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परी की परीक्षा

परी अपनी बच्चा टोली के साथ घर के पास वाले बगीचे में खेल रही थी। बगीचा पेड़-पौधों और झाडि़यों से भरा था। यहां पूरी टोली खूब मौज-मस्ती और धूम-धड़ाका करती थी। हर रोज स्कूल से आने के बाद परी के दोस्त...

परी की परीक्षा
योगिता भाटिया,दिल्लीMon, 06 Apr 2020 05:41 PM
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परी अपनी बच्चा टोली के साथ घर के पास वाले बगीचे में खेल रही थी। बगीचा पेड़-पौधों और झाडि़यों से भरा था। यहां पूरी टोली खूब मौज-मस्ती और धूम-धड़ाका करती थी। हर रोज स्कूल से आने के बाद परी के दोस्त सुहानी, खुशी, टिंकू, आर्य, जिया और मृदु की टोली का काम ही था, खेलो-कूदो, नाचो-गाओ, शोर मचाओ और मजे उड़ाओ। सभी बच्चे मोहल्ले के पास वाले स्कूल में पांचवीं क्लास में पढ़ते थे। 
एक दिन खेलते-खेलते शाम के पांच बज गए थे। अंधेरा घिरना शुरू हो चुका था। सभी छुपन-छुपाई खेल रहे थे। अपनी-अपनी मम्मी और घरवालों की आवाज सुनकर सभी बच्चे बाहर आ गए, पर पूरी टोली में से आर्य कहीं नजर नहीं आ रहा था। सारे बच्चे उसे ढूंढ़ने और आवाजें देने लगे, पर आर्य का कोई जवाब नहीं आ रहा था। सभी सोचने लगे, ह्यमालूम नहीं आर्य कहां गया। जैसे-जैसे घरों से बच्चों को बुलाने के लिए आवाजें बढ़ने लगीं एक-एक कर सभी बच्चे कल खेलने का वादा कर घर की ओर दौड़ने लगे। सुहानी, खुशी, टिंकू, जिया और मृदु सभी घर की ओर चल दिए।
परी ने सबको रोकते हुए कहा, ''नहीं, हम अभी घर नहीं जा सकते, जब तक आर्य को ढूंढ़ नहीं लेते।''
सभी बच्चे आर्य को ढूंढ़ने लगे। तभी परी ने कहा, ''एक साथ ढूंढ़ने से कोई फायदा नहीं। कुछ मेरे साथ आओ और कुछ उस तरफ जाओ।'' परी, खुशी और मृदु एक तरफ ढूंढ़ने चल दिए। सुहानी, जिया और टिंकू दूसरी तरफ। ढूंढ़ते-ढूंढ़ते परी को कुछ आवाजें सुनाई पड़ीं। दबी-दबी आवाजें फुसफुसाने की। परी और बच्चे डरते-डरते उस दिशा में बढ़ने लगे।
अंधेरा बढ़ रहा था। बच्चों का डर भी बढ़ता जा रहा था। आवाज की दिशा में बढ़ते समय परी और उसके साथियों का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। वे दबे पांव आगे बढ़ रहे थे, तभी उन्होंने दूर से एक झाड़ी में आर्य को बेहोश देखा और दो लड़कों को जिन्होंने काले कपड़ों से मुंह ढका हुआ था, उसके पास बैठा पाया। ऐसा लग रहा था कि वे अधिक अंधेरा होने के इंतजार में छुपकर बैठे थे।
बच्चे झाड़ी में छिपे उन लड़कों को पहचानने की कोशिश कर रहे थे, किंतु अंधेरा होने के कारण वे उन्हें पहचान नहीं पा रहे थे। उन्हें यह भी डर लग रहा था कि कहीं वे लड़के उन्हें न देख लें। साथ-साथ उन्हें अपने मित्र आर्य की भी चिंता हो रही थी कि कहीं वे इधर-उधर हुए, तो आर्य को वे कुछ कर न दें।
बच्चे घबरा रहे थे। परी ने अपने दोस्तों से कहा, ''यह हमारी परीक्षा की घड़ी है। परेशानी में दोस्तों को छोड़कर नहीं भागना चाहिए, बल्कि धैर्य और साहस से काम लेते हुए समस्या को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।'' फिर परी ने कुछ सोचते हुए कहा, ''खुशी, तुम घर की तरफ जाओ और सभी को बुलाकर लाओ और मृदु तुम जिया की टोली को जाकर बताओ कि आर्य यहां पर बेहोश पड़ा है।'' 
इधर जिया की टोली को झाड़ी के पास एक छुपी हुई सफेद वैन दिखाई दी। वे सोचने लगे कि जब हम लोग खेलने आए थे, तब तो यहां कोई वैन नहीं थी। अब यह कहां से आ गई। तभी मृदु ने आकर जिया को सारी बातें बताईं। जिया समझ गई कि यह वैन आर्य को किडनैप करके ले जाने के लिए है। जिया और उसके साथियों ने वैन की हवा निकाल दी और परी के पास पहुंच गए। इधर अकेले खड़ी परी का डर और बढ़ता जा रहा था, लेकिन वह उन दोनों लड़कों और बेहोश पड़े आर्य पर नजर रखे हुए थी। अपने साथियों को देखकर परी का हौसला बढ़ गया।
इधर ढूंढ़ते हुए आ रहे मम्मी-पापा के पास खुशी भागते हुए गई और सारी बातें बताईं। मम्मी-पापा और पड़ोसी ने पुलिस को फोन कर दिया और परी के पास पहुंच गए। उनके मम्मी-पापा ने दोनों चोरों को पकड़ लिया। तब तक पुलिस भी वहां आ गई। दोनों अपहरण कर्ताओं को पुलिस के हवाले कर दिया गया। बच्चों की सतर्कता से आर्य बच गया। सभी ने बच्चों के साहस की तारीफ की।
अगले दिन यह बात आस-पास के गांवों में फैल गई। स्कूल में परी की सूझ-बूझ के लिए उसे इनाम दिया गया। पर परी ने अकेले इनाम लेने से मना कर दिया। उसने बताया कि इस इनाम के हकदार उसके सभी साथी हैं और स्टेज पर उसने अपने सभी साथियों को भी बुला लिया। प्रिंसिपल ने परी से कहा, ''आज तुम एक साथ दो परीक्षाओं में पास हो गईं।'' 
परी हैरानी से बोली, ''मेरी परीक्षा तो अभी हुई ही नहीं, फिर मैं पास कैसे हो गई?''
उन्होंने कहा, ''तुम जीवन के दो पाठों में पास हो गई हो। एक तो ह्यसच्ची मित्रताह्ण। दूसरा स्कूल में पढ़ाया जाने वाला बहादुरी और कर्तव्य-पालन का पाठ। जब तक हम सीखे गए विषय को अपने व्यवहार में शामिल नहीं करते, तब तक वह अधूरा होता है। तुमने टीचर द्वारा पढ़ाए गए उस पाठ को जिसमें सच्चे मित्र की परिभाषा सिखाई गई थी, उसे पूरा कर दिया। तुम्हारे सभी दोस्त तुम्हारे साथ खेल रहे थे, किंतु घर से बुलावा आने पर वे घर की ओर चल दिए, किंतु तुमने उन्हें उनका कर्तव्य याद दिलाया और अपने मित्र को ढूंढ़ने के लिए कहा। तुमने घर में पड़ने वाली डांट की भी परवाह नहीं की। इसी कारण आज आर्य ठीक-ठाक है।'' 
घर आकर परी ने सारी बातें मम्मी को बताईं। तब मम्मी ने समझाया कि स्कूल में इम्तिहान इसलिए लिया जाता है, जिससे तुम एक अच्छे नागरिक बन पाओ।
 ''क्या मतलब?'' परी ने पूछा।
 ''मतलब है कि आप जो कुछ भी पढ़ते या सीखते हैं, वह केवल किताबों तक ही सीमित न रह जाए, बल्कि उसे व्यवहार में शामिल करना चाहिए, जो तुमने किया। तुमने 'सच्ची मित्रता' पाठ को केवल अपने जीवन में ही नहीं उतारा, बल्कि अपने दोस्तों को भी व्यवहार में लाने का पाठ पढ़ाया। पढ़ना तब तक व्यर्थ है, जब तक वह जीवन में न उतारा जाए। इम्तिहान केवल साधन है, जिससे टीचर यह जांचता है कि बच्चा सही दिशा में जा रहा है या नहीं। तुम जीवन के इम्तिहान में भी पास हो गईं। तुम्हारे सभी दोस्तों को सदैव एक-दूसरे से मिलकर रहने और समय पर मदद करने की सीख मिली।'' 
कुछ दिनों बाद परी ने देखा कि स्कूल के बाहर बहुत सारी पुलिस खड़ी है। सभी बच्चे सोच रहे थे कि न जाने ये क्यों आए हैं? प्रार्थना सभा के बाद पुलिस के बड़े अधिकारी ने बताया कि किस प्रकार परी और उसके दोस्तों के साहस और बुद्धिमानी से आर्य को बचाया जा सका साथ ही उन अपहरणकर्ताओं को पकड़वाया, जिनकी पुलिस को बहुत दिनों से तलाश थी। वे छोटे बच्चों को बड़े गिरोह में बेच देते हैं। ये गिरोह इन बच्चों से भीख मंगवाने का कार्य करवाते हैं। 
प्रिंसिपल, टीचर एवं सभी बच्चे जोर-जोर से तालियां बजाने लगे। परी और उसके दोस्तों को दिल्ली पुलिस की ओर से साहसी बच्चे वाला मेडल एवं कुछ किताबें इनाम में मिलीं। 

 

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