रेप के बाद 42 साल कोमा में रही नर्स, सात साल में ही जेल से छूट गया था दोषी; क्या है अरुणा शानबाग केस
- 1973 में मुंबई के एक अस्पताल में नर्स अरुणा शानबाग के साथ वॉर्डबॉय ने रेप किया और जंजीर से गला घोंटकर मरा हुआ समझकर फरार हो गया। अरुणा 42 साल तक कोमा में रहीं। कोर्ट से उन्हें इच्छामृत्यु की इजाजत नहीं मिली।
कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या को लेकर पूरे देश में आक्रोश व्याप्त है। बीते महीने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेने के बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने महिला डॉक्टरों की सुरक्षा में चूक पर टिप्पणी करते हुए अरुणा शानबाग केस का जिक्र किया था। इच्छामृत्यु को लेकर अरुणा शानबाग का केस बेहद अहम माना जाता है। 51 साल पहले मुंबई के एडवर्ड मेमोरियल हॉस्पिटल में नर्स अरुणा शानबाग के साथ दरिंदगी की गई थी। रेप के बाद आरोपी ने कुत्ते को बांधने वाली चेन से उनका गला घोंट दिया। वह अरुणा को मृत समझकर छोड़ गया था लेकिन उनकी सांसें चल रही थीं। इसके बाद वह 42 साल तक जिंदा लाश बनी रहीं। उनके परिवार के लोग इच्छामृत्यु की गुहार लगाते रहे लेकिन उन्हें वह भी नसीब नहीं हुई।
अरुणा 1966 में कर्नाटक से नौकरी करने के लिए मुंबई आई थीं। अरुणा की शादी होने वाली थी। वह किंग एडवर्ड अस्पताल में नौकरी करने लगीं। कुत्तों की दवाई पर रिसर्च करने वाले विभाग में वह काम करती थीं। बात 27 नवंबर 1973 की है। वह बेसमेंट में कपड़े बदलने गई थीं। वहीं वॉर्डबॉय सोहनलाल बैठा था। सोहनलाल ने अरुणा को हवस का शिकार बना लिया। सोहनलाल ने अरुणा के साथ रेप किया और इसके बाद कुत्ते की चेन से गला घोंट दिया। इसके बाद वह फरार हो गया।
इसके बाद एडवर्ड अस्पताल में ही अरुणा 42 साल तक कोमा में रहीं। उनकी हालत देखकर परिवार ने इच्छामृत्यु की गुहार लगाई। कोर्ट ने इच्छामृत्यु की इजाजत देने से इनकार कर दिया। 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि उन्हें इच्छामृत्यु की इजाजत नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा कि अरुणा के मां-बाप नहीं हैं। उनका कोई रिश्तेदार भी सेवा का इच्छुक नहीं है लेकिन अस्पताल में जिस तरह से उनकी देखरेख की गई है। इससे केईएम अस्पताल ही इसका फैसला कर सकता है। कोर्ट ने कहा था कि अगर उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम से हटाकर परिवार या रिश्तेदारों को सौंप दिया जाएगा तो देश में ऐसे केसों की खतरा बढ़ेगा और इसका गलत इस्तेमाल होने लगेगा। प्रॉपर्टी हथियाने के लिए भी लोग इसका इस्तेमाल करने लगेंगे। इसके बाद 18 मई 2015 को उन्होंने दम तोड़ दिया।
दोषी को सिर्फ सात साल की सजा
अरुणा शानबाग के दोषी सोहनलाल को कोर्ट ने सात साल जेल की सजा सुनाई थी। 1980 में ही व रिहा हो गया था। जानकारी के मुताबिक वह दिल्ली के किसी अस्पताल में नौकरी कर रहा था। अरुणा के कोमा में रहते ही दोषी की मौत हो गई थी। बता दें कि कोलकाता में 9 अगस्त को महिला डॉक्टर का शव सेमीनार हॉल में पाया गया था। ऑटोप्सी में रेप की पुष्टि की गई है। इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है। मामले में एक आरोपी संजय रॉय को गिरफ्तार किया गया है।
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