फोटो गैलरी

Hindi News महाराष्ट्रपति की कंपनी को चिट्ठी लिखकर पत्नी ने लगाए थे एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के आरोप, हाईकोर्ट से मिला तलाक

पति की कंपनी को चिट्ठी लिखकर पत्नी ने लगाए थे एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के आरोप, हाईकोर्ट से मिला तलाक

 बॉम्बे हाईकोर्ट ने 47 वर्षीय व्यक्ति के तलाक की अर्जी को इस आधार पर मंजूर कर लिया कि उसकी पत्नी ने उसकी कंपनी में शिकायत की दी थी कि पति का किसी अन्य महिला से अफेयर...

पति की कंपनी को चिट्ठी लिखकर पत्नी ने लगाए थे एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के आरोप, हाईकोर्ट से मिला तलाक
कंचन चौधरी, एचटी,मुंबई।Tue, 12 May 2020 05:02 PM
ऐप पर पढ़ें

 बॉम्बे हाईकोर्ट ने 47 वर्षीय व्यक्ति के तलाक की अर्जी को इस आधार पर मंजूर कर लिया कि उसकी पत्नी ने उसकी कंपनी में शिकायत की दी थी कि पति का किसी अन्य महिला से अफेयर है। न्यायमूर्ति वीएम देशपांडे और न्यायमूर्ति एसएम मोदक की खंडपीठ ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 (1) (आईआईए) के तहत नवी मुंबई में रहने वाले शख्स को तलाक की मंजूरी दी। खंडपीठ ने पत्नी के द्वारा उसकी कंपनी को चिट्ठी लिखने को कार्रवाई योग्य क्रूरता माना है।  

आपको बता दें कि दोनों की 1993 में शादी हुई थी। उनके दो बेटे भी हैं। काफी समय तक दोनों की पारिवारिक जिंदगी ठीक रही, लेकिन फिर पति-पत्नी के बीच संबंधों में खटास आ गई और मई 2006 में महिला बच्चों के साथ घर छोड़कर चली गई। दोनों के बीच सुलह के कई प्रयास भी किए गए। वर्ष 2008 में महिला चार दिनों के लिए ससुराल आई। अपने पति की गैरमौजूदगी में उसने घर के ताले तोड़ दिए।

इसके बाद महिला ने अपने पति की कंपनी को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें उसने अपने पति का किसी अन्य महिला से संबंध होने का आरोप लगाया। इसके कुछ दिनों के बाद पति ने नागपुर स्थित फैमिली कोर्ट का रुख किया। उसने मानसिक क्रूरता और मर्यादा के आधार पर तलाक की मांग की। मार्च 2012 में तलाक की याचिका खारिज करने के बाद उसने हाईकोर्ट में अपील की।

हाईकोर्ट ने उसकी इस दलील को स्वीकार कर लिया कि महिला द्वारा पति के कंपनी को पत्र लिखने और बेबुनियाद आरोप लगाने के कारण उसकी मानसिक प्रताड़ना हुई है। हिंदू विवाह अधिनियम के तहत इस मामले पर बहस हुई। हाईकोर्ट ने कहा कि विश्वास और भरोसा विवाह की नींव है। अगर कोई पति-पत्नी किसी अन्य व्यक्ति के साथ विवाहेतर संबंध स्थापित करते हैं, तो इसे नींव को नुकसान पहुंचाने वाला कृत्य माना जाता है। बेंच ने यह भी कहा कि यदि पति या पत्नी में से कोई ऐसे आरोप लगाता है और वह इसे साबित करने में विफल रहता है, तो इसे एक ऐसा कार्य माना जाता है, जो दूसरे (पति या पत्नी) को मानसिक पीड़ा देता है।

बेंच ने आगे कहा कि पति या पत्नी के चरित्र के बारे में निराधार आरोप लगाना, मानसिक रूप से क्रूरता के कारण तलाक के आधार के रूप में न्यायिक रूप से मान्यता प्राप्त है। हालांकि, पीठ ने क्रूरता और मर्यादा के अन्य उदाहरणों की तरह, पति द्वारा निवेदन की गई अन्य आधारों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें