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Hindi News महाराष्ट्रयस बैंक-डीएचएफएल मामला: संजय छाबड़िया को छह मई तक सीबीआई हिरासत में भेजा गया

यस बैंक-डीएचएफएल मामला: संजय छाबड़िया को छह मई तक सीबीआई हिरासत में भेजा गया

एजेंसी ने आरोप लगाया है कि कपूर ने डीएचएफएल को यस बैंक के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए वधावन के साथ एक आपराधिक साजिश रची थी, घोटाला अप्रैल और जून 2018 के बीच शुरू हुआ था

यस बैंक-डीएचएफएल मामला: संजय छाबड़िया को छह मई तक सीबीआई हिरासत में भेजा गया
एजेंसी,मुंबईFri, 29 Apr 2022 08:22 PM

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मुंबई की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर और दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के एक मामले में महानगर के रियल स्टेट कारोबारी संजय छाबड़िया को छह मई तक केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की हिरासत में भेज दिया।

सीबीआई ने गुरुवार को रेडियस डेवलपर्स के छाबड़िया को गिरफ्तार किया था। केंद्रीय जांच एजेंसी ने छाबड़िया को विशेष न्यायाधीश एस एच ग्वालानी के समक्ष पेश किया और मामले की आगे की जांच के लिए उनकी 14 दिन की हिरासत मांगी। सीबीआई ने कहा कि उनकी हिरासत की आवश्यकता है क्योंकि अपराध गंभीर है और जांच एक महत्वपूर्ण चरण में है।

मामले की जांच के दौरान छाबड़िया की आपराधिक संलिप्तता मामले में आरोपी के रूप में सामने आयी थी। छाबड़िया ने डीएचएफएल के कपिल वधावन और राणा कपूर द्वारा स्थापित यस बैंक द्वारा उनकी कंपनियों को मंजूर किए गए 3,094 करोड़ रुपये के ऋण में कथित तौर पर हेराफेरी की। इस मामले में कपूर और वधावन दोनों आरोपी हैं। दोनों फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।

सीबीआई ने दावा किया कि उक्त ऋणों में से महत्वपूर्ण राशि की हेराफेरी की गई है और धन के उपयोग के संबंध में आरोपी से पूछताछ करना आवश्यक है। बयान में कहा गया है, 'कुल 3,094 करोड़ रुपये के उपरोक्त ऋण के उपयोग का पता लगाने, उक्त लेनदेन और संबंधित मुद्दों से संबंधित भौतिक साक्ष्य बरामद करने के उद्देश्य से छाबड़िया से हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।'

उसने कहा है कि सीबीआई की जांच के दौरान छाबड़िया ने 'सहयोग नहीं किया' और मामले से संबंधित सही तथ्य पेश नहीं किये है। एजेंसी ने आरोप लगाया कि वह मामले से जुड़े प्रासंगिक तथ्यों को छिपा रहे हैं। हालांकि, छाबड़िया की ओर से पेश हुए वकील वैभव कृष्ण ने दलील दी कि उनके मुवक्किल ने हमेशा जांच में सहयोग किया है। उन्होंने कहा कि छाबड़िया के खिलाफ मामला एक वित्तीय संस्थान से ऋण से संबंधित है, जो कानून की नजर में अनुमेय है।

उन्होंने कहा कि दो ऋण डीएचएफएल द्वारा दिये गए थे और ऋण के वितरण से पहले उचित कदम उठाये गए थे। उन्होंने कहा कि सभी अंतरण चेक से हुए थे, न कि नकद में। अधिवक्ता ने कहा कि जब 2019 में डीएचएफएल मामले की जांच शुरू हुई, तो उन्हें (छाबड़िया) जांच एजेंसी द्वारा गवाह के रूप में बुलाया गया था और उन्होंने सभी विवरणों और दस्तावेजों की हार्ड कॉपी और पेन ड्राइव के साथ-साथ बैंक स्टेटमेंट भी दिए थे।

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