुधवार को तब हिंसक रूप ले लिया, जब प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के दफ्तर पर पत्थरबाजी करने के बाद उस पर हमला बोल दिया और वहां आग लगा दी। आंदोलनकारी युवाओं को काबू में करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले भी दागे। इससे लोग और उग्र हो गए और पत्थरबाजी करने लगे। पुलिस कार्रवाई से भड़के प्रदर्शनकारी छात्रों ने पुलिस वैन को भी आग के हवाले कर दिया। पुलिस ने उग्र छात्रों पर लाठीचार्ज भी किया है।
एक अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने लेह में भाजपा कार्यालय के बाहर एक सुरक्षा वाहन को आग लगा दी। उन्होंने बताया कि व्यवस्था बहाल करने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया गया है। छात्रों का यह विरोध प्रदर्शन लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग के समर्थन में है। इसी मांग को लेकर मशहूर पर्यावरणविद सोनम वांगुचक पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं। उन्हीं के समर्थन में छात्रों का बड़ा हुजूम लेह की सड़कों पर उतर आया और केंद्र सरकार से लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग करने लगा।
पुलिस और प्रदर्शनकारियों में भिड़ंत
इसी दौरान प्रदर्शनकारी छात्रों की पुलिस से भिड़ंत हो गई और देखते ही देखते प्रदर्शन हिंसक रूप अध्तियार कर लिया। प्रदर्शनकारी छात्रों ने पुलिस पर पत्थरबाजी की फिर सीआरपीएफ की गाड़ियां फूंक दी। भाजपा दफ्तर को भी आग के हवाले कर दिया। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। हालात को देखते हुए अतिरिक्त बल की तैनाती की गई है।
15 दिनों से सोनम वांगचुक भूख हड़ताल पर
बता दें कि बुधवार को स्थानीय लोगों ने सोनम वांगचुक के समर्थन में लद्दाख बंद का आह्वान किया था। इसके बाद सैकड़ों लोग लेह की सड़कों पर उतर आए थे। जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और उनके कई साथी 10 सितंबर से 35 दिनों की भूख हड़ताल पर बैठे हैं। हालांकि, केंद्र सरकार ने 6 अक्टूबर को लद्दाख के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए बुलाया है। इसमें लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के सदस्य शामिल हैं।
प्रदर्शनकारियों की चार मांगें क्या?
प्रदर्शनकारियों की चार मांगें हैं। पहली लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। दूसरी, लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए। तीसरी, लद्दाख में लोकसभा सीटें बढ़ाकर दो की जाएं और चौथी लद्दाख की जनजातियों को आदिवासी का दर्जा दिया जाए। छात्रों ने इन मांगों के समर्थन में रैली भी निकाली है। बता दें कि 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 निरस्त करते हुए केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया था। जम्मू-कश्मीर को एक केंद्र शासित प्रदेश जबकि लेह, लद्दाख और करगिल को मिलाकर एक प्रदेश बनाया गया था। अब उसी लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग उठ रही है।





