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माचिस की डिबिया

स्कूल की छुट्टी हुई। सभी स्कूल गेट की ओर बढ़ रहे थे। अभेद परेशान सा दिख रहा था। रेहाना ने पूछा, तो उसने घबराते हुए बताया, “अगले हफ्ते से एग्जाम हैं, डर लग रहा है।”  यह सुनकर रेहाना...

माचिस की डिबिया
मनोहर चमोली ‘मनु’,नई दिल्लीTue, 30 Jun 2020 10:49 AM
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स्कूल की छुट्टी हुई। सभी स्कूल गेट की ओर बढ़ रहे थे। अभेद परेशान सा दिख रहा था। रेहाना ने पूछा, तो उसने घबराते हुए बताया, “अगले हफ्ते से एग्जाम हैं, डर लग रहा है।” 
यह सुनकर रेहाना हंस पड़ी, “लगता है, तुम एग्जामोफोबिया के शिकार हो गए हो। मंथली टेस्ट में भी तुम ऐसे ही डरे हुए थे। मार्क्स तो अच्छे ही आए थे तुम्हारे। फिर डर कैसा?” 
अखिल ने चिढ़ाते हुए कहा, “यह ऐसा ही है। जब कभी हम स्कूल के लिए थोड़ा लेट हो जाते हैं, तब भी यह ऐसा ही घबरा जाता है। इसका कुछ नहीं हो सकता।” 
एक के बाद एक सारे दोस्त अभेद को चिढ़ाने लगे, तो रेहाना ने बात बदलते हुए कहा, “बहुत हो गया। तुम सब इसे सपोर्ट करने की जगह इसका मजाक उड़ा रहे हो। अच्छे दोस्त ऐसा नहीं करते।” 
दूसरे दिन स्कूल में लंच ब्रेक हुआ, तो बच्चे मस्ती करने लगे। अभेद चुपचाप एक कोने में अकेला बैठा था। रेहाना ने पूछा, तो अभेद ने कहा, “एग्जाम डेट सुनने के बाद से मेरा तो खाने का मन ही नहीं है। मुझे तो आज रात नींद भी नहीं आएगी।” 
रेहाना पहले तो मुसकराई, फिर धीरे से बोली, “क्या तुम शाम को मेरे घर आ सकोगे? मेरे पास एक जादुई माचिस है।” 
अभेद ने पूछा, “जादुई माचिस?”
रेहाना ने कहा, “हां! उसे मेरे अब्बू को उनके अब्बू ने दी थी। वह करिश्मा करती है। लेकिन उस जादुई माचिस को भूलकर भी किसी को न दिखाना और न ही उसे खोलना। चुपचाप उसे अपने स्कूल बैग में रख लेना।” 
अभेद मुसकरा उठा। खुशी से बोला, “रेहाना, तुम कितनी अच्छी हो। क्या वाकई उस जादुई माचिस से मेरी परेशानी दूर हो जाएगी?” 
रेहाना आंखें मटकाकर बोली, “यह तुम्हें जादुई माचिस रखने के बाद ही पता चलेगा।” 
अभेद ने कहा, “ठीक है, मैं छुट्टी के बाद तुम्हारे साथ तुम्हारे घर चलूंगा।” 
तभी घंटी बजी, सब अपनी क्लास में चले गए। 
छुट्टी हुई, तो अभेद रेहाना के साथ उसके घर चला आया। माचिस देते हुए रेहाना बोली, “मेरी बात तुम्हें याद है न? कल मुझे स्कूल में वापस कर देना।” अभेद ने खुश होकर हां में सिर हिलाया। 
अगले दिन सुबह रेहाना स्कूल गेट पर खड़ी थी। तभी अभेद दौड़ता हुआ आया और माचिस लौटाते हुए बोला, “कमाल हो गया, कल मैंने भरपेट डिनर भी किया और मुझे बढि़या नींद भी आई।” 
रेहाना ने माचिस बैग में रखते हुए कहा, “मैंने कहा था न, यह जादुई माचिस है। अब चलो।” दोनों क्लास की ओर चल पड़े। 
दो-तीन दिन सब ठीक रहा। फिर एक दिन अभेद को परेशान देख, रेहाना ने पूछा, “अब क्या हुआ? तुम फिर परेशान हो क्या?” 
अभेद ने धीरे से कहा, “क्या करूं? पहला ही पेपर मैथ्स का है। मैथ्स से मुझे बहुत डर लगता है।” 
रेहाना ने मुसकराते हुए कहा, “बस इतनी सी बात। घबराओ मत। बिलाल सर कह रहे थे कि हमें यदि कोई परेशानी हो, तो हम उनसेे पूछ सकते हैं। वह हमारी सहायता करेंगे।” 
अभेद ने कहा, “वह तो है। पर मैं ठीक से तैयारी नहीं कर पा रहा हूं। बस मैथ्स का पेपर किसी तरह से निपट जाए।” 
रेहाना ने कहा, “अब हो भी क्या सकता है? कल ही तो मैथ्स का पेपर है। तुम बस रिवीजन करो न।” 
अभेद ने कहा, “हो क्यों नहीं सकता? मैं शाम को तुम्हारे घर आ रहा हूं। प्लीज। बस, आज रात के लिए मुझे वह जादुई माचिस और दे दो।” 
रेहाना ने धीरे से कहा, “ठीक है, लेकिन यह अंतिम बार है। वादा करो कि घर जाते ही खूब अभ्यास करोगे। एक-एक चैप्टर का रिवीजन करोगे। करोगे न?” 
अभेद बोला, “अभ्यास तो मैं कर ही रहा हूं। लेकिन घबराहट है कि जा ही नहीं रही है।” 
शाम को अभेद रेहाना के घर जाकर माचिस की डिबिया ले गया। सुबह वह फिर स्कूल पहुंचा, तो रेहाना उसे स्कूल गेट पर ही मिल गई। अभेद बोला, “यह लो रेहाना। कमाल हो गया। मैंने देर रात तक रिवीजन किया। मैं सुबह जल्दी भी उठ गया। थैंक्स रेहाना।” 
दोनों क्लास की ओर चल पड़े। पेपर खत्म हुआ, तो रेहाना ने अभेद से पूछा, “एग्जाम कैसा हुआ?” 
अभेद मुसकराते हुए बोला, “बहुत अच्छा।” 
“अच्छा ही होना चाहिए। सभी एग्जाम की जमकर तैयारी करो। मैं भी कर रही हूं।” कहकर रेहाना घर चली गई। 
आखिरी पेपर देने के बाद अभेद स्कूल गेट पर खड़ा था। रेहाना को देखकर वह बोला, “मैं आज शाम फिर तुम्हारे घर आ रहा हूं।” 
रेहाना हंस पड़ी, “क्यों? अब तो एग्जाम खत्म हो गए हैं।” 
अभेद ने धीरे से कहा, “तीन दिन की छुट्टी है। फिर रिजल्ट भी तो है। मैं घबराया हुआ हूं। जादुई माचिस ही मुझे शांत रखेगी। प्लीज! मना मत करना। मैं उसे रिजल्ट के दिन वापस ले आऊंगा। इसके बाद फिर कभी नहीं मांगूगा।” 
रेहाना हंस पड़ी। अभेद शाम को माचिस की डिबिया ले गया। तीन दिन बाद स्कूल खुला। अभेद ने माचिस की डिबिया रेहाना को पकड़ा दी। रेहाना ने पूछा, “छुट्टियां कैसी रहीं?”
अभेद ने जवाब दिया, “एकदम मस्त। तीन दिन की छुट्टियां चुटकियों में बीत गईं।” 
रेहाना ने माचिस की डिबिया बैग में रखते हुए कहा, “जल्दी चलो। लगता है, रिजल्ट एनाउंस होने लगे हैं।” 
दोनों ग्राउंड की ओर भागे। वहां दोनों एनाउंसमेंट में अपना नाम सुनकर ठिठक गए। रेहाना मुसकराई। कहने लगी, “अभेद! सुना तुमने! टॉप टेन लिस्ट में तुम्हारा नाम भी पुकारा गया है।” 
अभेद खुशी से उछल पड़ा। कहने लगा, “यह सब जादुई माचिस का कमाल है।”
रेहाना को जोर-जोर से हंसते देख अभेद चुप हो गया। रेहाना ने कहा, “यह सिंपल माचिस थी। जादू कहीं नहीं होता। वह तो हमारे अंदर होता है। यदि तुम टॉप टेन में शामिल हुए हो, तो सिर्फ और सिर्फ अपनी मेहनत और लगन से।” 
अभेद कुछ नहीं बोला। बस चुपचाप वह उस माचिस की डिबिया को देख रहा था, जिसे रेहाना टुकड़े-टुकड़े कर फेंक रही थी। ’ 

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