Hindi NewsIndia NewsBombay High Court slammed Mumbai Police for the illegal arrest of a Karnataka based businessman

ऐसे कैसे अरेस्ट कर लिया? मुंबई पुलिस पर भड़का हाईकोर्ट, मुआवजा देने का भी आदेश

संक्षेप: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक बिजनेसमैन की अवैध गिरफ्तारी को लेकर मुंबई पुलिस को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा है कि पुलिस ने शख्स के खिलाफ जानबूझकर धारा 409 लगा दिया, जिससे उसे बेल ना मिल पाए।

Thu, 2 Oct 2025 09:16 PMJagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तान
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ऐसे कैसे अरेस्ट कर लिया? मुंबई पुलिस पर भड़का हाईकोर्ट, मुआवजा देने का भी आदेश

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कर्नाटक के एक व्यवसायी की गिरफ्तारी को लेकर मुंबई पुलिस को जमकर सुनाया है। कोर्ट ने इसे शक्तियों का दुरुपयोग बताते हुए कहा है कि इस तरह अवैध तरीके से गिरफ्तारी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन है। बता दें कि कोर्ट में उडुपी के कुंदापुर निवासी व्यवसायी वी.पी. नायक की गिरफ्तारी पर सुनवाई चल रही थी। इस दौरान महाराष्ट्र सरकार को कारोबारी को एक लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश देते हुए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच का भी आदेश दिया।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी को गैरकानूनी घोषित करते हुए कहा, "किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी एक गंभीर मामला है। गिरफ्तारी से अपमान होता है, व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रभावित होती है और हमेशा के लिए दाग छोड़ जाती है।" बता दें कि नायक को अक्टूबर 2024 को गिरफ्तार किया गया था। कारोबारी का अपने चचेरे भाई के साथ व्यापारिक विवाद चल रहा था और इसी सिलसिले में बांद्रा पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। इस दौरान उन्हें 20 दिन हिरासत में रखा गया था।

नायक के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि पुलिस ने FIR में आईपीसी की धारा 409 (किसी लोक सेवक या एजेंट द्वारा आपराधिक विश्वासघात) लगाकर जानबूझकर अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया है। उन्होंने बताया कि वरिष्ठ अधिकारियों ने सिर्फ धारा 406, 420, 465 और 477ए के तहत आरोपों को मंजूरी दी थी, लेकिन पुलिस ने धारा 409 भी लगा दिया। बता दें कि धारा 409 एक अधिक गंभीर आरोप है और मामले को गैर-जमानती बनाता है।

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बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश

वहीं शिकायतकर्ता ने पुलिस कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि धारा 409 लागू करना सही है है और इस धारा के तहत आरोप पत्र पहले ही दायर किया जा चुका है। हालांकि, जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस संदेश डी. पाटिल की पीठ ने कहा कि धारा 409 लागू करने से मामला गैर-जमानती अपराध में बदल गया, जिससे पुलिस को जमानत ना देने का बहाना मिल गया। पीठ ने कहा कि इंस्पेक्टर प्रदीप केरकर और सब-इंस्पेक्टर कपिल शिरसाठ ने जानबूझकर धारा 409 जोड़ी थी। कोर्ट ने कहा, "मौजूदा तथ्यों से पुलिस की मनमानी साफ नजर आती है।” अदालत ने आदेश दिया कि महाराष्ट्र सरकार कारोबारी को एक लाख रुपये का मुआवजा देगा, लेकिन बाद में यह राशि दोषी पाए गए अधिकारियों के वेतन से वसूल की जानी चाहिए।

Jagriti Kumari

लेखक के बारे में

Jagriti Kumari
जागृति ने 2024 में हिंदुस्तान टाइम्स डिजिटल सर्विसेज के साथ अपने करियर की शुरुआत की है। संत जेवियर कॉलेज रांची से जर्नलिज्म में ग्रैजुएशन करने बाद, 2023-24 में उन्होंने भारतीय जन संचार संस्थान नई दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा हासिल किया। खबरें लिखने के साथ साथ ग्राउंड रिपोर्टिंग का शौक है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय संबंध, खेल और अर्थव्यवस्था की खबरों को पढ़ना पसंद है। मूल रूप से रांची, झारखंड की जागृति को खाली समय में सिनेमा देखना और सिनेमा के बारे में पढ़ना पसंद है। और पढ़ें
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