
CJI गवई की तरफ जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर के खिलाफ ऐक्शन, बेंगलुरु में जीरो FIR दर्ज
संक्षेप: 71 वर्षीय वकील ने कोर्टरूम में मुख्य न्यायधीश जस्टिस बी आर गवई की तरफ जूता फेंकने की कोशिश की थी। बार एसोसिएशन ने वकील को पहले ही निलंबित कर दिया था। हालांकि दिल्ली पुलिस ने उसके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया था।
देश के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील राकेश किशोर के खिलाफ आखिरकार आधिकारिक शिकायत दर्ज कर ली गई है। घटना के 2 दिन बाद बेंगलुरु पुलिस ने बुधवार को राकेश किशोर के खिलाफ ‘जीरो एफआईआर’ (शून्य प्राथमिकी) दर्ज की है। अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी है। गौरतलब है कि शून्य प्राथमिकी पूरे देश में कहीं भी दर्ज की जा सकती है, चाहे अपराध किसी अन्य जगह पर भी हुआ हो।

अधिकारियों ने बताया कि FIR अखिल भारतीय अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष भक्तवचला की शिकायत के बाद दर्ज की गई है। आरोपी राकेश किशोर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 132 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और 133 (गंभीर उकसावे के अलावा किसी अन्य कारण से किसी व्यक्ति का अपमान करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
अधिवक्ता संघ ने विधान सौधा थाने के प्रभारी को सौंपी गई शिकायत में कहा है कि इस अपराध के लिए राकेश किशोर को सजा जरूर मिलनी चाहिए। शिकायत में कहा गया, ‘‘राकेश किशोर का कृत्य समाज के किसी भी वर्ग द्वारा क्षमा योग्य और स्वीकार्य नहीं है। वास्तव में उनका कृत्य दंडनीय है। यह एक गंभीर घटना है जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए और अपराधी को कानून के अनुसार दंडित किया जाना चाहिए।’’ रजिस्ट्रेशन के बाद, विधान सौधा पुलिस ने केस को सुप्रीम कोर्ट के क्षेत्राधिकार वाले दिल्ली के तिलक मार्ग पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया है।
अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग
इस बीच शीर्ष अदालत के एक अधिवक्ता ने मुख्य न्यायाधीश पर हमले की कोशिश के मामले में अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी से राकेश किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की अनुमति मांगी है। एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड सुभाष चंद्रन के आर ने अटॉर्नी जनरल के समक्ष दिए आवेदन में कहा है, " यह स्पष्ट रूप से सुप्रीम कोर्ट के अधिकार को कम करने और न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप और बाधा डालने का मामला है, जिसमें आरोपी ने अदालती कार्यवाही के दौरान अपना जूता उतारकर भारत के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ नारे लगाते हुए उन पर जूते फेंकने का प्रयास किया।"
कोई पछतावा नहीं- राकेश किशोर
उन्होंने अपने आवेदन में कहा, " यह उल्लेख करना उचित है कि छह अक्टूबर की घटना के बाद भी कथित अवमाननाकर्ता ने विभिन्न मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से उच्चतम न्यायालय और मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ अपनी अत्यंत अपमानजनक टिप्पणियां जारी रखीं, जहां उन्होंने कहा कि उन्हें अपने कृत्यों के लिए कोई पछतावा नहीं है।” बता दें कि देश भर में हमले की हो रही कड़ी निंदा के बाद भी राकेश किशोर ने कहा है कि उसे उसके किए का कोई पछतावा नहीं है।
देश भर में ऐक्शन की मांग तेज
इससे पहले 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के अंदर मुख्य न्यायाधीश गवई की ओर जूता उछालने का प्रयास किया था। हालांकि सतर्क सुरक्षाकर्मियों ने हमले को तुरंत रोक लिया। पुलिस ने बताया है कि वकील पिछले महीने खजुराहो में विष्णु की मूर्ति की पुनर्स्थापना के संबंध में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी को लेकर नाखुश था। हमले के बाद शख्स के पास से एक पर्ची भी मिली जिसमें लिखा था, “मेरा संदेश हर सनातनी के लिए है… सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।” वहीं दिल्ली पुलिस द्वारा राकेश किशोर के खिलाफ कोई कार्रवाई ना किए जाने के बाद देश भर में ऐक्शन की मांग तेज हो गई है।





