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OMG! कुदरत से प्यार हो तो एेसा!

तुमने कई वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी के बारे में सुना होगा, लेकिन आज तुम्हें इंसानों द्वारा बना

Karunaहिन्दुस्तान फीचर टीम ,नई दिल्ली Mon, 21 Aug 2017 01:52 PM

साई सैंक्चुरी, कर्नाटक

 साई सैंक्चुरी, कर्नाटक1 / 2

तुम कभी किसी सैंक्चुरी में गए हो? तुमने वहां पर देखा होगा या वहां के बारे में जरूर सुना होगा..। लंबे-लंबे पेड़-पौधे,  घने-डरावने जंगल और उन सबके बीच एक से बढ़कर एक खतरनाक जीव-जंतु। कुछ यही पहचान होती है सैंक्चुरी की। लोगों के मनोरंजन की मस्ती और प्रकृति के साथ सुकून के दो पल बिताने के लिए यह सबसे मस्त ठिकाना है। वैसे तो अपने देश में कई सारे वन्यजीव अभयारण्य यानी कि वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी हैं, लेकिन वो सभी प्राकृतिक तरीके से तैयार और सरकार द्वारा विकसित हैं। लेकिन तुम यह जानकर चकित रह जाओगे कि देश में एक ऐसी भी वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी है, जो पूरी तरह से मानव निर्मित है। तुम्हें यह सुनकर हैरानी हो रही होगी कि भला वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी इंसानों द्वारा कैसे बनाई जा सकती है... यह बात हैरान करने वाली जरूर है... लेकिन हकीकत यही है। 

यहां है देश की पहली प्राइवेट सैंक्चुरी
अब तुम यह जानने को बेताब होगे कि देश में इतनी अद्भुत और अनूठी सैंक्चुरी है कहां..? तो चलो ये भी जान लीजिए। दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य के कोडगु जिले में स्थित है यह मानव निर्मित वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी। इसका नाम है.. साई सैंक्चुरी।

26 साल की मेहनत का परिणाम
पेड़ों की कटाई और जंगलों का विनाश कुछ घंटों और महज कुछ ही दिनों में हो जाता है.. लेकिन किसी पेड़ को बड़ा करने में और उसे जंगल बनाने में कई सालों का लंबा समय लग जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ है इस सैंक्चुरी के साथ भी। कभी वीरान हो चुके इस जंगली इलाके को घने जंगल और सैंक्चुरी में तब्दील करने में 26 साल का लंबा समय लग गया। पामेला गेल मल्होत्रा और उनके पति अनिल मल्होत्रा के 26 साल के अथक प्रयासों के बाद इसे आज ऐसा रूप दिया गया है।

पामेल गेल मल्होत्रा और अनिल मल्होत्रा

पामेल गेल मल्होत्रा और अनिल मल्होत्रा 2 / 2

300 एकड़ में 200 से ज्यादा प्रजातियां
मल्होत्रा दंपति ने मिलकर इसे ऐसा बनाया है कि देखने वाले इसके कायल हो जाते हैं। 300 एकड़ के विशाल दायरे में फैली इस सैंक्चुरी में दुनियाभर में पाए जाने वाले 200 तरह के दुर्लभतम पेड़-पौधे और जीव-जंतुओं की प्रजातियों को बसाया गया है। यहां पर अति दुर्लभतम एशियन हाथी भी मौजूद है और बंगाल टाइगर भी। इसके अलावा तमाम तरह के जीव-जंतुओं से भी तुम रूबरू हो सकते हो। अबकी बार जब भी तुम्हें छुट्टी मिले, तुम इसकी सैर पर जरूर जाना। देखना, तुम्हें बहुत मजा आएगा।

जहां था सूखा...अब है हरियाली
आज अगर तुम इस सैंक्चुरी की तस्वीर देखोगे या वहां जाओगे तो वहां की हरियाली देख कर उसके कायल हो जाओगे। लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब यह बिल्कुल वीरान इलाका हुआ करता था। 1991 में जब मल्होत्रा दंपति ने इस इलाके को खरीदा था तो किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि कुछ सालों बाद यह इतना खूबसूरत और विशाल जंगल में बदल जाएगा। अब यह सैंक्चुरी लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गयी है। 
 

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