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एेसी हुई थी फैंटसी कहानियों की शुरुआत

र्मनी में दो भाई थे जैकब और विल्हेम ग्रिम। दोनों को कहानी सुनना बहुत अच्छा लगता था। वे अपने घर के आसपास जो भी मिलता, उनसे कहानी सुनते और उन्हें याद रखते। धीरे-धीरे उनका शौक इतना बढ़ गया कि वे दूर-दूर...

एेसी हुई थी फैंटसी कहानियों की शुरुआत
विमल चतुर्वेदी,नई दिल्ली Wed, 14 Feb 2018 05:28 PM
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र्मनी में दो भाई थे जैकब और विल्हेम ग्रिम। दोनों को कहानी सुनना बहुत अच्छा लगता था। वे अपने घर के आसपास जो भी मिलता, उनसे कहानी सुनते और उन्हें याद रखते। धीरे-धीरे उनका शौक इतना बढ़ गया कि वे दूर-दूर गांवों में जाकर लोगों से कहानियां सुनते। इसके लिए उन्हें काफी समय और पैसा खर्च करना पड़ता था। लोग अपने-अपने बड़े-बूढ़ों से सुनी कहानियां उन्हें सुनाते और दोनों भाई बड़े मजेदार ढंग से उनका तानाबाना बुनकर उन्हें एक अच्छी फैंटेसी कथा की शक्ल दे देते। जब उनके पास कहानियों का खजाना बढ़ने लगा, तो उन्होंने उन्हें किताब के रूप में छपवाना शुरू किया, जिसकी चर्चा दुनिया भर में होने लगी। 
फैंटेसी का इतिहास 
फैंटेसी की शुरुआत पहले लोककथाओंं के द्वारा ही हुई थी। पहले लोग एक-दूसरे को कथा सुनाया करते थे। यह सिलसिला पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहा। बाद में पुस्तकें छापकर साहित्य के रूप में इन्हें संजोया गया और नाटक के रूप में इन्हें प्रस्तुत किया जाने लगा। 20वीं सदी में मीडिया के बहुत से माध्यम जैसे फिल्म, टेलीविजन, ग्राफिक उपन्यास और वीडियो गेम्स आदि से इसकी लोकप्रियता बहुत बढ़ गई।
फैंटेसी का इतिहास बहुत पुराना है। करीब 4000 साल पहले मेसोपोटेमिया (वर्तमान इराक और उसके सीमावर्ती देशों के भाग) के शिलालेखों में महाकाव्य के रूप में फैंटेसी शैली आज भी मौजूद है। प्राचीन एथेंस के कॉमिक लेखक एरिटोफेन ने भी फैंटेसी शैली का इस्तेमाल अपने नाटक ‘द बर्ड’ में किया था। इसमें एथेंस का एक व्यक्ति चिड़ियों के साथ मिलकर बादल में एक शहर बनाता है और यूनान के देवता ज्यूस को चुनौती देता है। 
परी कथाओं का दौर
17वीं सदी में पेरिस के लेखकों ने लोककथाओं को परी कथाओं के तानेबाने में बुनकर फैंटेसी कथाएं लिखनी शुरू कीं। इनमें मैडम डी’अल्नॉय और चार्ल्स पेरोल्ट आदि प्रमुख थे।
19वीं सदी में ग्रिम ब्रदर्स जैकब और विलियम ग्रिम ने तो लोककथाओं से परी कथा बनाने में महारथ ही हासिल कर ली थी। उनकी परी कथाओं में ‘सिंड्रेला’, ‘द फ्रॉग प्रिंस’, ‘स्लीपिंग ब्यूटी’ और ‘स्नो वाइट एंड सेवन ड्वार्फ’ काफी प्रसिद्ध हैं। इसी दौर में डेनमार्क के हैंस क्रिश्चियन एंडरसन ने बच्चों के लिए ढेरों कहानियां लिखीं, जिनका विश्व की 150 भाषाओं में अनुवाद हुआ। उनकी कहानियों में ‘द एंपरर्स न्यू क्लॉथ्स’, ‘द लिटिल मर्मेड’, ‘द नाइटिंगेल’ और ‘द स्नो क्वीन’ बहुत लोकप्रिय रही हैं। आधुनिक फैंटेसी कथा ‘द किंग ऑफ गोल्डन रिवर’ 1841 में जॉन रस्किन ने लिखी थी, पर आधुनिक फैंटेसी साहित्य की शुरुआत जॉर्ज मैकडोनाल्ड से मानी जाती है। स्कॉटलैंड के इस लेखक के उपन्यास ‘द प्रिंसेस एंड द गोबलिन’ और ‘फैंटास्ट्स’ ने 1858 में दुनिया में धूम मचा दी थी। 
साइंस फैंटेसी की शुरुआत
20वीं सदी में बहुत से फैंटेसी लेखक आए, जिनमें एच. रिडर हैगार्ड और रुडयार्ड किपलिंग थे। इस दौरान बच्चों के श्रेष्ठ साहित्य ‘पीटर पैन’ और ‘द वंडरफुल विजार्ड ऑफ ओज’ प्रकाशित हुए। ‘एलिस एडवेंचर्स इन वंडरलैंड’ का इस समय 
काफी प्रभाव रहा। 
1923 में पहली फैंटेसी की पत्रिका ‘वियर्ड टेल’ प्रकाशित हुई। इसके बाद कई और पत्रिकाएं आने लगीं। 1949 में ‘द मैगजीन ऑफ फैंटेसी एंड साइंस फिक्शन’ ने साइंस फैंटेसी की शुरुआत की। 1960 के दशक में जेे.आर.आर. टॉल्किन की ‘द हॉबिट’ और ‘द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स’ नई ऊंचाइयों पर पहुंचीं। कुछ दूसरी सीरीज जैसे कि सी.एस. लुईस की ‘क्रॉनिकल ऑफ नार्निया’ काफी लोकप्रिय हुई। 21वीं सदी में जे.के. रोलिंग की हैरी पॉटर सीरीज ने फैंटेसी को बहुत ऊंचे स्थान पर पहुंचा दिया। 

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