Hindi Newsदेश न्यूज़Change in Maldives stance is Indias diplomatic success s jaishankar news

भारत के करीब आए मोहम्मद मुइज्जू, चीन को लगा झटका; ऐसे पलट गया पूरा खेल

  • विभिन्न स्तरों पर कूटनीतिक वार्ताएं भी हुईं। लेकिन, मालदीव के रुख में तत्काल कोई बदलाव नहीं दिखा था। क्योंकि, मोइज्जू को चीन का करीबी माना जाता था। ऐसे में उनके रुख में बदलाव को स्वभाविक रूप से भारत की कूटनीतिक सफलता माना जा रहा है।

Nisarg Dixit हिन्दुस्तानTue, 13 Aug 2024 01:33 AM
हमें फॉलो करें

भारत की कूटनीति से मालदीव के रुख में बदलाव आया है। देखा जाए तो विदेश मंत्री एस जयशंकर की नौ से 11 अगस्त के बीच संपन्न हुई मालदीव यात्रा बेहद सार्थक रही। पिछले साल मोहम्मद मोइज्जू के राष्ट्रपति बनने के साथ ही वहां भारत विरोधी माहौल बनाया जाने लगा था, लेकिन अब स्थितियां एक बार फिर बदल गई हैं। राष्ट्रपति मोइज्जू ने भारत को अपना एक बेहद करीबी मित्र देश बताया है। चीन के लिए यह झटका है, क्योंकि मोइज्जू चीन समर्थक माने जाते हैं।

विदेश मामलों के जानकार मानते हैं कि मालदीव के रुख में यह बदलाव यूं ही नहीं आया, बल्कि यह भारतीय कूटनीति की सूझबूझ है। पिछले साल नवंबर में जब मोइज्जू की पार्टी सत्ता में आई थी, तभी से वह अपने चुनावी एजेंडे पर अमल करने लगे थे और वहां आपदा प्रबंधन के लिए भेजे गए भारतीय सैनिकों की वापसी को लेकर अड़ गए थे। इसकी शुरुआत भी हुई, पर भारत ने अपनी कूटनीतिक सूझबूझ दिखाते हुए मालदीव के साथ सहयोग जारी रखा।

विभिन्न स्तरों पर कूटनीतिक वार्ताएं भी हुईं। लेकिन, मालदीव के रुख में तत्काल कोई बदलाव नहीं दिखा था। क्योंकि, मोइज्जू को चीन का करीबी माना जाता था। ऐसे में उनके रुख में बदलाव को स्वभाविक रूप से भारत की कूटनीतिक सफलता माना जा रहा है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह देखना होगा कि यह बदलाव स्थाई रहता है या तात्कालिक है?

मालदीव को बड़ा झटका तब लगा, जब मोदी लक्षद्वीप गए और उसके बाद मालदीव जाने वाले पर्यटकों की संख्या में गिरावट आने लगी। मालदीव के पर्यटन मंत्रालय के अनुसार जनवरी-मार्च के बीच वहां जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में 38 फीसदी की गिरावट आई। इससे मालदीव को भारी आर्थिक क्षति हुई। पर्यटन उसके राजस्व का मुख्य जरिया है। इधर, मालदीव की अर्थव्यवस्था भी खराब होने लगी थी। ऐसे में उसे भारत से मदद की उम्मीद थी।

भारत से दोस्ती मोइज्जू के लिए मजबूरी

भारत ने मालदीव में कई विकास परियोजनाएं मंजूर कर रखी हैं। भारत यदि उन्हें वापस ले ले तो उसके लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं, इसलिए मोइज्जू के पास दोस्ती का हाथ बढ़ाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपनी यात्रा के दौरान वहां 28 द्वीपों में पानी एवं सीवेज लाइन के लिए क्रेडिट लाइन, यूपीआई समेत कई योजनाओं का शुभारंभ किया। दोनों देशों के बीच कई समझौते भी हुए। इनमें मालदीव के एक हजार शीर्ष अफसरों को भारत में प्रशिक्षित करना भी शामिल है।

लेटेस्ट   Hindi News,   बॉलीवुड न्यूज,  बिजनेस न्यूज,  टेक ,  ऑटो,  करियर ,और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

ऐप पर पढ़ें