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छेड़ रही मक्खी

मक्खी री मक्खी करती क्यों तंग री, कहती क्या आ-आकर छेड़ रही जंग री! मक्खी री मक्खी जा, चल भाग री, टहले है मुझ पर समझा क्या बाग री! मक्खी री मक्खी तुझको न चैन री, करती...

छेड़ रही मक्खी
नवीन जैन,दिल्लीMon, 06 Apr 2020 05:02 PM
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मक्खी री मक्खी

करती क्यों तंग री,

कहती क्या आ-आकर

छेड़ रही जंग री!

मक्खी री मक्खी

जा, चल भाग री,

टहले है मुझ पर

समझा क्या बाग री!

मक्खी री मक्खी

तुझको न चैन री,

करती हैरान मुझे

होती हैरान री!

मक्खी री मक्खी

आती न हाथ री,

फट से उड़ जाए है

तू बड़ी घाघ री!

नवीन जैन

मक्खी री मक्खी

करती क्यों तंग री,

कहती क्या आ-आकर

छेड़ रही जंग री!

मक्खी री मक्खी

जा, चल भाग री,

टहले है मुझ पर

समझा क्या बाग री!

मक्खी री मक्खी

तुझको न चैन री,

करती हैरान मुझे

होती हैरान री!

मक्खी री मक्खी

आती न हाथ री,

फट से उड़ जाए है

तू बड़ी घाघ री!

 

 

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