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सुशांत सिंह राजपूत केस की कवरेज को लेकर हाई कोर्ट ने मीडिया को लगाई फटकार, न्याय में बाधा पैदा करने पर दी यह चेतावनी

सुशांत सिंह राजपूत केस की कवरेज को लेकर हाई कोर्ट ने मीडिया को लगाई फटकार, न्याय में बाधा पैदा करने पर दी यह चेतावनी

संक्षेप: एक्टर सुशांत सिंह राजपूत से जुड़े केस की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को मीडिया हाउसेज को नसीहत दी कि आत्महत्या के मामलों की रिपोर्टिंग के दौरान संयम बरते। कोर्ट ने दो चैनलों की...

Mon, 18 Jan 2021 04:37 PMSudhir Jha लाइव हिन्दुस्तान , मुंबई
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एक्टर सुशांत सिंह राजपूत से जुड़े केस की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को मीडिया हाउसेज को नसीहत दी कि आत्महत्या के मामलों की रिपोर्टिंग के दौरान संयम बरते। कोर्ट ने दो चैनलों की रिपोर्टिंग को मानहानिकारक बताते हुए कहा, ''मीडिया ट्रायल से न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप और बाधा उत्पन्न होती है।'' 

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चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी ने कहा कि सुशांत सिंह राजबूत की मौत के बाद रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ की कुछ रिपोर्टिंग मानहानिकारक थी। हालांकि, बेंच ने कहा कि इसने फिर भी चैनलों के खिलाफ कार्रवाई का फैसला नहीं किया है। 

अदालत ने कहा कि किसी भी मीडिया प्रतिष्ठान द्वारा ऐसी खबरें दिखाना अदालत की मानहानि करने के बराबर माना जाएगा जिससे मामले की जांच में या उसमें न्याय देने में अवरोध उत्पन्न होता हो। पीठ ने कहा, ''मीडिया ट्रायल के कारण न्याय देने में हस्तक्षेप और अवरोध उत्पन्न होते हैं और यह केबल टीवी नेटवर्क नियमन कानून के तहत कार्यक्रम संहिता का उल्लंघन भी करता है।''

अदालत ने कहा, ''कोई भी खबर पत्रकारिता के मानकों और नैतिकता संबंधी नियमों के अनुरूप ही होनी चाहिए अन्यथा मीडिया घरानों को मानहानि संबंधी कार्रवाई का सामना करना होगा।'' उच्च न्यायालय ने आत्महत्या के मामलों में खबर दिखाने को लेकर मीडिया घरानों के लिए कई दिशा-निर्देश भी जारी किए।

अदालत में राजपूत के मौत की घटना की प्रेस खासकर टीवी समाचार चैनलों द्वारा खबर दिखाने पर रोक लगाने की मांग करने वाली अनेक जनहित याचिकाओं पर पीठ ने पिछले वर्ष छह नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। ये याचिकाएं वरिष्ठ अधिवक्ता अस्पी चिनॉय, कार्यकर्ताओं, अन्य नागरिकों और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों के समूह द्वारा दायर की गई थीं। इनमें यह मांग भी की गई थी कि समाचार चैनलों को सुशांत मामले में मीडिया ट्रायल करने से रोका जाए। 

Sudhir Jha

लेखक के बारे में

Sudhir Jha
डिजिटल और प्रिंट मीडिया में डेढ़ दशक का अनुभव। भारतीय राजनीति के साथ एशियाई और वैश्विक मामलों की समझ। अर्थशास्त्र और खेल में भी रुचि। जम्मू-कश्मीर, लखनऊ और दिल्ली में पत्रकारिता कर चुके हैं। लाइव हिन्दुस्तान से पहले आज समाज, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, न्यूज ट्रैक, नवभारत टाइम्स में सेवा दे चुके हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी के साउथ कैंपस से हिंदी पत्रकारिता में पोस्ट ग्रैजुएशन डिप्लोमा से पहले कंप्यूटर साइंस में ग्रैजुएशन किया है। जन्म बिहार में हुआ और पले-बढ़े मेरठ में। और पढ़ें
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