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'बेल नियम है और जेल अपवाद' का रूल भुलाया गया, मैंने सिसोदिया केस में याद दिलाया: CJI गवई

'बेल नियम है और जेल अपवाद' का रूल भुलाया गया, मैंने सिसोदिया केस में याद दिलाया: CJI गवई

संक्षेप: चीफ जस्टिस ने कहा कि न्यायपालिका में जस्टिस कृष्ण अय्यर की पहचान लीक से हटकर काम करने की रही। उन्होंने ऐसी कई चीजों को लागू किया, जिन्हें टैबू माना जाता था। उनकी ओर से ही इस सिद्धांत पर जोर दिया गया कि बेल अधिकार है और जेल अपवाद है। पिछले कुछ समय में अदालतों ने इस सिद्धांत को भुलाने की कोशिश की।

Mon, 7 July 2025 03:18 PMSurya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली
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देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई का कहना है कि 'बेल नियम है और जेल अपवाद है' यह एक वैधानिक सिद्धांत है। इसका पालन अदालतों में पिछले दिनों बंद हो गया था। चीफ जस्टिस ने केरल हाई कोर्ट में आयोजित जस्टिस वीआर कृष्ण अय्यर मेमोरियल लेक्चर में यह बात कही। उन्होंने कहा कि बेल नियम है और जेल अपवाद इस सिद्धांत को भुलाने की कोशिश हुई, लेकिन मैंने मनीष सिसोदिया, के. कविता और प्रबिर पुरकायस्थ मामले में इसे याद दिलाया। उन्होंने कहा, 'जस्टिस कृष्ण अय्यर का पूरी मजबूती से यह मानना था कि अंडरट्रायल लोगों को जेल में नहीं रखना चाहिए। बिना ट्रायल के उन्हें लंबे समय तक जेल में रखना सही नहीं है।'

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चीफ जस्टिस ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका में जस्टिस कृष्ण अय्यर की पहचान लीक से हटकर काम करने की रही। उन्होंने ऐसी कई चीजों को लागू किया, जिन्हें टैबू माना जाता था। उनकी ओर से ही इस सिद्धांत पर जोर दिया गया कि बेल अधिकार है और जेल अपवाद है। पिछले कुछ समय में अदालतों ने इस सिद्धांत को भुलाने की कोशिश की। मुझे खुशी है कि बीते साल जब मुझे मौका मिला तो मैंने इस सिद्धांत को फिर से याद दिलाया। मैंने प्रबिर पुरकायस्थ, मनीष सिसोदिया और के. कविता के केस में इस सिद्धांत को याद दिलाया।

इस तरह जस्टिस बीआर गवई ने जिन केसों की याद दिलाई, उनमें मनीष सिसोदिया का केस भी शामिल है। इसके अलावा के. कविता को भी दिल्ली के शराब घोटाले के केस में अरेस्ट किया गया था। इन मामलों की सुनवाई जब सुप्रीम कोर्ट में पहुंची तो बेंच का हिस्सा रहे जस्टिस गवई ने बेल के सिद्धांत की याद दिलाई। जस्टिस गवई ने कहा कि हम जब वी. आर कृष्ण अय्यर को याद करते हैं तो ध्यान आता है कि उन्होंने लैंगिक असमानता को खत्म करने वाले कदम उठाए। इसके अलावा कैदियों की स्थिति, गरीबों को बेल न मिलने जैसी समस्याओं पर बात की। वह ऐसे जज थे, जिन्होंने नियमों के बीच भी रास्ता निकाला और गरीब लोगों को बेल दिलाने की राह आसान की।

उन्होंने कहा कि जस्टिस अय्यर ने हमेशा दिया कि लोगों के मूल अधिकारों का उल्लंघन न हो सके। इससे लोगों को पर्याप्त आजादी मिले और वे गरीबी से निपटने के साथ ही गरिमा के साथ जीवन बिता सकें। उन्होंने कहा कि ऐसी समाज की व्यवस्था जरूरी है, जिसमें किसी का उत्पीड़न करने वाली गैर-बराबरी हो।

Surya Prakash

लेखक के बारे में

Surya Prakash
दुनियादारी में रुचि पत्रकारिता की ओर खींच लाई। समकालीन राजनीति पर लिखने के अलावा सामरिक मामलों, रणनीतिक संचार और सभ्यतागत प्रश्नों के अध्ययन में रुचि रखते हैं। करियर की शुरुआत प्रिंट माध्यम से करते हुए बीते करीब एक दशक से डिजिटल मीडिया में हैं। फिलहाल लाइव हिन्दुस्तान में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क के इंचार्ज हैं। और पढ़ें
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