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नाबालिग का हाथ पकड़ प्यार का इजहार करना यौन शोषण नहीं, POCSO कोर्ट ने आरोपी को किया बरी

मुंबई के एक पोक्सो कोर्ट ने 28 वर्षीय आरोपी को यह कहते हुए रिहा कर दिया कि किसी नाबालिग का हाथ पकड़ना और उससे प्यार का इजहार करना यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता है। आरोपी को साल 2017 में एक 17 साल की...

नाबालिग का हाथ पकड़ प्यार का इजहार करना यौन शोषण नहीं, POCSO कोर्ट ने आरोपी को किया बरी
लाइव हिन्दुस्तान टीम,मुंबईSun, 01 Aug 2021 11:34 AM

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मुंबई के एक पोक्सो कोर्ट ने 28 वर्षीय आरोपी को यह कहते हुए रिहा कर दिया कि किसी नाबालिग का हाथ पकड़ना और उससे प्यार का इजहार करना यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता है। आरोपी को साल 2017 में एक 17 साल की लड़की को प्रपोज करने के बाद गिरफ्तार किया गया था।

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे यह साबित हो सके कि आरोपी का इरादा यौन शोषण करने का था। फैसला सुनाते समय कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे कोई सबूत नहीं जिससे यह संकेत मिलते हों कि आरोपी ने लगातार पीड़िता का पीछा किया, उसे किसी सुनसान जगह पर रोका या फिर नाबालिग से यौन शोषण के लिए आपराधिक बल का इस्तेमाल किया। 

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक जज ने फैसला सुनाते समय कहा, 'अभियोजन पक्ष इस बात के सबूत लाने में असफल रहा कि आरोपी ने यौन उत्पीड़न की कोशिश की। इसलिए संदेह का लाभ देते हुए आरोपी को बरी किया जाता है।'

बता दें कि यह कोई पहली बार नहीं जब किसी बच्चे के हाथ पकड़ने को कोर्ट ने यौन अपराध मानने से इनकार किया हो। इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने पांच साल की बच्ची के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ के लिए एक 50 वर्षीय शख्स की सजा को पलट दिया था। कोर्ट ने फैसला सुनाते समय कहा था कि पैंट खोलकर एक नाबालिग का हाथ पकड़ना यौन शोषण की परिभाषा में नहीं आता है। 

प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस एक्ट को पोक्सो (POCSO) कहा जाता है। इसके तहत 18 साल से कम आयु के बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण से जुड़े अपराधों की सुनवाई होती है। 

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