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आसमान में गधा

मोंटी बंदर बाजार जा रहा था। अचानक उसे अपने सिर के ऊपर किसी के चीखने की आवाज सुनाई दी। उसने सिर उठाकर ऊपर देखा, तो वह हैरान रह गया। आसमान में एक गधा उड़ रहा था।  गधा बराबर रेंके जा रहा था। उसका...

आसमान में गधा
डॉ. राजीव गुप्ता,नई दिल्लीWed, 17 Jan 2018 04:59 PM
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मोंटी बंदर बाजार जा रहा था। अचानक उसे अपने सिर के ऊपर किसी के चीखने की आवाज सुनाई दी। उसने सिर उठाकर ऊपर देखा, तो वह हैरान रह गया। आसमान में एक गधा उड़ रहा था। 
गधा बराबर रेंके जा रहा था। उसका रेंकना सुनकर वहां जानवरों की भीड़ लग गई। चकमक वन के वासियों ने उड़ने वाला गधा पहली बार देखा था। 
अचानक चीलू चील आसमान से उड़ती हुई आई और सबको डांटते हुए बोली, “बेचारा गधा परेशानी में फंस गया है और तुम सब मिलकर तमाशा देख रहे हो।” 
तभी लालू लंगूर ने अपने मोबाइल पर थाने का 100 नंबर डायल किया। 
“हेलो, मैं इंस्पेक्टर चेतू चीता बोल रहा हूं।”
“सर, इधर नदी के किनारे बड़े मैदान की तरफ आसमान में एक गधा उड़ रहा है। बेचारा बड़ी मुसीबत में है। उसे किसी तरह नीचे उतारिए।” लालू ने हड़बड़ाहट में सारी बात बताई।
“आसमान में गधा! क्या कह रहे हो? पुलिस से मजाक करते हो?” चेतू इंस्पेक्टर ने गुस्से से कहा।
“मजाक नहीं सर, मैं लालू पत्रकार बोल रहा हूं। आप जल्दी आ जाइए प्लीज।” लालू ने आग्रह किया।
सुनकर इंस्पेक्टर चेतू का भी सिर घूम गया। वह अपने साथ कुछ सिपाही लेकर तुरंत बड़े मैदान की तरफ भागा। तब तक वहां राजा शेरसिंह के साथ डॉ. जेरु जिराफ और चकमक वन के जाने-माने जासूस जैकी डॉग भी पहुंच चुके थे।
“सर, यह मेरे पड़ोस में रहने वाला गोपू गधा है। कुछ साल पहले किसी विज्ञापन कंपनी में काम करने के लिए शहर चला गया था। आज लौटा भी है, तो इस हाल में।” सोनू गधे ने दूरबीन से उसे देखकर कहा।
इंस्पेक्टर चेतू ने सोनू की दूरबीन लेकर आसमान की तरफ देखा। गोपू गधे की कमर से दो बेल्टों द्वारा एक विशाल रबड़ का गुब्बारा बंधा था। उसी के सहारे वह आसमान में उड़ रहा था। गुब्बारे पर पिंटो बनियान का विज्ञापन था। 
“इसे नीचे उतारने के लिए हमें क्या करना चाहिए?” इंस्पेक्टर चेतू ने काबिल जासूस जैकी डॉग से राय ली। जैकी ने कुछ देर सोचा। फिर वह चेतू को समझाने लगा। उसकी बात समझकर चेतू ने सब इंस्पेक्टर चंचल चील को कुछ निर्देश दिए। वह आसमान में उड़ गई।
आसमान में पहुंचकर चंचल ने जब देखा कि गोपू नदी के ठीक ऊपर है, तो उसने अपने पंखों से एक सूई निकालकर गुब्बारे में एक छेद कर दिया। गुब्बारे से धीरे-धीरे हवा निकलने लगी और गोपू बड़े आराम से नदी में उतर आया। नदी में पानी होने के कारण उसे बिल्कुल भी चोट नहीं लगी। इंस्पेक्टर चेतू वहां पहले से ही नाव लेकर तैयार था। उसने तुरंत उसे नाव पर बैठाया और किनारे पर ले आया। 
“तुम्हें इस तरह गुब्बारा बांधकर आसमान में उड़ने की क्या सूझी?” राजा शेरसिंह ने उसे डांटा।
“सर, मैं तो शहर में एक विज्ञापन कंपनी में काम करता था। आज वहां के मैनेजर को जाने क्या सूझी, उन्होंने अपने कर्मचारियों से जबरदस्ती मेरी कमर में यह बनियान के विज्ञापन वाला गुब्बारा बंधवाकर मुझे आसमान में उड़ने के लिए छोड़ दिया। यह तो अच्छा हुआ कि हवा के बहाव की वजह से मैं वन की तरफ आ निकला और आप लोगों ने मुझे नीचे उतार लिया। नहीं तो पता नहीं मेरा क्या होता?” सिसकते हुए गोपू बोला।
“लेकिन उन्होंने ऐसा किया क्यों?” शेरसिंह गुस्से से दहाड़ा।
“वे कुछ नए ढंग से विज्ञापन करना चाहते थे।” गोपू ने झिझकते हुए कहा।
“अरे, तो नए के चक्कर में क्या बच्चे की जान लेंगे? मैं शहर जाकर उनके खिलाफ मुकदमा करूंगा। इस केस को एनिमल वेलफेयर सोसायटी के सामने ले जाऊंगा। उन्हें शायद मालूम नहीं कि मासूम पशु-पक्षियों को सताना कानूनन अपराध है।” राजा शेरसिंह ने उसे हिम्मत बंधाते हुए कहा।
अन्य पशु-पक्षियों ने भी राजा शेरसिंह की बात का समर्थन किया। गोपू ने तय कर लिया कि वह शहर छोड़कर अब जंगल में रहेगा। blush

चित्र : अतुल वर्धन
 

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