पोलाची रेप कांड के सभी 9 आरोपी दोषी करार, क्या था देश को झकझोर देने वाला मामला?
छह साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, सभी नौ आरोपियों का दोषी ठहराया जाना न केवल पीड़िताओं के लिए न्याय की जीत है, बल्कि यह समाज को यह संदेश देता है कि यौन अपराधों के खिलाफ कठोर कार्रवाई संभव है।

मंगलवार 13 को मई कोयंबटूर की महिला अदालत ने तमिलनाडु के पोलाची यौन उत्पीड़न मामले में सभी नौ आरोपियों को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सभी नौ लोगों को आपराधिक साजिश, यौन उत्पीड़न, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और जबरन वसूली सहित कई आरोपों में दोषी पाया गया। 2019 में इस पूरे मामले ने देश को झकझोर कर रख दिया था। यह मामला न केवल अपनी क्रूरता के कारण सुर्खियों में रहा, बल्कि इसने सामाजिक, राजनीतिक और कानूनी स्तर पर भी व्यापक बहस छेड़ दी। आइए, इस मामले के पूरे घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।
मामले की शुरुआत: फरवरी 2019
पोलाची, कोयंबटूर जिले का एक छोटा सा शहर है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। यह शहर फरवरी 2019 में एक भयावह यौन उत्पीड़न और ब्लैकमेलिंग रैकेट के केंद्र में आ गया। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब एक 19 वर्षीय कॉलेज छात्रा ने 24 फरवरी 2019 को पोलाची पूर्व पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। उसने आरोप लगाया कि 12 फरवरी 2019 को चार लोगों ने उसे एक कार में यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया, उसका वीडियो बनाया और ब्लैकमेल करने के लिए उसका इस्तेमाल किया।
शिकायत के अनुसार, मुख्य आरोपी सबरीराजन (उर्फ रिश्वंत) पीड़िता का परिचित था। उसने लड़की को एक जरूरी बात के बहाने पोलाची के एक बस स्टॉप पर बुलाया। वहां वह अपने दोस्त थिरुनवुक्करसु के साथ एक कार में मौजूद था। दोनों ने पीड़िता को कार में बैठने के लिए कहा और बातचीत के बहाने उसे धारापुरम रोड की ओर ले गए। कार में दो अन्य लोग, सतीश और वसंतकुमार, भी शामिल थे। इन लोगों ने पीड़िता का यौन उत्पीड़न किया, उसका वीडियो बनाया, उसकी सोने की चेन छीन ली और उसे सुनसान जगह पर छोड़ दिया। बाद में, उन्होंने वीडियो के आधार पर उसे यौन संबंध और पैसे की मांग के लिए ब्लैकमेल किया।
रैकेट का खुलासा
पीड़िता ने शुरू में डर के कारण अपने परिवार को इस घटना के बारे में नहीं बताया। लेकिन जब आरोपियों ने बार-बार ब्लैकमेलिंग शुरू की, तो उसने अपने भाई सुभाष को आपबीती सुनाई। सुभाष और उसके दोस्तों ने थिरुनवुक्करसु और सबरीराजन को ट्रैक किया और उनके मोबाइल फोन जब्त किए। इन फोनों में कम से कम तीन अन्य महिलाओं के वीडियो मिले, जिन्हें भी इसी तरह ब्लैकमेल किया गया था। पीड़िता के परिवार ने इन फोनों को पुलिस को सौंप दिया, जिसके बाद पुलिस ने 24 फरवरी को सबरीराजन, थिरुनवुक्करसु, सतीश और वसंतकुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता कई धाराओं और तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम की धारा 4 के तहत प्राथमिकी दर्ज की।
फेसबुक से जाल बिछाया, फिर व्हाट्सऐप पर नजदीकियां
पुलिस जांच में यह सामने आया कि यह कोई सिंगल घटना नहीं थी, बल्कि एक संगठित अपराध रैकेट था, जो 2013 से चल रहा था। आरोपी फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाकर युवतियों से दोस्ती करते थे। इसके बाद व्हाट्सऐप पर संपर्क बढ़ाते और मिलने के बहाने उन्हें सुनसान जगहों पर ले जाकर यौन उत्पीड़न करते। इस दौरान अन्य साथी चुपचाप वीडियो रिकॉर्ड करते और फिर इन्हीं वीडियो का इस्तेमाल करके महिलाओं को बार-बार ब्लैकमेल किया जाता। पीड़िताएं चेन्नई, कोयंबटूर, सलेम आदि सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों से थीं। इनमें स्कूल और कॉलेज की छात्राएं, शिक्षिकाएं, डॉक्टर और अन्य प्रोफेशनल महिलाएं शामिल हैं। तमिल पत्रिका नक्कीरन ने दावा किया कि इस रैकेट में 275 लड़कियों और 1,100 वीडियो शामिल थे। पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल फोन और लैपटॉप से कई वीडियो बरामद किए, जो इस रैकेट की भयावहता को दर्शाते थे।
राजनीतिक विवाद
इस मामले ने जल्द ही राजनीतिक रंग ले लिया। एक आरोपी, ‘बार’ नागराज अन्नाद्रमुक (एआईएडीएमके) के स्थानीय कार्यकर्ता और वार्ड 34 के अम्मा पेरावाई का पदाधिकारी था। उसने पीड़िता के भाई पर हमला किया था ताकि वह शिकायत वापस ले। इसके बाद एआईएडीएमके ने नागराज को पार्टी से निष्कासित कर दिया।
तत्कालीन विपक्षी दल द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया। डीएमके सांसद कनिमोझी ने 12 मार्च 2019 को पोलाची में विशाल प्रदर्शन का नेतृत्व किया, जिसमें करीब 1,000 कॉलेज छात्रों ने हिस्सा लिया। कनिमोझी ने आरोप लगाया कि एआईएडीएमके सरकार आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है और पुलिस ने पीड़िता की पहचान उजागर करके अन्य पीड़िताओं को डराने का काम किया। उन्होंने पोलाची में पिछले सात वर्षों में हुई सभी महिला आत्महत्याओं की जांच की मांग भी की।
शिकायतकर्ता की पहचान उजागर, वीडियो हुए वायरल
मार्च में कोयंबटूर के पुलिस अधीक्षक आर. पांडियाराजन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीड़िता का नाम और कॉलेज का विवरण सार्वजनिक कर दिया, जो सुप्रीम कोर्ट के 2018 के दिशानिर्देशों का उल्लंघन था। वहीं, आरोपियों के मोबाइल से मिले वीडियो क्लिप्स सोशल मीडिया पर लीक हो गए और कम से कम तीन वीडियो टीवी चैनलों व इंटरनेट पर वायरल हो गए। एक वीडियो में एक युवती रोती हुई दिखाई देती है, जो कह रही है: "प्लीज अन्ना, मत मारो, मत मारो..."। कई पुरुष कमरे में मौजूद हैं और एक बेल्ट जैसा कुछ पकड़े हुए है। वह युवक को ‘रिश्वंत’ नाम से संबोधित करती है और कहती है, "मैंने तुम पर दोस्त की तरह भरोसा किया, फिर ऐसा क्यों कर रहे हो?"
तमिलनाडु सरकार ने भी सीबीआई को जांच सौंपने के आदेश में पीड़िता का नाम उजागर किया, जिसकी विपक्ष और कार्यकर्ताओं ने कड़ी आलोचना की। मलाला कोर्ट ने सरकार को पीड़िता की गोपनीयता, गरिमा और छवि के उल्लंघन के लिए 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।
जांच और गिरफ्तारियां
पुलिस की प्रारंभिक जांच में देरी और कथित लापरवाही के कारण जनता में आक्रोश बढ़ा। पोलाची पुलिस ने शुरू में पीड़िता की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने में देरी की और सबूतों, जैसे आरोपियों के फोन, की जांच में ढिलाई बरती। इस बीच, पीड़िता के भाई पर हमले के मामले में चार अन्य लोगों—टी. सेंथिल, पी. बाबू, के. वसंतकुमार और नागराज—को गिरफ्तार किया गया।
11 मार्च 2019 को, पोलाची पुलिस ने चार मुख्य आरोपियों के खिलाफ कठोर गुंडा एक्ट लागू करने की सिफारिश की। हालांकि, पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठने और व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद, तमिलनाडु सरकार ने 12 मार्च 2019 को मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया। सीबीआई ने 25 अप्रैल 2019 को जांच शुरू की और 28 अप्रैल को दो प्राथमिकी दर्ज कीं- एक यौन उत्पीड़न के मामले में और दूसरी पीड़िता के भाई पर हमले के मामले में।
सीबीआई ने मई 2019 में थिरुनवुक्करसु के फार्महाउस का दौरा किया और पुष्टि की कि वहां कई यौन उत्पीड़न की घटनाएं हुई थीं। 24 मई 2019 को, सीबीआई ने पांच आरोपियों- सबरीराजन, थिरुनवुक्करसु, सतीश, वसंतकुमार और आर. मणिवन्नन (उर्फ मणि - के खिलाफ पहला आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें कहा गया कि यह एक संगठित अपराध समूह था। मार्च 2019 में मणिवन्नन ने कोयंबटूर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत में आत्मसमर्पण किया और स्वीकार किया कि उसने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर कई महिलाओं का बलात्कार किया और वीडियो बनाए।
जनवरी 2021 में, सीबीआई ने तीन और आरोपियों- अरुलनंतम (एआईएडीएमके छात्र विंग के पोलाची टाउन सेक्रेटरी), हेरॉन पॉल और बाबू - को गिरफ्तार किया। बाद में, नौवें आरोपी, एम. अरुणकुमार, को भी गिरफ्तार किया गया। सभी नौ दोषी - 32 वर्षीय सबरीराजन उर्फ रिश्वंत, 34 वर्षीय थिरुनावुकरसु, 30 वर्षीय टी वसंत कुमार, 33 वर्षीय एम सतीश, आर मणि उर्फ मणिवन्नन, 33 वर्षीय पी बाबू, 32 वर्षीय हारून पॉल, 39 वर्षीय अरुलानन्थम और 33 वर्षीय अरुण कुमार 2019 में गिरफ्तारी के बाद से सलेम सेंट्रल जेल में बंद हैं।
महिला अदालत में सुनवाई
महिला अदालत, कोयंबटूर में जज आर. नंदिनी देवी की अध्यक्षता में इस मामले की सुनवाई हुई। 11 नवंबर 2021 को, सभी नौ आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए, जिनमें आईपीसी की धारा 354A (यौन उत्पीड़न), 354B (कपड़े उतारने के इरादे से हमला), 392 (डकैती), 376 (बलात्कार), और अन्य धाराएं, साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम की धाराएं शामिल थीं।
सीबीआई ने जनवरी 2024 में थिरुनवुक्करसु के फार्महाउस से बरामद कुछ दस्तावेज, डायरी और लगभग 30 कॉम्पैक्ट डिस्क (सीडी) को सबूत के रूप में पेश किया। इन सीडी में कुछ वीडियो में आरोपी दिखाई दिए। अदालत ने इन सामग्रियों को मामले में सबूत के रूप में स्वीकार किया और आरोपियों को इनकी प्रतियां दी गईं।
पोलाची की लड़कियों को मिल रही बदनामी, शादियों पर असर
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस कांड का खामियाजा पोलाची की आम लड़कियों को भी भुगतना पड़ा। उसी साल एक 20 वर्षीय छात्रा ने कहा, "फेसबुक पर लोग कह रहे हैं कि पोलाची की लड़कियों से शादी नहीं करनी चाहिए। मेरे माता-पिता अब जल्दबाजी में मेरी शादी कर देना चाहते हैं, मानो हम सोशल मीडिया पर कोई गुनाह कर रहे हों।"
13 मई 2025: फैसले का दिन
13 मई 2025 को, महिला अदालत ने सभी नौ आरोपियों को बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, एक ही पीड़िता के बार-बार बलात्कार, आपराधिक साजिश, यौन उत्पीड़न और ब्लैकमेलिंग के आरोपों में दोषी ठहराया।