नॉर्थ ईस्ट के इन राज्यों में फिर बढ़ाई गई AFSPA की अवधि, जानिए क्यों लागू किया जाता है यह कानून
AFSPA लागू होने वाले क्षेत्रों में तैनात सशस्त्र बलों को किसी भी शख्स की तलाशी लेने, गिरफ्तार करने और अगर वे जरूरी समझें, तो गोली चलाने के भी अधिकार होता है। केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों में इस कानून की अवधि छह महीने के लिए बढ़ा दी है।

केंद्र सरकार ने बीते कुछ समय से हिंसा का सामना कर रहे मणिपुर सहित पूर्वोत्तर के कई राज्यों में AFSPA की अवधि को बढ़ाने की घोषणा की है। मणिपुर के अलावा नगालैंड और अरुणाचल के कुछ हिस्सों में भी AFSPA की अवधि को बढ़ा दिया गया है। सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर यह जानकारी दी है। सरकार ने कहा मणिपुर में कानून-व्यवस्था की मौजूदा स्थिति को देखते हुए 13 पुलिस थानों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को छोड़कर राज्य के बाकी हिस्सों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (AFSPA) की अवधि छह महीने के लिए बढ़ा दी गई।
वहीं अधिसूचना के मुताबिक नगालैंड के नौ जिलों और राज्य के पांच अन्य जिलों के 21 पुलिस थाना क्षेत्रों में भी इस कानून की अवधि बढ़ा दी गई है। इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों के अलावा असम से सटे राज्य के नामसाई जिले के तीन पुलिस थाना क्षेत्रों में भी AFSPA लागू कर दिया गया है। सरकार की अधिसूचना में कहा गया है कि AFSPA के तहत तीनों राज्यों के संबंधित क्षेत्रों को दिया गया अशांत क्षेत्र का दर्जा एक अक्टूबर से अगले छह महीने की अवधि के लिए बढ़ा दिया गया है।
गौरतलब है कि मई 2023 से जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी नीत सरकार का नेतृत्व कर रहे एन बीरेन सिंह ने इस साल 9 फरवरी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। राज्य में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन लागू है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर का दौरा कर अलग-अलग संगठनों से शांति की अपील की है। हालांकि इसके कुछ दिन बाद ही उग्रवादियों ने असम रायफल्स के एक वाहन पर घात लगाकर हमला कर दिया था, जिसमें 2 जवान शहीद हो गए थे।
क्या है AFSPA?
यह कानून मूल रूप से 1942 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन के समय लागू किया गया था। भारत की आजादी के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस कानून को जारी रखने का फैसला किया और 1958 में संसद से इसे पास कराया गया। कानून का मुख्य उद्देश्य उग्रवाद से लड़ने के लिए सैनिकों को कुछ विशेष शक्तियां देना था। यह कानून भारतीय सशस्त्र बलों को "अशांत क्षेत्रों" में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष शक्तियां प्रदान करता है। इससे पहले किसी भी क्षेत्र को अशांत घोषित करने के लिए वहां के राज्यपाल की रिपोर्ट पर केंद्रीय सरकार द्वारा अधिसूचना जारी की जाती है, जिसका अर्थ होता है कि वहां शांति बनाए रखने के लिए सशस्त्र बलों की आवश्यकता है।
सेना का मिलते हैं विशेषाधिकार
AFSPA के तहत सशस्त्र बलों के सैनिक किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकते हैं, किसी भी परिसर में प्रवेश कर सकते हैं और किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं, अगर उन्हें लगता है कि वह व्यक्ति सुरक्षा के लिए खतरा है। इस अधिनियम के तहत की गई किसी भी कार्रवाई के लिए केंद्रीय सरकार की मंजूरी के बिना किसी भी सैनिक पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। जहां कुछ मामलों में सैनिकों को बेतहाशा शक्तियों को लेकर कुछ मानवाधिकार समूहों ने इस अधिनियम की आलोचना की है, वहीं दूसरी तरफ सेना इसे उग्रवाद से निपटने के लिए बेहद जरूरी कानून बताती है।




