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कोर्ट में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर बड़ी बात बोल गए डीवाई चंद्रचूड़, किस बात को लेकर किया आगाह

  • चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया, 'ई-कोर्ट का फेज 3 शुरू हो रहा है। केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को करीब 7,000 करोड़ रुपये दिए हैं। मुझे लगता है कि इंफॉर्मेशन स्ट्रक्चर को यह फिर से तैयार करेगा।'

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानSat, 10 Aug 2024 09:55 AM
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चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को टेक्नोलॉजी पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करने का साधन होनी चाहिए। कोर्ट्स में तकनीक के इस्तेमाल पर राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के दौरान सीजेआई ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने इस सम्मेलन को अद्वितीय बताया, जिसे एआई समेत टेक्नोलॉजी के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट की ओर से आयोजित किया गया था। उन्होंने कहा, 'देश भर से जज यहां पर आए हुए हैं। मुझे लगता है कि संदेश देने के लिहाज से यह बहुत अहम पहल है। आम नागरिकों तक न्याय सुनिश्चित करने के लिए तकनीक को 'न्याय सबके द्वार' सुनिश्चित करने का साधन होना चाहिए।'

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया, 'ई-कोर्ट का फेज 3 शुरू हो रहा है। केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को करीब 7,000 करोड़ रुपये दिए हैं। मुझे लगता है कि इंफॉर्मेशन स्ट्रक्चर को यह फिर से तैयार करेगा।' इस दौरान उन्होंने वकील से जज बनने के अपने सफर के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, 'साल 1998 में मुझे बॉम्बे हाई कोर्ट में जस्टिस बनने के लिए आमंत्रण मिला। इसे लेकर मैंने कई एक्सपर्ट्स से सलाह ली कि क्या मुझे यह पद लेना चाहिए या नहीं? जिन लोगों से मैंने संपर्क किया उनमें जस्टिस एपी सेन शामिल हैं। उन्होंने मुझे अपने नागपुर निवास पर बुलाया।'

तीन नए आपराधिक कानूनों पर क्या बोले CJI

सीजीआई ने आगे बताया, 'जस्टिस सेन ने कहा कि न्यायाधीश और वकील के बीच एक अंतर होता है। जज रेत पर अपने पदचिह्न छोड़ता है और वे पदचिह्न आपकी ओर से गढ़े गए शब्द हैं। मगर, वकील अपनी दलीलों में कितने भी प्रतिभाशाली क्यों न हों... वे भविष्य की पीढ़ियों के लिए खो जाते हैं।' मुख्य न्यायधीश से इस दौरान तीन नए आपराधिक कानूनों के बारे में सवाल पूछा गया। इसे लेकर चंद्रचूड़ ने कहा कि उनके लिए उन पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा, क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। उन्होंने कहा, 'इन कानूनों के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है, इसलिए मेरे लिए इस बारे में कुछ भी कहना सही नहीं होगा।'

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