हरियाणा की तरह महाराष्ट्र में भी BJP को मिलेगा RSS का बैकअप, स्वयंसेवकों ने संभाला मोर्चा
- हरियाणा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की लगातार तीसरी बार सरकार में वापसी के पीछे आरएसएस की अहम भूमिका मानी जा रही है। इसी तरह अब महाराष्ट्र में भी भाजपा को संघ से उम्मीद है।
हरियाणा की तरहब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा की अगुवाई में महायुति के लिए सत्ता में वापसी की चुनौती बनी हुई है। भगवा पार्टी को यहां टिकटों के बंटवारे के बाद बगावत और गठबंधन के सहयोगी दलों के कुछ फैसलों से जूझना पड़ रहा है, साथ ही सत्ता विरोधी माहौल की काट भी निकालने की चुनौती बनी हुई है। हालांकि, भाजपा के लिए राहत की बात यही है कि हरियाणा की तरह महाराष्ट्र में भी उसे आरएसएस का समर्थन मिलने की संभावना है।
भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच लोकसभा चुनाव के दौरान कुछ खटास आई थी, लेकिन वह अब पूरी तरह दूर हो चुकी है। संघ ने भाजपा के लिए बीते हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में भी काफी मेहनत की थी। खासकर हरियाणा में जहां भाजपा को बेहद कमजोर माना जा रहा था, लेकिन वह पिछली बार से ज्यादा सीटों के बहुमत से सत्ता में आने में सफल रही है।
संघ के सूत्रों के अनुसार संघ कभी किसी के लिए प्रचार या वोट नहीं मांगता है, लेकिन उसके स्वयंसेवकों ने लोगों के बीच जाकर जनजागरण कर राष्ट्र, राज्य और समाज के हित के मुद्दों पर बात की थी।
आरएसएस के एक पदाधिकारी ने कहा कि हम कभी भी राजनीतिक रूप से काम नहीं करते हैं, लेकिन समाज और देश की मजबूती के लिए कौन जरूरी है, यह बात लोगों के बीच ले जाते हैं। दरअसल, यह परोक्ष रूप से भाजपा को मजबूती देना ही होता है और संघ की इसी क्षमता से भाजपा को अपने विस्तार और चुनावी राजनीति में सफलता भी मिलती है।
संघ के लिए भी यह प्रतिष्ठा से जुड़ा
संघ के स्वयंसेवकों ने महाराष्ट्र में मोर्चा संभाला हुआ है। महाराष्ट्र इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि संघ का मुख्यालय महाराष्ट्र के नागपुर में है। संघ ने पूरे राज्य में लगभग 50 हजार स्थानों पर छोटी-छोटी बैठक कर जनजागरण का काम शुरू किया है। इन बैठकों में 50 से 200 तक लोग होते हैं और राय लेते हैं।