एनसीपी के दोनों गुटों को मिले नए चुनाव चिह्न, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा शरद पवार खेमा; क्यों कर रहे मांग?
- शरद पवार ने कांग्रेस से निष्कासन के बाद 1999 में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पी संगमा और तारिक अनवर के साथ मिलकर राकांपा की स्थापना की थी।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (SC) का रुख किया है। उन्होंने मांग करते हुए कहा है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के दोनों गुटों को नए चुनाव चिह्न दिए जाएं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने याचिका पर सुनवाई के लिए 25 सितंबर की तारीख तय की। इससे पहले शरद पवार गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर वह मामले को तत्काल सूचीबद्ध करना चाहते हैं।
सिंघवी ने कहा कि जब तक मामले पर अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, तब तक महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले दोनों समूहों को नए चुनाव चिह्न दिए जाने चाहिए। शरद पवार ने निर्वाचन आयोग के 6 फरवरी के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है, जिसमें महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह को वास्तविक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के रूप में मान्यता दी गई है।
निर्वाचन आयोग ने राकांपा का चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ भी अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह को आवंटित कर दिया है। शरद पवार द्वारा स्थापित राकांपा का चुनाव चिह्न विभाजन से पहले ‘घड़ी’ ही था। शीर्ष अदालत ने 19 मार्च को शरद पवार गुट को देश में लोकसभा चुनाव से पहले नाम के रूप में ‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार’ और चुनाव चिह्न ‘तुरहा बजाता आदमी’ का उपयोग करने की अनुमति दी थी।
शीर्ष अदालत ने 19 फरवरी को निर्देश दिया था कि शरद पवार गुट को पार्टी का नाम ‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार’ आवंटित करने का निर्वाचन आयोग का आदेश अगले आदेश तक जारी रहेगा। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने 15 फरवरी को कहा था कि अजित पवार के नेतृत्व वाला राकांपा गुट ही असली राकांपा है और संविधान में दलबदल रोधी प्रावधानों का इस्तेमाल आंतरिक असंतोष को दबाने के लिए नहीं किया जा सकता।
शरद पवार ने कांग्रेस से निष्कासन के बाद 1999 में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पी संगमा और तारिक अनवर के साथ मिलकर राकांपा की स्थापना की थी। पिछले साल जुलाई में अजित पवार ने राकांपा के अधिकतर विधायकों को अपने साथ मिला लिया था और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली भाजपा-शिवसेना सरकार को समर्थन दिया था।
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