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हिंदी न्यूज़ महाराष्ट्रMVA गठबंधन में दरार? दो सीट के लिए आपस में भिड़ीं तीनों पार्टियां, रोचक हुआ महाराष्ट्र उपचुनाव

MVA गठबंधन में दरार? दो सीट के लिए आपस में भिड़ीं तीनों पार्टियां, रोचक हुआ महाराष्ट्र उपचुनाव

इस बीच, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने दोनों सीटें भाजपा के लिए छोड़ दी हैं। भाजपा ने पुरानी 'परंपरा' के तहत एमवीए से उपचुनाव नहीं लड़ने का अनुरोध किया है।

MVA गठबंधन में दरार? दो सीट के लिए आपस में भिड़ीं तीनों पार्टियां, रोचक हुआ महाराष्ट्र उपचुनाव
Amit Kumarलाइव हिन्दुस्तान,मुंबईThu, 02 Feb 2023 08:15 PM
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इसी महीने के अंत में महाराष्ट्र विधानसभा की दो सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं। इन उपचुनावों से पहले महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में रार देखने को मिल रही है। गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) सभी उपचुनाव लड़ने की होड़ में हैं। दरअसल 26 फरवरी को कस्बा पेठ और पिंपरी-चिंचवाड़ विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं। शिवसेना (यूबीटी) पिंपरी-चिंचवाड़ में अपना उम्मीदवार चाहती है। जबकि इस सीट से एनसीपी 2009 से चुनाव लड़ती आ रही है। वहीं कांग्रेस अपने लिए कस्बा पेठ चाहती है। कांग्रेस का कहना है कि वह पिंपरी-चिंचवाड़ में नहीं लेकिन कस्बा पेठ में अपना उम्मीदवार उतारना चाहती है। हालांकि कस्बा पेठ के लिए कांग्रेस का दावा स्वीकार्य माना जा रहा है। 

क्यों हो रहे हैं उपचुनाव?

चिंचवाड़ और कस्बा पेठ विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व क्रमशः लक्ष्मण जगताप और मुक्ता तिलक ने किया था। तिलक का पिछले साल दिसंबर में और जगताप का इस साल फरवरी में निधन हो गया था। चुनाव आयोग द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार उपचुनाव 26 फरवरी को होंगे और परिणाम दो मार्च को घोषित किए जाएंगे। 

क्यों उपचुनाव लड़ने पर डटी उद्धव सेना?

शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत का कहना है कि पार्टी कार्यकर्ता पिंपरी-चिंचवाड़ सीट से चुनाव लड़ने के लिए पार्टी पर दबाव बढ़ा रहे हैं। पिंपरी-चिंचवाड़ से उपचुनाव लड़ने की शिवसेना की मांग उसके हालिया घटनाक्रमों से जुड़ी हुई है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना का कहना है कि पिंपरी-चिंचवाड़ निर्वाचन क्षेत्र में उसका एक संगठनात्मक आधार है। ऐसे समय में जब उद्धव सेना राजनीतिक उथल-पुथल का सामना कर रही है तो वह चुनावी लड़ाई से बाहर नहीं दिखना चाहती है। वहीं अगर रिपोर्टों की मानें तो एनसीपी चिंचवाड़ को किसी भी कीमत पर शिवसेना को नहीं देगी। एनसीपी एक विधानसभा सीट कब्जाने का मौका नहीं छोड़ना चाहती है।

लोकसभा और विधानसभा चुनाव अगले साल होंगे। पुणे जिले में 21 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 2019 में एनसीपी ने 10 और बीजेपी ने नौ जीती थीं, जबकि बाकी दो कांग्रेस के खाते में गई थीं। जिला परिषद भी एनसीपी के नियंत्रण में है। यह कुछ वजहें हैं जो पिंपरी-चिंचवाड़ सीट को महत्वपूर्ण बना रही हैं क्योंकि इसे जीतने से शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी को आगे की लड़ाई में पुणे में बढ़त मिलेगी।

मसला सुलझाने के लिए बैठक कर सकते हैं MVA नेता

द इंडियन एक्सप्रेस ने कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के हवाले से लिखा, “दो सीटें हैं। और हम तीन दल हैं। कांग्रेस और एनसीपी को अपनी पारंपरिक सीटें शिवसेना (यूबीटी) के लिए क्यों छोड़नी चाहिए, जो 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों तक बीजेपी के साथ गठबंधन में थी?" वर्ष 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद गठित एमवीए में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) गुट, शरद पवार के नेतृत्व वाली रांकापा और कांग्रेस शामिल हैं। 

राकांपा के अजीत पवार, विधानसभा में विपक्ष के नेता और राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल के एमवीए के भीतर मतभेदों पर चर्चा करने के लिए पार्टी के जिला नेताओं के साथ एक और बैठक करने की संभावना है। अजीत पवार ने गुरुवार को कहा, “मेरी उद्धव ठाकरे से बात हुई है। पार्टी के तीनों नेताओं को बैठक कर अंतिम रूप देना है। अभी तक ऐसा हुआ नहीं है।”

इस बीच, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने दोनों सीटें भाजपा के लिए छोड़ दी हैं। भाजपा ने पुरानी 'परंपरा' के तहत एमवीए से उपचुनाव नहीं लड़ने का अनुरोध किया है। इन दोनों सीटों पर भाजपा के विधायक थे जिनका निधन हो गया था। पिछले साल, शिवसेना (यूबीटी) की उम्मीदवार रुतुजा लटके, जिनके पति रमेश पहले विधायक थे, को जिताने के लिए भाजपा ने अंधेरी वेस्ट उपचुनाव से अपने उम्मीदवार मुर्जी पटेल को वापस ले लिया। 

लेकिन चुनावी गणित को ध्यान में रखते हुए एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने बीजेपी के अनुरोध को खारिज कर दिया। उन्होंने हाल ही में कहा था कि, 'अतीत में बीजेपी ने पंढरपुर (सोलापुर जिला) में इस तरह की सद्भावना नहीं दिखाई।' वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने संकेत दिया है कि वह विपक्षी दलों को पत्र लिखकर उपचुनाव न लड़ने का अनुरोध करेंगे।