Hindi NewsIndia NewsBig preparation for Bharat Bandh Over 25 crore workers expected to participate
भारत बंद की तैयारी, 25 करोड़ कर्मचारी करेंगे हड़ताल; किन सेवाओं पर असर?

भारत बंद की तैयारी, 25 करोड़ कर्मचारी करेंगे हड़ताल; किन सेवाओं पर असर?

संक्षेप: बुधवार को बड़े स्तर पर भारत बंद की तैयारी है। अनुमान है इस बंद में बैंकिंग, इंश्योरेंस, पोस्टल सेवा समेत विभिन्न क्षेत्रों के 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। यह हड़ताल 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने बुलाई है और इसे भारत बंद का नाम दिया है।

Tue, 8 July 2025 09:32 AMDeepak लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली
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बुधवार को बड़े स्तर पर भारत बंद की तैयारी है। अनुमान है इस बंद में बैंकिंग, इंश्योरेंस, पोस्टल सेवा समेत विभिन्न क्षेत्रों के 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। यह हड़ताल 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने बुलाई है और इसे भारत बंद का नाम दिया है। यह भारत बंद सरकार की मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और राष्ट्र विरोधी कॉरपोरेट-समर्थक नीतियों के विरोध में बुलाया गया है। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की अमरजीत कौर ने कहाकि हड़ताल में 25 करोड़ से अधिक कर्मचारियों के भाग लेने की उम्मीद है। किसान और ग्रामीण कर्मचारी भी देशभर में इस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा बनेंगे। हिंद मजदूर सभा के हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा कि हड़ताल के कारण बैंकिंग, डाक, कोयला खनन, कारखाने, राज्य परिवहन सेवाएं प्रभावित होंगी।

सरकार की नीतियों पर सवाल
भारत बंद कर रहे संगठनों ने पिछले साल श्रम मंत्री मनसुख मांडविया को 17-सूत्रीय मांगों का एक चार्टर सौंपा था। इनका कहना है कि सरकार पिछले 10 वर्षों से वार्षिक श्रम सम्मेलन का आयोजन नहीं कर रही है। यह मजदूरों-कर्मचारियों के हितों के खिलाफ फैसले ले रही है। मजदूर संगठनों के मंच ने यह आरोप भी लगाया कि आर्थिक नीतियों के कारण बेरोजगारी बढ़ रही है, जरूरी वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं, मजदूरी में गिरावट आ रही है और शिक्षा, स्वास्थ्य एवं बुनियादी नागरिक सुविधाओं में सामाजिक क्षेत्र के खर्च में कटौती हो रही है। ये सभी गरीबों, निम्न आय वर्ग के लोगों के साथ मध्यम वर्ग के लिए और अधिक असमानता और अभाव पैदा कर रहे हैं।

इस बात का लगाया आरोप
मंच ने यह भी आरोप लगाया कि सरकारी विभागों में युवाओं को नियमित नियुक्तियां देने के बजाय रिटायर्ड लोगों को ही काम पर रखने की नीति देश को आगे नहीं ले जाएगी। वजह, 65 फीसदी आबादी 35 साल से कम आयु की है। वहीं, बेरोजगारों की संख्या 20 से 25 साल के आयु वर्ग के लोगों में सबसे अधिक है। बयान में कहा गया है कि हम सरकार से बेरोजगारी पर ध्यान देने, स्वीकृत पदों पर भर्ती करने, अधिक नौकरियों के सृजन, मनरेगा श्रमिकों के कार्य दिवसों एवं मजदूरी में बढ़ोतरी के साथ शहरी क्षेत्रों के लिए भी समान कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए ईएलआई (रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन) योजना लागू करने में व्यस्त है।

यह भी हड़ताल में रहेंगे शामिल
एनएमडीसी लिमिटेड और अन्य गैर-कोयला खनिज, इस्पात, राज्य सरकार के विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के श्रमिक नेताओं ने भी हड़ताल में शामिल होने का नोटिस दिया है। श्रमिक नेताओं ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा और कृषि श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चे ने भी इस हड़ताल को समर्थन दिया है और ग्रामीण भारत में बड़े पैमाने पर लामबंदी करने का फैसला किया है। श्रमिक संगठनों ने इसके पहले 26 नवंबर, 2020, 28-29 मार्च, 2022 और पिछले साल 16 फरवरी को भी इसी तरह की देशव्यापी हड़ताल की थी।