Hindi NewsIndia NewsBJP cannot separate from RSS Modi-Shah busy in resetting the relationship
RSS से जुदा नहीं हो सकती है भाजपा; रिश्तों को रीसेट करने में जुटे PM मोदी और अमित शाह

RSS से जुदा नहीं हो सकती है भाजपा; रिश्तों को रीसेट करने में जुटे PM मोदी और अमित शाह

संक्षेप: भाजपा के दोनों शीर्ष नेताओं के बयान इस बात संकेत देते हैं कि बीजेपी अपने वैचारिक मूल संगठन से सहज रिश्तों को लेकर तस्वीर साफ करना चाहती है और लोगों में एक सकारात्मक संदेश देने की कोशिश कर रही है।

Sat, 13 Sep 2025 08:50 AMHimanshu Jha लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली।
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RSS-BJP Relation: दिल्ली के सियासी गलियारों में हाल के दिनों एक बात की खूब चर्चा रही कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शीर्ष नेतृत्व और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के बीच रिश्तों में तल्खी आ गई है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव बार-बार टालना। हालांकि अब परिस्थिति बदलती नजर आने लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से अपने संबोधन के दौरान आरएसएस की प्रशंसा की थी। 11 वर्षों में पहली बार लाल किले से संघ की जिक्र हुआ था। प्रधानमंत्री ने गुरुवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के जन्मदिन पर देश के विभिन्न अखबारों में लेख में उनकी खुलकर प्रशंसा की। वहीं, हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह ने भी कहा कि आरएसएस से जुड़ा होना कोई माइनस पॉइंट नहीं है।

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भाजपा के दोनों शीर्ष नेताओं के बयान इस बात संकेत देते हैं कि बीजेपी अपने वैचारिक मूल संगठन से सहज रिश्तों को लेकर तस्वीर साफ करना चाहती है और लोगों में एक सकारात्मक संदेश देने की कोशिश कर रही है।

क्यों बिगड़ा संबंध?

इस सबकी शुरुआत 2024 में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के उस बयान से होती है जब उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि भाजपा को अब आरएसएस पर पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। भाजपा अध्यक्ष के इस बयान ने आरएसएस के कान खड़े कर दिए। इसके बाद से दोनों संगठनों के बीच रिश्ते थोड़े से असहज हुए। चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपने दम पर बहुमत नहीं मिलने के पीछे आरएसएस की अनिच्छा भी एक कारण है। मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि सच्चा सेवक अहंकार रहित होता है। उनका यह बयान भाजपा के लिए एक संदेश की तरह था।

हालांकि बाद में रिश्ते को पटरी पर लाने की कोशिश की गई है। इसके बाद महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव हुए। बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज की। सियासी पंडितों ने इसे आरएसएस की प्रबंधन नीति का नतीजा बताया। संघ प्रचार प्रमुख सुनील अंबेकर ने किसी भी तनाव से इनकार करते हुए कहा कि यह परिवार का मामला है।

पीएम ने खुद संभाली कमान

15 अगस्त को मोदी ने लाल किले से कहा, “100 वर्षों की राष्ट्र सेवा RSS का गौरवशाली अध्याय है। संघ विश्व का सबसे बड़ा NGO है, जिसने सेवा, समर्पण और अनुशासन की मिसाल पेश की है।” इससे पहले अमित शाह ने 30 जुलाई को संसद में कहा, “हिंदू आतंकवादी नहीं हो सकता है।”
वहीं, 22 अगस्त को कोच्चि में मणोरमा कॉन्क्लेव में शाह ने कहा, “मैं स्वयंसेवक हूं और जब तक भारत महान नहीं बनता हमें विश्राम का अधिकार नहीं है।” इसके बाद 26 अगस्त को शाह ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “RSS से जुड़ा होना कोई माइनस पॉइंट नहीं है।”

'आरएसएस-भाजपा अलग नहीं'

विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी अब अपने वैचारिक परिवार के साथ दूरी की अटकलों को खत्म करना चाहती है। इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में एक वरिष्ठ बीजेपी नेता के हवाले से कहा, “आरएसएस और भाजपा अलग नहीं हैं। दोनों का लक्ष्य एक ही है। हाल की टिप्पणियां यह संदेश कार्यकर्ताओं तक पहुंचाने के लिए हैं।” एक संघ नेता ने भी कहा, “परिवार में मतभेद होते हैं। सत्ता का स्वभाव कभी-कभी नेताओं को असंवेदनशील बना देता है। ऐसे समय हम उन्हें याद दिलाते हैं कि व्यक्ति सुई है और विचारधारा धागा। धागे के बिना सुई कपड़े में सिर्फ छेद ही करेगी।”

Himanshu Jha

लेखक के बारे में

Himanshu Jha
कंप्यूटर साइंस में पोस्ट ग्रैजुएट हिमांशु शेखर झा करीब 9 वर्षों से बतौर डिजिटल मीडिया पत्रकार अपनी सेवा दे रहे हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश के अलावा राष्ट्रीय राजनीति पर अच्छी पकड़ है। दिसंबर 2019 में लाइव हिन्दुस्तान के साथ जुड़े। इससे पहले दैनिक भास्कर, न्यूज-18 और जी न्यूज जैसे मीडिया हाउस में भी काम कर चुके हैं। हिमांशु बिहार के दरभंगा जिला के निवासी हैं। और पढ़ें
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