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हिमंत बिस्वा सरमा के 'विभाजनकारी' बयान पर संज्ञान लें CJI चंद्रचूड़, आखिर किसने कर डाली मांग

  • मदनी ने प्रधान न्यायाधीश न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक लिखित पत्र भी भेजा है जिसमें असम के मुख्यमंत्री के लगातार असंवैधानिक बयानों की सूची संलग्न है।

हिमंत बिस्वा सरमा के 'विभाजनकारी' बयान पर संज्ञान लें CJI चंद्रचूड़, आखिर किसने कर डाली मांग
Madan Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 31 Aug 2024 03:59 PM
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प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलमेमा-ए-हिंद ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के 'मियां मुस्लिम' संबंधी बयान की निंदा करते हुए शनिवार को कहा कि प्रधान न्यायाधीश (CJI) न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ को इस विभाजनकारी एवं संविधान विरोधी टिप्पणी का स्वत: संज्ञान लेना चाहिए। सरमा ने बीते मंगलवार को राज्य विधानसभा में कहा था कि वह पक्षपात करेंगे और 'मियां मुस्लिमों' को असम में कब्जा नहीं करने देंगे।

असम के मुख्यमंत्री सरमा नगांव में 14 साल की एक बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म और उसकी हत्या की घटना की पृष्ठभूमि में राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर विपक्षी दलों के कार्य स्थगन प्रस्ताव के संबंध में विधानसभा में बोल रहे थे। जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने एक बयान में कहा, ''मुख्यमंत्री का बयान न केवल अनुचित हैं, बल्कि संवैधानिक और नैतिक सिद्धांतों के साथ धोखेबाजी हैं।''

मदनी ने प्रधान न्यायाधीश न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक लिखित पत्र भी भेजा है जिसमें असम के मुख्यमंत्री के लगातार असंवैधानिक बयानों की सूची संलग्न है और उनसे तुरंत कार्रवाई की मांग की गई है। उन्होंने प्रधान न्यायाधीश से इस पर स्वतः संज्ञान लेने का आग्रह भी किया है। मदनी ने यह दावा भी किया कि मुख्यमंत्री एक भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यक को मियां कहकर अपमानित करने की कोशिश कर रहे हैं और उन्हें द्वितीय श्रेणी का नागरिक बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

विधानसभा में नमाज के लिए दिया जाने वाला अवकाश भी खत्म

वहीं, असम विधानसभा मुस्लिम विधायकों को शुक्रवार को नमाज अदा करने के लिए दिए जाने वाले दो घंटे के अवकाश को खत्म करेगी। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने यह जानकारी दी। विधानसभा के एक अधिकारी ने बताया कि यह नियम अगले सत्र से लागू किया जाएगा। सोशल मीडिया मंच एक्स पर सरमा ने एक पोस्ट में कहा, ''दो घंटे के जुम्मा ब्रेक को खत्म करके, असम विधानसभा ने उत्पादकता को प्राथमिकता दी है और औपनिवेशिक बोझ के एक और निशान को समाप्त किया है। यह प्रथा मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला ने 1937 में शुरू की थी।'' सरमा ने कहा, ''इस ऐतिहासिक फैसले के लिए विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी और हमारे विधायकों का आभार।'' अधिकारी ने बताया कि आखिरी बार दो घंटे का यह ब्रेक शुक्रवार को दिया गया, जो विधानसभा के शरदकालीन सत्र का अंतिम दिन था।

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