जजों को कोर्ट में टिप्पणी करते समय दिखानी चाहिए जिम्मेदारी, ऐसा क्यों बोली CJI चंद्रचूड़ वाली बेंच?
- पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय भी शामिल थे। पीठ ने उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजबीर सेहरावत द्वारा 17 जुलाई के आदेश में की गई टिप्पणियों को हटा दिया।
CJI Chandrachud News: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि जजों को अदालतों में कार्यवाही के दौरान टिप्पणियां करते समय संयम और जिम्मेदारी दिखानी चाहिए, विशेषकर तब जब सुनवाई का सीधा प्रसारण हो रहा हो। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की एकल पीठ द्वारा अवमानना कार्यवाही में शीर्ष अदालत के खिलाफ की गई अनुचित टिप्पणियों को सुनवाई से हटाते हुए यह कहा।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की विशेष पीठ ने कहा, ''ऐसे समय में जहां अदालत में होने वाली किसी भी कार्यवाही की व्यापक रिपोर्टिंग होती है, विशेष रूप से सीधे प्रसारण के संदर्भ में, जिसका उद्देश्य नागरिकों को अदालत की कार्यवाही, न्याय तक पहुंच प्रदान करना है, यह और भी अधिक आवश्यक है कि न्यायाधीश कार्यवाही के दौरान अदालत में की जाने वाली टिप्पणियों में संयम और जिम्मेदारी दिखाएं।''
पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय भी शामिल थे। पीठ ने उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजबीर सेहरावत द्वारा 17 जुलाई के आदेश में की गई टिप्पणियों को हटा दिया। सुनवाई के दौरान मामले में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्च न्यायालय के समक्ष 17 जुलाई की कार्यवाही का एक वीडियो प्रसारित होने का हवाला दिया। पीठ ने कहा, ''17 जुलाई, 2024 का आदेश एक वीडियो के कारण और जटिल बन गया है, जो सुनवाई के दौरान एकल न्यायाधीश द्वारा की गई अनुचित अनावश्यक टिप्पणियों को दर्शाता है।'' पीठ ने कहा कि वीडियो में जो टिप्पणियां की गई हैं, वे ''न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता को अपूरणीय क्षति पहुंचा सकती हैं।''
शीर्ष अदालत ने कहा, ''हमें उम्मीद और भरोसा है कि भविष्य में सावधानी बरती जाएगी।'' सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि वह 17 जुलाई के आदेश में उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणियों से ''व्यथित'' है। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे अवगत कराया गया है कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने न्यायाधीश की टिप्पणियों का स्वत: संज्ञान लिया है और उनके आदेश पर रोक लगा दी।
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