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पहली पीसी में महिला पत्रकार क्यों नहीं थीं? अफगानिस्तान के विदेश मंत्री ने साफ-साफ बताया

संक्षेप: अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने कहा कि यह महज एक तकनीकी समस्या थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि हमारे सहयोगियों ने पत्रकारों की एक सीमित सूची तैयार की थी, जिसे निमंत्रण भेजा गया। इसमें कोई अन्य उद्देश्य नहीं था।

Sun, 12 Oct 2025 04:47 PMDevendra Kasyap लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली
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पहली पीसी में महिला पत्रकार क्यों नहीं थीं? अफगानिस्तान के विदेश मंत्री ने साफ-साफ बताया

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने रविवार को नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रेस वार्ता में उन्होंने विशेष रूप से महिला पत्रकारों को आमंत्रित किया। पिछली मीडिया इंटरैक्शन में महिला पत्रकारों को शामिल न करने के कारण उन्हें भारी आलोचना का सामना करना पड़ा था। इस बार सफाई देते हुए मुत्तकी ने कहा कि यह महज एक तकनीकी समस्या थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि हमारे सहयोगियों ने पत्रकारों की एक सीमित सूची तैयार की थी, जिसे निमंत्रण भेजा गया। इसमें कोई अन्य उद्देश्य नहीं था। उन्होंने आगे कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस को बहुत कम समय के नोटिस पर बुलाया गया था, और केवल चुनिंदा पत्रकारों को आमंत्रित किया गया। मुत्तकी ने जोर देकर कहा कि यह केवल एक प्रशासनिक फैसला था, जिसमें कोई भेदभाव की मंशा नहीं थी।

भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं

दरअसल, इसको लेकर जमकर सियासत हुई थी। विपक्षी नेताओं ने मोर्चा खोल दिया था। इसके बाद भारत सरकार ने साफ कर दिया कि अफगान विदेश मंत्री की पिछली प्रेस वार्ता के आयोजन में उसकी कोई भूमिका नहीं थी। यह बयान विपक्षी नेताओं के आरोपों के बाद आया, जिन्होंने सरकार पर भारतीय मिट्टी पर भेदभावपूर्ण आयोजन की अनुमति देने का आरोप लगाया था।

किस नेता ने क्या कहा था?

  • लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा कि पीएम मोदी, जब आप सार्वजनिक मंच पर महिला पत्रकारों को बाहर करने की इजाजत देते हैं, तो आप भारत की हर महिला को संदेश देते हैं कि आप उनके लिए खड़े होने में कमजोर हैं। आपकी इस चुप्पी से नारी शक्ति के नारों की खोखलापन साफ झलकता है।
  • कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी पीएम से जवाब मांगा था कि अगर महिलाओं के अधिकारों को मान्यता देना सिर्फ चुनावी ड्रामा है, तो फिर हमारे देश की सबसे योग्य महिलाओं का अपमान कैसे होने दिया गया?
  • तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने इसे 'शर्मनाक' करार देते हुए कहा कि सरकार ने तालिबान मंत्री को महिला पत्रकारों को बहिष्कृत करने की छूट देकर हर भारतीय महिला का अपमान किया है।
  • कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने तीखा प्रहार करते हुए कहा था कि भारत में तालिबान जैसा प्रतिबंध लगाना चौंकाने वाला और अस्वीकार्य है, वो भी अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस की पूर्व संध्या पर।

तालिबान का महिलाओं पर रुख

2021 में सत्ता हथियाने के बाद तालिबान पर महिलाओं के अधिकारों को कुचलने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी निंदा हो रही है। तालिबान ने महिलाओं को छठी कक्षा के बाद शिक्षा से वंचित कर दिया, अधिकांश नौकरियों पर रोक लगा दी, और पार्क, जिम व ब्यूटी पार्लर जैसे सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिबंध थोप दिया। जुलाई में संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान में महिलाओं व लड़कियों के खिलाफ 'गंभीर, बिगड़ते और व्यवस्थित उत्पीड़न' की चेतावनी जारी की, और तालिबान से ऐसी नीतियों को हटाने की मांग की जो उन्हें शिक्षा, रोजगार व सार्वजनिक जीवन से दूर रखती हैं।

दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस की प्रमुख बातें

वहीं, अपनी दूसरी मीडिया मुलाकात में मुत्तकी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ द्विपक्षीय चर्चाओं का जिक्र किया…

  • मुत्तकी ने बताया कि दोनों देश अफगानिस्तान में रुकी विकास परियोजनाओं को फिर से चालू करने पर राजी हो गए। अफगान राजनयिकों के नई दिल्ली दौरे का प्रस्ताव रखा गया, जिसे जयशंकर ने स्वीकार कर लिया।
  • मुत्तकी ने चाबहार बंदरगाह के जरिए व्यापार बढ़ाने पर सहमति जताई और वाघा सीमा को फिर से खोलने का अनुरोध किया, इसे अफगानिस्तान का सबसे नजदीकी व्यापारिक संपर्क बताया। तालिबान सरकार ने भारत में फंसे अफगान कैदियों की रिहाई सुगम बनाने के उपायों पर चर्चा की, साथ ही देवबंद के दारुल उलूम जैसे संस्थानों के साथ छात्र विनिमय कार्यक्रमों की संभावना तलाशी।
  • नई कनेक्टिविटी पहलों में अमृतसर-अफगानिस्तान के बीच उड़ानों की जल्द शुरुआत की घोषणा की गई। महिलाओं की शिक्षा पर मुत्तकी ने दावा किया कि देश के कई क्षेत्रों में महिलाएं व लड़कियां पहले से पढ़ रही हैं, और प्रतिबंध 'कुछ खास इलाकों' तक सीमित हैं। उन्होंने कहा कि हम शिक्षा के खिलाफ नहीं, यह हराम नहीं है।
  • 2021 के तालिबान हमले में मारे गए भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत पर सवाल पर मुत्तकी ने अफसोस जताया। उन्होंने कहा कि हमें हर जान की हानि का दुख है। हमारे चार सालों में किसी रिपोर्टर को नुकसान नहीं पहुंचा।
  • पाकिस्तान के साथ संबंधों पर उन्होंने कहा कि तालिबान को पाकिस्तानी लोगों से कोई शिकायत नहीं, लेकिन कुछ तत्व परेशानी पैदा करते हैं। तालिबान ने पाकिस्तानी शरारतों का जवाब देने के लिए अभियान चलाया है, और किसी तरह के तनाव नहीं चाहते हैं, लेकिन बातचीत नाकाम हो तो अन्य विकल्प भी हैं।
  • अफगानिस्तान की संप्रभुता पर मुत्तकी ने जोर दिया। उन्होंने कहा कि 40 सालों में सोवियत, अमेरिकी, नाटो आए; अब हम आजाद हैं और अपने पैरों पर खड़े हैं। सुरक्षा स्थिति पर चिंताओं को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान सुरक्षित और शांतिपूर्ण है। लोग बेझिझक व्यापार और कारोबार कर सकते हैं; कोई घटना नहीं होती।
  • टीटीपी के ठिकानों की मौजूदगी से इनकार करते हुए कहा कि अफगानिस्तान में टीटीपी का कोई बेस नहीं। यह समस्या हमारी सरकार से पहले की विरासत है, जब अमेरिकी सेना ने उन्हें शरण दी थी।
  • सीमा विवाद पर मुत्तकी ने कहा कि 2500 किमी लंबी पाक-अफगान सीमा पहाड़ी कबायली इलाकों से गुजरती है, जहां कभी चंगेज खान, ब्रिटिश, अमेरिकी या सोवियत का कंट्रोल नहीं रहा। ज्यादातर झड़पें पाकिस्तानी सीमा के अंदर, उनके क्षेत्र में होती हैं। पाकिस्तान को खुद के अंदर झांकना चाहिए।