Hindi NewsIndia NewsCalcutta High Court quashed Centre decision to send Sonali Bibi their families to Bangladesh
एक महीने के भीतर भारत वापस लाओ, बांग्लादेश भेजे गए 6 लोगों के मामले पर हाई कोर्ट

एक महीने के भीतर भारत वापस लाओ, बांग्लादेश भेजे गए 6 लोगों के मामले पर हाई कोर्ट

संक्षेप: याचिकाकर्ताओं ने कहा कि दिल्ली के रोहिणी क्षेत्र के सेक्टर 26 में दो दशकों से अधिक समय से ये परिवार दिहाड़ी मजदूरी करते थे। इन्हें 18 जून को एएन काटजू मार्ग पुलिस ने अवैध बांग्लादेशी होने के संदेह में हिरासत में लिया था।

Sat, 27 Sep 2025 10:21 AMNiteesh Kumar भाषा
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कलकत्ता हाई कोर्ट ने बीरभूम जिले की सोनाली बीबी और स्वीटी बीवी व उनके परिवारों को बांग्लादेश भेजने के केंद्र के फैसले को रद्द कर दिया। अदालत ने केंद्र को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि बांग्लादेश भेजे गए इन 6 नागरिकों को एक महीने के भीतर भारत वापस लाया जाए। उच्च न्यायालय ने आदेश पर अस्थायी रोक लगाने की केंद्र सरकार की अपील भी खारिज कर दी। न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति आर के मित्रा की खंडपीठ ने भोदू शेख की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दो आदेश जारी किए।

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याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि 9 माह की गर्भवती उनकी बेटी सोनाली, उसके पति दानेश शेख और पांच साल के बेटे को दिल्ली में हिरासत में लिया गया और बांग्लादेश भेज दिया गया। दानिश शेख पश्चिम बंगाल के बीरभूम के मुरारई का रहने वाला है। मुरारई के ही आमिर ने भी एक अन्य याचिका में ऐसा दावा किया था। खान ने कहा कि उसकी बहन स्वीटी बीबी और उसके दो बच्चों को दिल्ली पुलिस ने उसी इलाके से हिरासत में ले लिया व बांग्लादेश भेज दिया।

दिल्ली में करते थे दिहाड़ी मजदूरी

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि दिल्ली के रोहिणी क्षेत्र के सेक्टर 26 में दो दशकों से अधिक समय से ये परिवार दिहाड़ी मजदूरी करते थे। इन्हें 18 जून को एएन काटजू मार्ग पुलिस ने अवैध बांग्लादेशी होने के संदेह में हिरासत में लिया था और बाद में 27 जून को सीमा पार भेज दिया था। बाद में बांग्लादेश पुलिस ने इन लोगों को कथित रूप से गिरफ्तार कर लिया था। सोनाली के परिवार के सदस्यों ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि यदि उसने बांग्लादेश में बच्चे को जन्म दिया तो उसकी नागरिकता की स्थिति क्या होगी। दोनों परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने उच्च न्यायालय में दलील दी कि बांग्लादेशी होने के संदेह में इन लोगों को जबरन व अवैध रूप से पड़ोसी देश भेज दिया गया। उन्होंने संबंधित अधिकारियों के समक्ष पैन, आधार कार्ड, भूमि स्वामित्व के कागजात और माता-पिता व दादा-दादी के मतदाता पहचान पत्र समेत नागरिकता दस्तावेज प्रस्तुत किए थे।

याचिका के विरोध में क्या कहा

इस याचिकाओं के विरोध में हलफनामा देते हुए सरकार ने दावा किया कि यह याचिका कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष विचार योग्य ही नहीं है, क्योंकि इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई थी, जिसमें उक्त लोगों को अवैध हिरासत में लेने का आरोप लगाया गया था। उनके निर्वासन को चुनौती देने वाली एक अन्य याचिका भी दायर की गई थी। केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक कुमार चक्रवर्ती ने दावा किया था कि इस मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है, क्योंकि जिस व्यक्ति को निर्वासित किया गया था, उसे दिल्ली में हिरासत में लिया गया था। उन्होंने दावा किया कि कलकत्ता उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका, दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर दोनों याचिकाओं के तथ्य को दबाते हुए दायर की गई थी।

Niteesh Kumar

लेखक के बारे में

Niteesh Kumar
नीतीश 7 साल से अधिक समय से मीडिया इंडस्ट्री में एक्टिव हैं। जनसत्ता डिजिटल से बतौर कंटेंट प्रोड्यूसर शुरुआत हुई। लाइव हिन्दुस्तान से जुड़ने से पहले टीवी9 भारतवर्ष और दैनिक भास्कर डिजिटल में भी काम कर चुके हैं। खबरें लिखने के साथ ग्राउंड रिपोर्टिंग का शौक है। लाइव हिन्दुस्तान यूट्यूब चैनल के लिए लोकसभा चुनाव 2024 की कवरेज कर चुके हैं। पत्रकारिता का पढ़ाई IIMC, दिल्ली (2016-17 बैच) से हुई। इससे पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी के महाराजा अग्रसेन कॉलेज से ग्रैजुएशन किया। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के रहने वाले हैं। राजनीति, खेल के साथ सिनेमा में भी दिलचस्पी रखते हैं। और पढ़ें
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