गिलहरी
जंगल की सरताज गिलहरी, सबकी प्यारी आज गिलहरी। कुतर-कुतरकर खाती दाना, फल, तरकारी, प्याज गिलहरी। पूंछ फुलाकर हमें सुनाती, चटकीली आवाज गिलहरी। बना चुकी फुनगी-फुनगी को, अपने लिए जहाज गिलहरी। प्यार...

Anil Kumar डॉ. जगदीशचंद्र शर्मा ,नई दिल्लीThu, 04 Jun 2020 08:27 PM
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जंगल की सरताज गिलहरी,
सबकी प्यारी आज गिलहरी।
कुतर-कुतरकर खाती दाना,
फल, तरकारी, प्याज गिलहरी।
पूंछ फुलाकर हमें सुनाती,
चटकीली आवाज गिलहरी।
बना चुकी फुनगी-फुनगी को,
अपने लिए जहाज गिलहरी।
प्यार भरी मीठी बोली से,
करती सब पर राज गिलहरी।
नहीं किसी को होने देती,
पल भर भी नाराज गिलहरी।
