महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता और कैबिनेट मंत्री यशोमति ठाकुर ने शनिवार को महा विकास अगाड़ी (एमवीए) के नेताओं से अपील की है कि अगर वे महाराष्ट्र में एक स्थिर सरकार चाहते हैं तो उनकी पार्टी के नेतृत्व पर टिप्पणी करना बंद करें। ठाकुर ने ट्वीट किया, "महाराष्ट्र कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष होने के नाते मुझे एमवीए में सहयोगियों से अपील करनी चाहिए कि अगर आप महाराष्ट्र में स्थिर सरकार चाहते हैं तो कांग्रेस पर टिप्पणी करना बंद कर दें। गठबंधन के बुनियादी नियमों का पालन करना चाहिए।"
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, "हमारा नेतृत्व बहुत मजबूत और स्थिर है। एमवीए का गठन लोकतांत्रिक मूल्यों में हमारी मजबूत धारणा का परिणाम है।"
Being a working president of MPCC I must appeal colleagues in MVA if you want stable govt in maharashtra then stop commenting leadership of Congress. Everybody should follow basic rules of coalition.
— Adv. Yashomati Thakur (@AdvYashomatiINC) December 5, 2020
उनकी प्रतिक्रिया राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार की टिप्पणी के बाद आई है जो एक नेता के रूप में राहुल गांधी की क्षमता पर सवाल उठाते हैं। शरद पवार ने कहा था कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कुछ समस्याएं हैं और उनके पास एक नेता के रूप में निरंतरता का अभाव है। एनसीपी ने बाद में स्पष्ट किया कि पवार की टिप्पणी केवल सलाह थी।
एनसीपी नेता महेश तापसे ने कहा, "एक समाचार संगठन के साथ इंटरव्यू में शरद पवार साहब ने जो भी कहा, उसे एक अनुभवी नेता की पिता की सलाह के रूप में माना जाना चाहिए। एमवीए तीनों दलों की सरकार है। यह शरद पवार थे जिन्होंने अपनी पुस्तक में राहुल गांधी की टिप्पणी के लिए बराक ओबामा की आलोचना की थी। पवार साहब ने स्पष्ट रूप से कहा था कि ओबामा अन्य देशों के नेताओं पर टिप्पणी न करें।''
महाराष्ट्र में शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस की एमवीए सरकार ने 28 नवंबर को अपना एक साल पूरा कर लिया। 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद इसका गठन किया गया। इस चुनाव में भाजपा, जिसने शिवसेना के साथ चुनाव लड़ी, वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। हालांकि, दोनों दलों के बीच सीएम पद को लेकर मतभेद सामने आए। मतभेद की वजह से गठबंधन तोड़नी पड़ गई। शिवसेना ने तब सरकार बनाने के लिए NCP और कांग्रेस से हाथ मिलाया।
भाजपा ने पिछले साल हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में सबसे अधिक 105 सीटें जीती थीं, उसके बाद शिवसेना ने 56 सीटें हासिल की। एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थीं।