Hindi Newsमहाराष्ट्र न्यूज़Uddhav Thackeray under pressure from party leaders to leave MVA After Maharashtra loss

बिखर जाएगा MVA गठबंधन? उद्धव से 'एकला चलो' की मांग कर रहे पार्टी विधायक, बढ़ रहा दबाव

  • महाविकास अघाड़ी में शिवसेना (UBT), शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस शामिल हैं। लेकिन चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस और शिवसेना (UBT) के नेताओं के बीच असहमति बढ़ती दिख रही है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, मुंबईThu, 28 Nov 2024 12:35 AM
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद महाविकास अघाड़ी (MVA) के भीतर खींचतान बढ़ती जा रही है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) पर उनके ही नेताओं का दबाव बढ़ रहा है कि पार्टी महाविकास अघाड़ी से अलग होकर आगामी चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़े। सोमवार को उद्धव ठाकरे द्वारा बुलाई गई बैठक में भी अधिकांश शिवसेना (UBT) के विधायकों ने यही सुझाव दिया।

खबरों के मुताबिक, शिवसेना (UBT) का जमीनी स्तर का कार्यकर्ता इस बात पर सवाल उठा रहा है कि क्या महाविकास अघाड़ी "असरदार" है या नहीं। यह तब है जब शिंदे गुट ने विधानसभा चुनाव में अकेले 57 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि पूरी महाविकास अघाड़ी सिर्फ 46 सीटों पर सिमट गई।

शिवसेना (UBT) के वरिष्ठ नेता और विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा, "पार्टी के अधिकांश कार्यकर्ताओं का मानना है कि हमें चुनाव अकेले लड़ने चाहिए। सत्ता पाना हमारे लिए कभी प्राथमिकता नहीं रही है। शिवसेना विचारधारा पर आधारित पार्टी है और सत्ता खुद हमारे पास आएगी जब हम अपनी विचारधारा पर अडिग रहेंगे।"

महाविकास अघाड़ी में शिवसेना (UBT), शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस शामिल हैं। लेकिन चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस और शिवसेना (UBT) के नेताओं के बीच असहमति बढ़ती दिख रही है। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने दानवे के बयान पर कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत राय हो सकती है। वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय वडेट्टीवार ने भी कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ता भी स्वतंत्र चुनाव लड़ने के पक्ष में हैं, लेकिन यह फैसला पार्टी का होता है। चुनाव परिणाम पर सवाल उठाते हुए वडेट्टीवार ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर भी संदेह जताया। उन्होंने कहा, "मोदी लहर के चरम पर भी हमारे प्रदर्शन में गिरावट नहीं आई थी। हमें इस बार के नतीजों पर गहरा संदेह है। यहां तक कि आम जनता भी ईवीएम पर सवाल उठा रही है।"

शिवसेना (UBT) के कई नेताओं का मानना है कि स्वतंत्र चुनाव लड़ने से पार्टी अपने जमीनी आधार को मजबूत कर सकती है और उन कार्यकर्ताओं को वापस ला सकती है, जो शिंदे गुट में चले गए हैं। 2022 में शिंदे द्वारा बड़ी संख्या में विधायकों और सांसदों को तोड़ने के बाद से शिवसेना (UBT) को लगातार झटके लगे हैं। चुनाव आयोग ने पार्टी का नाम और प्रतीक भी शिंदे गुट को सौंप दिया।

हालिया विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी की 46 सीटों (शिवसेना-UBT 20, कांग्रेस 16 और एनसीपी-एसपी 10) की संयुक्त संख्या भी शिंदे गुट की 57 सीटों से कम रही। शिवसेना (UBT) का वोट प्रतिशत घटकर 9.96% रह गया, जो छह महीने पहले लोकसभा चुनाव में 16.72% था। अब पार्टी के भीतर यह आवाज तेज हो रही है कि महाविकास अघाड़ी से अलग होकर अपनी पहचान पर जोर देना ही पार्टी को बचाने का एकमात्र रास्ता है।

चुनावों के बाद, कई शिवसेना (यूबीटी) नेता “एमवीए के भीतर एकता की कमी” के बारे में भी बोल रहे हैं, जिसमें सीट-बंटवारे की व्यवस्था की घोषणा में देरी और कांग्रेस द्वारा कुछ सीटों पर शिवसेना (यूबीटी) उम्मीदवारों के बजाय निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन करने जैसे मुद्दे शामिल हैं। सोलापुर दक्षिण इसका एक प्रमुख उदाहरण है, जहां कांग्रेस सांसद प्रणीति शिंदे ने मतदान के दिन ही एक बागी पार्टी उम्मीदवार को समर्थन देने की घोषणा की, जबकि वहां एमवीए उम्मीदवार एक शिवसेना (यूबीटी) नेता था।

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