हिमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ बागी हो रहे BJP नेता? 4 बार के सांसद ने दिया बड़ा झटका
पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया कि पार्टी छोड़ने का एक प्रमुख कारण यह था कि वर्तमान नेतृत्व ने अपने समर्पित जमीनी कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दिया है और पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए अपनी जवानी कुर्बान करने वाले समर्पित कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान नहीं दिया।

असम में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेन गोहेन ने इस्तीफा दे दिया। चार बार के सांसद का इस तरह से इस्तीफा देना सत्ता में आने के बाद से भाजपा के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। खबर है कि इस दौरान उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर भी अप्रत्यक्ष रूप से आरोप लगाए हैं। गोहेन के आरोप हैं कि भाजपा ने राज्य में बाहरी लोगों को बसने की अनुमति देकर जातीय समुदायों को धोखा दिया है।
नगांव से 4 बार के सांसद रहे गोहेन ने 17 समर्थकों के साथ भाजपा को अलविदा कह दिया। वह साल 1999 से 2019 तक नगांव के सांसद रहे। साल 2016 में उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट में भी जगह मिली थी। इसके बाद साल 2019 में उन्हें नगांव सीट से लोकसभा टिकट नहीं मिला और 2024 में भी उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। खास बात है कि दोनों ही बार इस सीट पर कांग्रेस विजयी हुई।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, गोहेन ने कहा, 'हमने इस पार्टी में उन लोगों के लिए नहीं आए थे, जो फिलहाल सत्ता में हैं। हमने अटल बिहारी वाजपेयी, एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और अन्य वरिष्ठ नेताओं से प्रेरित होकर पार्टी ज्वॉइन की थी। लेकिन अब हालात ऐसे कि दूसरे दलों से लोगों को लाने के बाद उन पुराने लोगों को दरकिनार किया जा रहा है, जिन्होंने अपने जीवन का सबसे अच्छा समय भाजपा को दिया।'
रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने आरोप लगाए कि 'असम की जनता की सबसे बड़ी दुश्मन भाजपा है।' उन्होंने आरोप लगाए हैं कि साल 2023 में हुए परिसीमन में अहोम जैसे समुदायों का वर्चस्व कम हो गया है। गोहेन अहोम समुदाय से आते हैं। उन्होंने कहा, 'असम विधानसभा में करीब 30-40 सीटों का फैसला अहोम समुदाय करता था, लेकिन आज एक भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहां वह टिकट के लिए अपना दावा पेश कर सके।'
रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने आगे कहा, 'पूरा समुदाय बिखर गया है। जो राजनीतिक दबदबा उन्हें मिलना चाहिए था, अब वह नहीं है...। आज अशोक सिंघल असम की किसी भी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं, क्योंकि किसी भी समुदाय के पास निर्णायक शक्ति नहीं बची है।' सिंघल अभी सरमा कैबिनेट में मंत्री हैं।
गोहेन ने पीटीआई भाषा से बातचीत में कहा कि उन्होंने इस्तीफा इसलिए दिया क्योंकि पार्टी 'असम के लोगों से किए गए वादों को पूरा करने में विफल रही और बाहरी लोगों को राज्य में बसने की अनुमति देकर जातीय समुदायों के साथ विश्वासघात किया।' उन्होंने पार्टी के राज्य नेतृत्व पर ‘सांप्रदायिक राजनीति को बढ़ावा देने और सदियों पुराने असमिया समाज को विभाजित करने’ का भी आरोप लगाया।
गोहेन ने कहा कि उनका पार्टी से मोहभंग हो गया है, क्योंकि पार्टी ने मूल निवासियों से किये गए वादों को पूरा नहीं किया है। उन्होंने दावा किया, 'राज्य में मौजूदा भाजपा नेतृत्व ने स्थानीय असमिया लोगों की जमीन और संसाधनों की कीमत पर बाहरी लोगों को बसने की अनुमति दी।' गोहेन ने अवैध आव्रजन के विवादास्पद मुद्दे पर सरकार के दृष्टिकोण की आलोचना की, जो भाजपा के पहले के अभियानों का एक केंद्रीय मुद्दा था।
उन्होंने आरोप लगाया, 'सरकार ने वादा किया था कि 16 मई 2014 के बाद असम में एक भी बांग्लादेशी नहीं रहेगा, लेकिन लगातार नई-नई तरकीबों के जरिए वह बांग्लादेशियों को ला रही है।'
पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया कि पार्टी छोड़ने का एक प्रमुख कारण यह था कि वर्तमान नेतृत्व ने अपने समर्पित जमीनी कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दिया है और पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए अपनी जवानी कुर्बान करने वाले समर्पित कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान नहीं दिया, यहां तक कि 2016 में राज्य में सरकार बनने के बाद भी।
एक और दिग्गज छोड़ चुके साथ
अगस्त में वरिष्ठ भाजपा नेता अशोक शर्मा ने कांग्रेस का दमन थाम लिया था। एक्सप्रेस के अनुसार, उन्होंने इसकी वजह सरमा के प्रभाव वाली प्रदेश इकाई का दबदबा बताया था।




