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शराब की दुकानें खोलने वाले बयान पर शिवसेना ने कसा तंज, राज ठाकरे के लिए खाने की तरह पेग भी है जरूरी

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे के शराब की दुकान खोलने को लेकर दिए गए बयान पर शिवसेना ने शनिवार को तंज कसा है। शिवसेना ने कहा है कि उनके लिए (राज ठाकरे) खाने की प्लेट की तरह पेग...

शराब की दुकानें खोलने वाले बयान पर शिवसेना ने कसा तंज, राज ठाकरे के लिए खाने की तरह पेग भी है जरूरी
मुंबई, पीटीआईSat, 25 Apr 2020 01:43 PM
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महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे के शराब की दुकान खोलने को लेकर दिए गए बयान पर शिवसेना ने शनिवार को तंज कसा है। शिवसेना ने कहा है कि उनके लिए (राज ठाकरे) खाने की प्लेट की तरह पेग भी जरूरी है। शिवसेना ने कहा है कि राज ठाकरे को पता होना चाहिए कि लॉकडाउन की वजह से न सिर्फ वाइन शॉप, बल्कि शराब की फैक्ट्रियां भी बंद हैं।

शिवसेना के अखबार 'सामना' में लिखे गए संपादकीय में पार्टी ने कहा, 'आपको केवल दुकानें खोलने से राजस्व नहीं मिलता है। सरकार को उत्पाद शुल्क और बिक्री कर के रूप में राजस्व मिलता है जब एक वितरक कारखानों से उत्पाद खरीदता है। इन इकाइयों को शुरू करने के लिए मजदूरों की जरूरत होती है। इसके अलावा यदि दुकानें फिर से खुलीं तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जाएगा।'

यह भी पढ़ें: नैतिक मुद्दों को छोड़ शराब की दुकानें खुलने दे राज्य सरकार: राज ठाकरे

राज ठाकरे ने गुरुवार को मांग की थी कि राज्य सरकार को 'नैतिक मुद्दों' को छोड़ देना चाहिए और शराब की दुकानों और रेस्तरां को खोलने की अनुमति देनी चाहिए ताकि वे लोग अपने व्यापार चला सकें। अपने चचेरे भाई और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे एक पत्र में मनसे प्रमुख ने कहा था कि 18 मार्च से राज्य लॉकडाउन में है, पहले 31 मार्च तक, फिर 14 अप्रैल तक और अब 3 मई तक इसे बढ़ा दिया गया है। लॉकडाउन हटने लेकर अभी कुछ तय भी नहीं है।

संपादकीय में कहा गया है कि राज ठाकरे ने मांग के जरिए से सरकार को बताया है कि खाने की तरह शराब भी जरूरी है। उन्होंने कहा है कि जैसे चावल की प्लेट लोगों के लिए जरूरी है, उसी तरह वे 'क्वार्टर' और 'पेग' पर भी निर्भर हैं। 

सत्तारूढ़ दल ने देवेंद्र फडणवीस का नाम लिए बिना कहा, 'विपक्षी नेताओं को संकट के समय में आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए सरकार को सलाह देनी चाहिए, लेकिन विपक्ष के नेता ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं।'

संपादकीय में आगे लिखा गया है कि राज ठाकरे ने गरीब लोगों की दुर्दशा को सामने रखा है और समाज का एक वर्ग उनका इसलिए आभारी रहेगा। लेकिन सरकार को समग्र स्थिति पर विचार करते हुए निर्णय लेना होगा।

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