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कान में बोल दो पता नहीं सोशल मीडिया पर..., जूता कांड के बीच साथी जज से बोले CJI बीआर गवई

कान में बोल दो पता नहीं सोशल मीडिया पर..., जूता कांड के बीच साथी जज से बोले CJI बीआर गवई

संक्षेप: सोमवार को 72 साल के वकील राकेश किशोर ने सीजेआई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी, लेकिन सुरक्षा गार्डों ने तुरंत हरकत में आकर उन्हें पकड़ लिया। बाद में सीजेआई ने भी साफ किया था कि उन्हें इस बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता और वकील को जाने देने के लिए कहा था।

Tue, 7 Oct 2025 01:02 PMNisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तान
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भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई सोशल मीडिया को लेकर अलर्ट हैं। मंगलवार को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान साथी जज से कान में अपनी राय खुलकर देने के बजाए कान में कहने लिए कहा। खास बात है कि यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है, जब एक दिन पहले ही अदालत परिसर में एक वकील ने सीजेआई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की थी।

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बार एंड बेंच के अनुसार, मंगलवार को सीजेआई ने कहा, 'मेरे भाई जस्टिस विनोद चंद्रन कुछ कहना चाहते हैं, लेकिन सोशल मीडिया के दौर में हमें नहीं पता कि इस किस तरह से रिपोर्ट किया जाएगा। ऐसे में मैंने उनसे सिर्फ मेरे कान में अपनी बात बताने के लिए कह दिया।'

वकील ने फेंक दिया था जूता

सोमवार को 72 साल के वकील राकेश किशोर ने सीजेआई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी, लेकिन सुरक्षा गार्डों ने तुरंत हरकत में आकर उन्हें पकड़ लिया। बाद में सीजेआई ने भी साफ किया था कि उन्हें इस बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता और वकील को जाने देने के लिए कहा था। इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने भी पूछताछ के बाद वकील को छोड़ दिया था।

क्यों फेंका जूता

हमले के बाद वकील ने कई वजहें बताई हैं। किशोर का कहना है कि वह भगवान विष्णु की प्रतिमा के मामले में दाखिल जनहित याचिका पर सीजेआई की तरफ से की गई टिप्पणियों से आहत थे। साथ ही उन्होंने सीजेआई गवई की तरफ से बुलडोजर ऐक्शन को लेकर की गईं टिप्पणियों पर भी आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि अगर संपत्ति पर अवैध कब्जा करने वालों के ठिकानों पर बुलडोजर चल रहे हैं तो क्या गलत है।

नहीं मांगेंगे माफी

उन्होंने सफाई दी, 'वैसे मैं हिंसा के बहुत ज्यादा खिलाफ हूं, लेकिन आप यह भी देखिए कि एक अहिंसक आदमी, सीधा सच्चा आदमी, जिसके ऊपर कोई आज तक नहीं है, किसी ग्रुप से नहीं है, उसको ये सब क्यों करना पड़ा? यह सोचने वाली बात है।' उन्होंने आगे कहा, 'मैं भी कम पढ़ा लिखा नहीं हूं। मैं भी गोल्ड मेडलिस्ट हूं। ऐसा नहीं है कि मैं नशे में था या मैंने कोई गोलियां खा रखी थीं। उन्होंने ऐक्शन किया, मेरा रिएक्शन था। आप इसे जैसे लेना चाहें लीजिए। मुझे किसी बात का डर नहीं है और न ही मुझे किसी बात का अफसोस है।'

Nisarg Dixit

लेखक के बारे में

Nisarg Dixit
निसर्ग दीक्षित एक डिजिटल क्षेत्र के अनुभवी पत्रकार हैं, जिनकी राजनीति की गतिशीलता पर गहरी नजर है और वैश्विक और घरेलू राजनीति की जटिलताओं को उजागर करने का जुनून है। निसर्ग ने गहन विश्लेषण, जटिल राजनीतिक कथाओं को सम्मोहक कहानियों में बदलने की प्रतिष्ठा बनाई है। राजनीति के अलावा अपराध रिपोर्टिंग, अंतरराष्ट्रीय गतिविधियां और खेल भी उनके कार्यक्षेत्र का हिस्सा रहे हैं। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ जर्नलिज्म करने के बाद दैनिक भास्कर के साथ शुरुआत की और इनशॉर्ट्स, न्यूज18 जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम करने के बाद लाइव हिन्दुस्तान में डिप्टी चीफ कंटेंट प्रोड्यूसर के तौर पर काम कर रहे हैं। और पढ़ें
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