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शिंदे ने मातोश्री में लगाई सेंध, बाल ठाकरे के करीबी चंपा सिंह थापा ने छोड़ा उद्धव का साथ

शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के घर पर उनके साथ लंबे अरसे तक काम करने वाले चम्पा सिंह थापा और मोरेश्वर राजे सोमवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट में शामिल हो गए।

शिंदे ने मातोश्री में लगाई सेंध, बाल ठाकरे के करीबी चंपा सिंह थापा ने छोड़ा उद्धव का साथ
Amit Kumarपीटीआई,मुंबईMon, 26 Sep 2022 10:40 PM

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महाराष्ट्र की सत्ता छीनने के बाद से एकनाथ शिंदे का उद्धव ठाकरे पर एक के बाद एक हमला जारी है। ठाकरे गुट के कई नेताओं को अपने पाले में करने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अब मातोश्री में भी सेंध लगा दी है। मातोश्री महाराष्ट्र की सियासत का गढ़ है। कलानगर स्थित यह तीन मंजिला इमारत महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का निवास स्थान है। लेकिन अब इसी निवास स्थान से दो बेहद खास लोग एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हो गए हैं। शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के घर पर उनके साथ लंबे अरसे तक काम करने वाले चम्पा सिंह थापा और मोरेश्वर राजे सोमवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट में शामिल हो गए।

थापा शिवसेना के संस्थापक के विश्वस्त थे और उन्होंने ठाकरे की 27 साल, नवंबर 2012 में उनके निधन से पहले तक सेवा की। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने थापा की सेवा को स्वीकार करते हुए अपने पिता के अंतिम संस्कार के दौरान उन्हें अपने साथ रखा था। थापा बाल ठाकरे के लिए फोन उठाते थे और जो भी उन्हें कॉल करता था, उसका संदेश बाल ठाकरे तक पहुंचाते थे। राजे भी ‘मातोश्री’ में बाल ठाकरे के लिए फोन उठाते थे। उन्होंने बांद्रा स्थित उनके आवास में कम से कम 35 साल गुजारे हैं।

मुख्यमंत्री शिंदे ने अपनी अगुवाई वाले गुट में थापा और राजे का शॉल ओढ़ा कर स्वागत किया। उन्होंने कहा, “ नवरात्र के इस पावन अवसर पर सभी इस बात से खुश हैं कि त्योहारों पर लगे (महामारी संबंधी) प्रतिबंध हटा दिए गए हैं। बहुत उत्साह है।" शिंदे ने कहा कि थापा और राजे बाल ठाकरे की छाया की तरह थे और दोनों के उनके गुट में शामिल होने से उत्सव का सुखद वातावरण और बढ़ गया है।

शिंदे ने कहा कि दोनों ने उनके गुट में शामिल होने का फैसला किया क्योंकि वह "असली" शिवसेना का प्रतिनिधित्व करते हैं और शिवसेना संस्थापक तथा हिंदुत्व की शिक्षाओं को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा, “ बालासाहेब साफ बातें करते थे। लोग बालासाहेब को अच्छी तरह से जानते थे और इसलिए उन्होंने (राजे और थापा) महा विकास आघाड़ी के तहत कांग्रेस और राकांपा के साथ शिवसेना के गठबंधन को स्वीकार नहीं किया।“ इस मौके पर पालघर जिला परिषद के अध्यक्ष वैदेही वडन और स्थानीय निकाय के कुछ सदस्य भी शिंदे गुट में शामिल हुए।

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