मुंबई में दुकानदारों को मराठी साइनबोर्ड लगाना जरूरी; SC ने 2 महीने का दिया समय, फायदा भी बताया
जस्टिस बीवी नागरत्ना और उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा, 'दिवाली और दशहरा से पहले मराठी साइनबोर्ड लगाने का समय है। आप महाराष्ट्र में हैं और आपको मराठी साइनबोर्ड लगाने के फायदे नहीं पता हैं।'

सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में खुदरा व्यापारियों को मराठी में नए साइनबोर्ड लगाने के लिए 2 महीने का समय दिया है। साथ ही SC महाराष्ट्र सरकार की ओर से पिछले साल लागू उस नियम की संवैधानिक चुनौती पर विचार करने के लिए सहमत हो गया, जिसमें कहा गया कि कुछ शर्तों के साथ हर बड़ी और छोटी दुकान के बाहर मराठी साइनबोर्ड जरूरी है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा, 'दिवाली और दशहरा से पहले मराठी साइनबोर्ड लगाने का समय है। आप महाराष्ट्र में हैं और आपको मराठी साइनबोर्ड लगाने के फायदे नहीं पता हैं।' मुंबई के खुदरा व्यापारियों के संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की।
वकील मोहिनी प्रिया फेडरेशन की ओर से पेश हुईं। उन्होंने कहा कि दुकानदार मराठी साइनबोर्ड रखने के खिलाफ नहीं हैं, मगर राज्य सरकार का नियम मराठी को अनिवार्य बनाता है। इसके मुताबिक, अक्षरों का फॉन्ट एक ही होना चाहिए और इसे साइनबोर्ड पर किसी भी दूसरी भाषा के ऊपर लिखना होगा। दुकानदारों की ओर से यह भी कहा गया कि मौजूदा साइनबोर्ड को नए से बदलने में धन भी काफी खर्च होगा। इस पर पीठ ने कहा, 'कर्नाटक में भी ऐसा ही नियम है। ऐसा नहीं होने पर दुकानदार दूसरी भाषा की तुलना में मराठी को छोटे फॉन्ट में लिख देंगे। आप जल्द ही इसे लागू करें। अगर हमने याचिका को हाई कोर्ट के समक्ष दायर करने का निर्देश दिया तो यह भारी लागत के साथ खारिज कर दी जाएगी।'
फेडरेशन ने मांगा 4 महीने का समय
रिटेल एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट की सलाह का पालन करने पर सहमति जताई। साथ ही कहा कि उनकी याचिकाओं में उठाए गए संवैधानिक मुद्दों पर 2 महीने के बाद विचार करना चाहिए। बहस के दौरान प्रिया ने 4 महीने का समय देने की अपील की। उन्होंने कहा कि इन साइनबोर्डों को बनाने के लिए कच्चा माल और श्रमिक इतने कम समय में उपलब्ध नहीं होंगे। मगर, पीठ उन्हें केवल दो महीने का समय देने पर सहमत हुई। इस तरह खुदरा व्यापारियों के संघ को झटका जरूर लगा।
मराठी में बोर्ड लगाना पूर्वाग्रह नहीं: कोर्ट
इससे पहले 1 सितंबर को इस मामले पर सुनवाई हुई थी। इस दौरान कोर्ट ने कहा था, 'मराठी में बोर्ड लगाना कैसे पूर्वाग्रह वाली बात होगी। अदालत में मुकदमेबाजी पर इतना पैसा खर्च करने के बजाय आप साइनबोर्ड खरीदकर लगा दीजिए।' इस पर महासंघ ने तर्क दिया था कि मुंबई एक महानगर है, जहां सभी राज्यों से लोग रहते हैं। इसे लेकर पीठ की ओर से कहा गया, 'मुंबई महाराष्ट्र की राजधानी भी है और मराठी राजभाषा है। आपको इसे लेकर झगड़ा करने की जरूरत नहीं है। आप राज्य में बिजनेस कर रहे हैं। अगर आप मराठी में बोर्ड लगाएंगे तो आपको ज्यादा ग्राहक मिलेंगे।'
