
CJI पर जूता फेंकने वाले राकेश किशोर ने किया नूपुर शर्मा का जिक्र, खुलकर बताई हमले की वजह
संक्षेप: दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने मयूर विहार निवासी किशोर से सुप्रीम कोर्ट परिसर में तीन घंटे तक पूछताछ की और बाद में कोई औपचारिक शिकायत दर्ज न होने पर दोपहर दो बजे उसे छोड़ दिया। पुलिस ने उसके जूते भी उसे लौटा दिए।
Rakesh Kishore: CJI बीआर गवई पर जूता उछालने की कोशिश करने वाले वकील राकेश किशोर ने कहा है कि वह अदालत में की गई टिप्पणियों से बेहद आहत थे। उन्होंने बताया है कि सनातन धर्म से जुड़ा मामला आने पर सुप्रीम कोर्ट कोई न कोई आहत करने वाला आदेश पास कर देता है। उन्होंने आरोप लगाए हैं कि सीजेआई ने जनहित याचिका दाखिल करने वाले एक शख्स का मजाक उड़ाया था। वह जाहिर तौर पर भगवान विष्णु की प्रतिमा से जुड़ी पीआईएल की ओर इशारा कर रहे थे।

मंगलवार को किशोर ने सीजेआई गवई को लेकर कहा, 'बात यह है कि मैं बहुत ज्यादा आहत हुआ कि 16 सितंबर को चीफ जस्टिस की कोर्ट में किसी व्यक्ति ने जनहित याचिका डाली थी। तो गवई साहब ने पहले तो उसका पूरी तरह से मजाक उड़ाया। मजाक यानी यह कहा कि आप मूर्ति से प्रार्थना करो जाकर, मूर्ति से कहो जाकर कि अपना सिर खुद दोबारा बना ले।'
उन्होंने कहा, 'जबकि, हम देखते हैं कि बहुत सारे धर्मों के खिलाफ, जो दूसरे समुदाय के लोग हैं। उनके खिलाफ जब कोई केस आता है, तो बड़े बड़े स्टेप लेते हैं। मैं उदाहरण देता हूं कि हलद्वानी में रेलवे की जमीन पर एक विशेष समुदाय का कब्जा है। जब उसे हटाने की कोशिश की गई तो सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया तीन साल पहले जो आज तक लगा है।'
किशोर ने कहा, 'ठीक है उस आदमी को रिलीफ नहीं देनी थी, तो मत दीजिए, लेकिन ऐसा मजाक भी मत कीजिए उसका। फिर उससे कहा कि आप उसी मूर्ति के सामने जाकर ध्यान लगाएं। अन्याय यह किया कि उसकी याचिका को खारिज भी कर दिया। इन चीजों को लेकर आहत था।'
उन्होंने सफाई दी, 'वैसे मैं हिंसा के बहुत ज्यादा खिलाफ हूं, लेकिन आप यह भी देखिए कि एक अहिंसक आदमी, सीधा सच्चा आदमी, जिसके ऊपर कोई आज तक नहीं है, किसी ग्रुप से नहीं है, उसको ये सब क्यों करना पड़ा? यह सोचने वाली बात है।' उन्होंने आगे कहा, 'मैं भी कम पढ़ा लिखा नहीं हूं। मैं भी गोल्ड मेडलिस्ट हूं। ऐसा नहीं है कि मैं नशे में था या मैंने कोई गोलियां खा रखी थीं। उन्होंने ऐक्शन किया, मेरा रिएक्शन था। आप इसे जैसे लेना चाहें लीजिए। मुझे किसी बात का डर नहीं है और न ही मुझे किसी बात का अफसोस है।'
इस दौरान उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'ऐसे ही नूपुर शर्मा का जब मामला आया, तब कोर्ट ने कह दिया आपने माहौल खराब कर दिया। यह सब तो कहते हैं, रोक लगाते हैं ठीक, लेकिन जब बात हमारे सनातन धर्म की आती है, फिर चाहे जल्लीकट्टू हो या दही हांडी की ऊंचाई तय करनी हो तो उसपर वह जरूर ऐसा कोई न कोई ऑर्डर पास करते चली आ रही है सुप्रीम कोर्ट जिससे मैं बहुत दुखी हूं।'
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने मयूर विहार निवासी किशोर से उच्चतम न्यायालय परिसर में तीन घंटे तक पूछताछ की और बाद में कोई औपचारिक शिकायत दर्ज न होने पर दोपहर दो बजे उसे छोड़ दिया। पुलिस ने उसके जूते भी उसे लौटा दिए।





