
टैक्स का बेंगलुरु-हैदराबाद-यूरोप वाला किस्सा, विदेशी अखबार में क्या छपता था; मोदी ने बताया
संक्षेप: देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के एक दिलचस्प वाकये का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मुझे याद है 2014 में जब देश ने मुझे प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी, उस शुरुआती दौर का एक दिलचस्प वाकया एक विदेशी अखबार में छपा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अपनी बात की शुरुआत नवरात्रि के शुभ अवसर से की और बताया कि 22 सितंबर को सूर्योदय के साथ ही 'अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार' (जीएसटी 2.0) लागू हो जाएंगे, जिन्हें उन्होंने 'बचत का उत्सव' करार दिया। ये सुधार नवरात्रि से ठीक पहले शुरू हो रहे हैं, जो व्यापारियों, मध्यम वर्ग, युवाओं और किसानों के लिए समृद्धि का द्वार खोलेंगे। पीएम मोदी ने कहा कि इससे देश के हर परिवार की खुशियां दोगुनी हो जाएंगी। इस दौरान उन्होंने भारतीय लॉजिस्टिक्स प्रणाली पर भी प्रकाश डाला, और 2014 का एक किस्सा भी सुनाया।
बचत उत्सव की बधाई
उन्होंने देशवासियों को इस 'बचत उत्सव' की ढेर सारी बधाइयां दीं और जोर देकर कहा कि ये बदलाव कारोबार को सरल बनाएंगे तथा निवेश को और अधिक आकर्षक करेंगे। उन्होंने आगे बताया कि 2017 में जब भारत ने जीएसटी व्यवस्था अपनाई, तो यह एक ऐतिहासिक कदम था। दशकों तक देश की जनता विभिन्न करों के जटिल जाल में फंसी रही। उस समय दर्जनों कर लगते थे, जो कई बाधाओं का कारण बने हुए थे। टैक्स और टोल के इस घेरे के कारण लाखों कंपनियों और आम नागरिकों को भारी परेशानियां झेलनी पड़ती थीं।
भारतीय लॉजिस्टिक्स प्रणाली पर जिक्र
देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के एक दिलचस्प वाकये का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मुझे याद है 2014 में जब देश ने मुझे प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी, उस शुरुआती दौर का एक दिलचस्प वाकया एक विदेशी अखबार में छपा था। उसमें एक कंपनी की मुश्किलों का जिक्र था। कंपनी का कहना था कि अगर उसे अपना माल बेंगलुरु से 570 किलोमीटर दूर हैदराबाद भेजना पड़े, तो यह इतना मुश्किल होगा कि उन्होंने इस पर विचार किया और कहा कि वे चाहेंगे कि कंपनी पहले बेंगलुरु से अपना माल यूरोप भेजे और फिर वही माल यूरोप से हैदराबाद भेजे।
पीएम मोदी ने आगे बताया कि उस समय टैक्स और टोल की जटिलताओं के कारण यही स्थिति थी। उस समय लाखों देशवासियों के साथ-साथ ऐसी लाखों कंपनियों को भी तरह-तरह के टैक्स के जाल में रोजाना परेशानियों का सामना करना पड़ता था। एक शहर से दूसरे शहर सामान पहुंचाने में जो बढ़ा हुआ खर्च होता था, उसका बोझ गरीब जनता और आप जैसे ग्राहकों पर पड़ता। देश को इस स्थिति से मुक्त कराना जरूरी था।
30-40 प्रतिशत तक घट सकती है लॉजिस्टिक्स लागत
उन्होंने बताया कि निर्माताओं के लिए लॉजिस्टिक्स खर्च मजदूरी से भी ज्यादा हो जाता है। खासकर कपड़ा क्षेत्र में यह बिक्री का 10-15 प्रतिशत तक पहुंच जाता है, जो चीन या वियतनाम जैसे वैश्विक प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में दोगुना से अधिक। विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, सड़क जाम, टोल और अन्य अवरोधों से होने वाले देरी को आधा करने से माल ढुलाई का समय 20-30 प्रतिशत और लॉजिस्टिक्स लागत 30-40 प्रतिशत तक घट सकती है।
वैश्विक सप्लाई चेन में मजबूत स्थिति
इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि ये कर सुधार न केवल आर्थिक फायदे देंगे, बल्कि भारत को वैश्विक सप्लाई चेन में मजबूत स्थिति प्रदान करेंगे। राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी) जैसे कदम इसी लक्ष्य की ओर हैं, जो लॉजिस्टिक्स लागत को जीडीपी के 8-10 प्रतिशत तक सीमित करने का इरादा रखती है।





