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फूल और पौधे भी करते हैं बातें

पौधे बहुत संवेदनशील होते हैं, उन्हें भी अच्छा संगीत प्रभावित करता है। पौधे न सिर्फ किसी चीज को महसूस करते हैं, बल्कि अपनी बात कहते हैं। लेकिन बोलकर नहीं, कुछ दूसरे तरीकों से। वे हमारी तरह ही खतरे को...

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राजीव रंजन,दिल्लीMon, 06 Apr 2020 04:58 PM
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पौधे बहुत संवेदनशील होते हैं, उन्हें भी अच्छा संगीत प्रभावित करता है। पौधे न सिर्फ किसी चीज को महसूस करते हैं, बल्कि अपनी बात कहते हैं। लेकिन बोलकर नहीं, कुछ दूसरे तरीकों से। वे हमारी तरह ही खतरे को भांपकर अपनी रक्षा के उपाय भी करते हैं। अपने साथी पौधों को इसकी सूचना भी देते हैं। ये कोई कल्पना भर नहीं है, बल्कि इसे लेकर कई शोध हुए हैं और उससे ये बातें पता चली हैं। आज हम तुम्हें पौधों के बारे में कुछ ऐसी ही दिलचस्प बातें बता रहे हैं।

अपनी रक्षा के लिए आवाज लगाते हैं पौधे

फूल-पौधे कई बार अपनी सुगंध के जरिए अपनी रक्षा के लिए मदद मांगते हैं। जब कोई कीड़ा पत्तियों, डालियों, फूलों को खा रहा होता है, तो अपनी महक के जरिए पौधे अपने मददगार कीट को आकर्षित करते हैं। ये कीट महक से आकर्षित होकर पौधे के पास आते हैं और उसे नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को खा जाते हैं। जैसे कि तंबाकू का पौधा अपने सलाइवा की मदद से हॉर्नवर्म के कैटरपिलर को पहचान लेता है और फिर एक केमिकल सिग्नल छोड़ता है, जो कैटरपिलर के दुश्मन को आकर्षित करता है। फिर कुछ ही घंटों में कैटरपिलर का दुश्मन इंसेक्ट पौधे के पास आ जाता है और उसे कैटरपिलर से छुटकारा दिला देता है।

खतरे को देख अपनी सुरक्षा बढ़ा देते हैं पौधे

पता है, पौधे अपने आसपास के पौधों के केमिकल सिग्नल्स को समझ सकते हैं और कई बार दूसरे पौधों पर कोई खतरा मंडराता है, तब उस सिग्नल को देखकर अपनी सुरक्षा को बढ़ा देते हैं।

एक-दूसरे से मुकाबला करते हैं

तुम्हें पता है! पौधे सूरज की रोशनी, अपनी पोजीशन के लिए आसपास के पौधों के साथ धक्का-मुक्की भी करते हैं। एक झगड़ालू प्लांट है नैपवीड। नैपवीड की जड़ें एक खास किस्म का केमिकल रिलीज करती हैं, जो उसे मिट्टी से पोषक तत्व प्राप्त करने में मदद करता है। साथ ही वह केमिकल नैपवीड के आसपास की देसी घास को भी खत्म कर देता है। इस तरह नैपवीड अपने आसपास की जगह हथिया लेता है। है न यह स्वार्थी और बदमाश पौधा! लेकिन कुछ पौधे स्मार्ट भी होते हैं और इस केमिकल के खिलाफ सुरक्षा कवच बना लेते हैं। ल्यूपिन की जड़ें ऑक्जेलिक एसिड निकालती हैं, जो नैपवीड द्वारा रिलीज किए जाने वाले नुकसानदायक केमिकल के खिलाफ एक सुरक्षा सीमा बना देती है।

अपने सहोदर (सिबलिंग) को पहचानते हैं पौधे

जब किसी पौधे के पास दूसरा कोई पौधा या पौधे उग रहे होते हैं, तो वह उसे महसूस कर सकता है। किसी भी जीव की तरह उनमें भी अपने सहोदर को पहचानने और मदद करने की प्रवृत्ति होती है। वह सूरज की रोशनी और दूसरी चीजों को हासिल करने में एक-दूसरे की मदद करता है और जब कोई दूसरा पौधा उसके ऊपर छाने लगता है, तो वह भी और बढ़ने लगता है।

फूल-पौधे देते हैं तकलीफ से राहत

जड़ी-बूटियों, फूलों, पत्तियों से बनी चीजों से किसी चीज के इलाज के बारे में तो तुमने सुना ही होगा, लेकिन क्या तुम्हें पता है कि सिर्फ फूलों के बीच मौजूद होने से भी फायदा होता है।

किसी को बस ताजे फूल देने या किसी ऐसी जगह ले जाने से ही आराम मिल जाता है, जहां जाने पर उसकी भावनाओं में बदलाव आ जाते हैं।

तुमने भी नोट किया होगा कि फूलों के बगीचे में जाते ही मन खुश हो जाता है। अगर तुम थके हो, तो थकान दूर हो जाती है।

वास्तव में फूल हमारी उम्मीदों और भावनाओं को भी प्रकट करते हैं। इसीलिए खुशी के मौकों पर फूलों की सजावट की जाती है। शुभ अवसरों पर फूलों की रंगोली बनाई जाती है। ’

सहायता के लिए चमगादड़ों को बुलाते हैं

पौधे केवल कीटों को ही आकर्षित नहीं करते, चमगादड़ जैसे मैमल्स को संदेश भेजकर अपने पास बुला लेते हैं। एक मांसाहारी पिचर प्लांट है, नेपेंथेस हेम्सलेना। उसके पास चमगादड़ (बैट) को आकर्षित करने का एक अनूठा तरीका है। इस पौधे का आकार कटोरे या घड़े जैसा होता है। एक नई स्टडी के मुताबिक, इस पौधे का ढांचा ऐसा होता है कि  जिस कारण चमगादड़ उसके पास खिंचे चले आते हैं और अपने मल-मूत्र के जरिए इस पिचर प्लांट को पोषक तत्व प्रदान करते हैं। 

 

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