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बेस्ट एक्टर

  प्रेयर  के बाद सभी बच्चे अपनी-अपनी क्लास में पहुंच गए थे। पहला पीरियड शुरू होने में कुछ समय बाकी था। रोज की तरह सातवीं कक्षा में पड़ने वाला अभिजीत टीचर की कुरसी पर एक खास अंदाज में जाकर...

बेस्ट एक्टर
विज्ञान भूषण,नई दिल्लीTue, 17 Apr 2018 01:14 PM
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प्रेयर  के बाद सभी बच्चे अपनी-अपनी क्लास में पहुंच गए थे। पहला पीरियड शुरू होने में कुछ समय बाकी था। रोज की तरह सातवीं कक्षा में पड़ने वाला अभिजीत टीचर की कुरसी पर एक खास अंदाज में जाकर बैठ गया। क्लास में सभी बच्चों ने उसे इस तरह देखकर हंसना शुरू कर दिया। कुछ सेकंड के बाद वह खड़ा हुआ और रूमाल से अपना माथा पोंछते हुए मुंह बनाकर बोला, “जब तक मैं अटेंडेंस लेता हूं, तुम लोग साइंस की किताब में वही अध्याय खोलो, जिसे मैं कल पढ़ा रहा था। अंडरस्टैंड!” इतना कहकर दो बार धीरे-धीरे खांसने की आवाज निकाली। उसकी एक्टिंग देखकर सारे विद्यार्थी एक साथ खिलखिला कर हंस पड़े। 
तभी पहली पंक्ति में बैठा रमन बोला, “अभि, अपनी सीट पर आ जा, त्रिपाठी सर आने ही वाले हैं, जिनकी तू एक्टिंग कर रहा है।”
अभिजीत ने एक बार क्लास के दरवाजे की ओर देखा और फिर भागकर रमन की बगल में अपनी सीट पर बैठ गया। कुछ ही मिनटों में साइंस के टीचर त्रिपाठी सर क्लास में आ गए। उन्होंने जैसे ही रूमाल से अपना माथा पोंछते हुए कहा, “मैं जब तक अटेंडेंस लेता हूं, आप लोग साइंस की किताब में वही अध्याय खोलिए, जिसे मैं कल पढ़ा रहा था। अंडरस्टैंड!” और फिर वह दो बार धीरे से खांसे। सारे बच्चे अपना मुंह दबाकर हंसने लगे और अभिजीत की तरफ देखने लगे। अभि गर्व के साथ धीरे-धीरे मुसकरा रहा था। यह रोज की ही बात थी। अभिजीत अपने हर टीचर की एक्टिंग किया करता था। सारे बच्चे उसे देखकर खूब हंसते और उसे लगता उसके जैसी एक्टिंग कोई नहीं कर सकता।
एक दिन सुबह प्रेयर में प्रिंसिपल सर ने कहा, प्यारे बच्चो, आपको यह जानकर खुशी होगी कि आपको म्यूजिक सिखाने के लिए हमने एक नए टीचर को नियुक्त किया है। अभय शंकर द्विवेदी आपको म्यूजिक सिखाएंगे। साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन की भी जिम्मेदारी संभालेंगे। मुझे यकीन है कि इनके साथ आप लोग म्यूजिक के अलावा अपनी अन्य प्रतिभा को भी जरूर निखारेंगे।” 
अभय सर जैसे ही सामने आए, सभी विद्यार्थियों ने ताली बजाकर उनका स्वागत किया। लेकिन अभिजीत के चेहरे पर शरारती मुसकान तैर गई। उसने सोचा, ‘चलो, एक्टिंगकरने के लिए एक और नया करैक्टर मिल गया।’
अगले दिन तबीयत खराब होने की वजह से त्रिपाठी सर स्कूल नहीं आए। प्रिंसिपल सर ने अभय सर को सातवीं क्लास में जाने को कहा। वह अभी क्लास के दरवाजे के पास पहुंचे ही थे कि उन्हें अंदर से अभिजीत की बनावटी आवाज सुनाई पड़ी। उन्होंने धीरे से झांककर देखा कि वह त्रिपाठी सर की नकल कर रहा है। वह बहुत ध्यान से उसकी एक्टिंग देखते रहे, फिर कुछ मिनट बाद मुसकराते हुए क्लास में आ गए। 
उन्हें अचानक देखकर सारे विद्यार्थी हड़बड़ा गए। अभिजीत तुरंत अपनी सीट की ओर भागा। उसे तो लगा था कि आज त्रिपाठी सर नहीं आए हैं, तो पूरे पीरियड मस्ती करेंगे। पर यह नए वाले अभय सर कहां से आ गए! अभि अपनी सीट पर बैठा हांफने लगा। 
अभय सर ने देखा कि वह थोड़ा घबराया हुआ भी है। वह अभिजीत के पास गए और उसके गाल थपथपाते हुए मुसकराकर बोले, “बेटा, रूमाल से अपना माथा पोंछ लो, जैसे अभी त्रिपाठी सर की एक्टिंग करते हुए माथा पोंछ रहे थे।” 
अभिजीत की घबराहट और बढ़ गई। उसे लगा कि आज तो बहुत डांट पड़ने वाली है। उसने अपना सिर झुका लिया। पूरी क्लास में सन्नाटा छा गया। सारे बच्चे भी यही सोचने लगे कि आज तो अभिजीत को सजा मिलेगी। हो सकता है कि अभय सर प्रिंसिपल सर को भी बता दें। अभि को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। उसका गला सूखने लगा। अभय सर सब समझ रहे थे। उन्होंने अभिजीत के बैग से पानी की बोतल निकालकर उसे देते हुए कहा, “इसे पी लो।” 
फिर अपनी कुरसी पर आकर बैठ गए और पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है बेटा?”
अभिजीत ने डरते हुए जवाब दिया, “सर... अभिजीत...!”
“बहुत सुंदर, अच्छा अभिजीत, आपकी एक्टिंग देखकर मेरे मन में एक आइडिया आया है और...” 
अभय सर की बात अभी पूरी भी नहीं हो पाई थी कि अभिजीत  बोल पड़ा, “सॉरी सर, मुझे एक्टिंग नहीं आती। वह तो ऐसे ही...”
अभय सर ने समझाया, “इसमें घबराने या छिपाने की क्या बात है? यह तो टैलेंट है। ऐसा हर कोई नहीं कर सकता अभिजीत।”
“तो क्या आप मेरी शिकायत त्रिपाठी सर या प्रिंसिपल सर से नहीं करेंगे?” अभिजीत ने डरते हुए पूछा।
“नहीं, पर अगर तुम मुझ से दो प्रॉमिस करो।” 
“वह क्या सर?” अभिजीत की उत्सुकता बढ़ने लगी।
“पहला, आगे से कभी किसी टीचर की एक्टिंग नहीं करोगे। उनका मजाक नहीं उड़ाओगे और दूसरा, अपने टैलेंट को सही जगह सही तरह से जरूर दिखाओगे।”
अभय सर की बात सुनकर अभिजीत की आंखों में खुशी और पश्चाताप के भाव एक साथ उभर आए। वह बोला, “सर, मैं आपसे प्रॉमिस करता हूं, पर मुझे अपना टैलेंट कहां दिखाना होगा?”
अभिजीत की बात से अभय सर खुश हुए और बोले, “वैरी गुड, मैं स्कूल के सालाना जलसे में अकबर-बीरबल की हास्य नाटिका करवाना चाहता हूं और उसमें बीरबल की भूमिका तुम निभाओगे। बोलो मंजूर है?”
अभिजीत को यकीन नहीं आ रहा था कि सर उसे सच में ड्रामा में एक्टिंग का प्रस्ताव दे रहे हैं। 
उस दिन से अभिजीत ने अपने किसी भी टीचर की एक्टिंग करना बंद कर दिया, लेकिन अभय सर के साथ ड्रामा के लिए बीरबल के किरदार की मन से प्रैक्टिस करने लगा। कुछ दिनों बाद स्कूल के सालाना जलसे में अकबर-बीरबल की हास्य नाटिका को सबने खूब पसंद किया। विशेष रूप से बीरबल की भूमिका निभाने वाले अभिजीत की सभी तारीफ कर रहे थे। नाटिका के अंत में प्रिंसिपल सर ने अभिजीत को बेस्ट एक्टर का प्राइज दिया। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। प्राइज लेकर वह स्टेज से ही अपने प्यारे अभय सर को खोजने लगा।
अभय सर स्टेज के एक किनारे खड़े होकर मुसकराते हुए ताली बजा रहे थे। उनसे नजर मिलते ही अभिजीत की आंखों से खुशी के आंसू छलक आए। 

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