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चौपहिया का भाई दोपहिया

मोटरसाइकिल से भी पहले साइकिल का आविष्कार हुआ। इसके दो पहिए थे। चालक उसपर बैठकर आज की तरह पैडल मारकर उसे नहीं चलाता था बल्कि उलटी दिशा की ओर पैर से जमीन पर धक्का देते हुए आगे बढ़ता था। यह सन 1800 के...

चौपहिया का भाई दोपहिया
अनिल जायसवाल,नई दिल्लीMon, 29 Jun 2020 06:43 AM
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मोटरसाइकिल से भी पहले साइकिल का आविष्कार हुआ। इसके दो पहिए थे। चालक उसपर बैठकर आज की तरह पैडल मारकर उसे नहीं चलाता था बल्कि उलटी दिशा की ओर पैर से जमीन पर धक्का देते हुए आगे बढ़ता था। यह सन 1800 के आसपास की बात है। उन दिनों इस तरह के साइकिल को हड्डीतोड़ भी कहा जाता था। इसका कारण था उनका असंतुलन और उसके कारण उसके सवार के गिरने पर चोट से हड्डियों का टूटना। इंजन के आविष्कार के बाद साइकिल से आगे कारवां बढ़ा।
पहली बार मोटरसाइकिल बनाने का श्रेय अधिकांश लोग जर्मनी के गोटेब डैमलर को देते हैं। उन्होंने यह मोटरसाइकिल सन 1885 में बनाई। इसमें दो पहिए थे। इसमें स्प्रिरंग का प्रयोग भी किया गया था। इसे बनाने में लकड़ी का ज्यादा प्रयोग किया गया था। पहिए भी लकड़ी के ही थे जिसमें लोहे के उपयोग भी किया गया था। इसमें सिंगल सिलिंडर का इंजन का प्रयोग किया गया था। 
इसके बाद सन 1894 में  म्यूनिख की एक कंपनी हिल्देब्रांड एंड वूल्फम्यूलर ने एक मोटरसाइकिल बनाई। इसे एक सफल मोटरसाइकिल माना गया। इसमें तेल की टंकी नीचे की ओर थी। इसमें पहली बार  एक चेसिस बनाने का प्रयास किया गया। इसके इंजन को ठंडा रखने का लिए वाटर कूल्ड सिस्टम का प्रयोग किया गया। इसके लिए पानी की टंकी की जगह भी मोटरसाइकिल में बनाई गई। 
1895 में फ्रांस की एक कंपनी डी-डियोन ब्यूटन ने एक ऐसा इंजन बनाया, जिसने तहलका मचा दिया। उसने छोटा, हलका और फोर स्ट्रोक सिंगल सिलिंडर का इंजन बनाया। इसे चालू करने के लिए बैटरी और तारों का उपयोग किया गया। आधे हार्सपावर के इस इंजन ने मोटरसाइकिल के उत्पादन को आसान बना दिया। 
पर लोगों में इसकी लोकप्रियता 1910 के बाद बढ़ी। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान सेना के हर विभाग ने मोटरसाइकिल का जमकर उपयोग किया। कहीं पर सूचना पहुंचानी हो या किसी को कहीं छोड़ना हो, मोटरसाइकिल हर मापदंड पर खरी उतरी। युद्ध के बाद इसका उपयोग खेलों में भी होने लगा। पर जल्दी ही लोग इससे ऊबने लगे। नयापन की कमी अथवा इसमें सुधार लाने में कंपनियों की कम रुचि के कारण लोग इससे दूर होने लगे। कंपनियों की समझ में आ गया कि लोगों को मोटरसाइकिल से बांधे रखने के लिए उसमें लगातार बदलाव की जरूरत है। कंपनियों के ध्यान देने पर मोटरसाइकिल की लोकप्रियता फिर बढ़ गई। पर उसका वजन कुछ लोगों को उसे अपनाने से दूर कर रहा था। ऐसे में  पश्चिमी यूरोप और अमेरिका में  साइकिलों में इंजन लगाकर उसे मोटरसाइकिल का रुप देने की कोशिश की गई। उनकी मेहनत रंग लाई 1950 के आसपास  मोटरसाइकिल के छोटे रूप मोपेड का जन्म हुआ। इन्हें मोटरसाइकिल नहीं माना गया। अत: इसे चलाने के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं थी।
लोगों ने इसमें सुधार करना जारी रखा और इटली के इंजीनियरों ने मोटर साइकिल को नया रूप दिया। उसके पहिए छोटे कर दिए गए। चालक के बैठने की आरादायक सीट बनाई गई। इंजन के नीचे लगाया गया, जो सीधे पहिए से जुड़ी रहती थी। इसे नया नाम दिया गया- स्कूटर। 
तब से मोटरसाइकिल के ये तीनों रूप नए रंगरूप में लगातार लोगों को लुभा रहे हैं। परंतु पसंद के मामले में मोटरसाइकिस आज भी सबसे आगे है। आज मोटरसाइकिल उत्पादन में होंडा, यामाहा और भारत की हीरो शीर्ष की तीन कंपनी हैं।

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