बेटे के लिए छोड़ेंगे बारामती सीट, यहां से चुनाव लड़ सकते हैं अजीत पवार; चाचा से फिर होगा टकराव
- वह अहमदनगर जिले के कर्जत-जामखेड निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़कर रणनीतिक कदम उठा सकते हैं। यह मौजूदा विधायक रोहित पवार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जिन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के राम शिंदे को हराकर सीट जीती थी।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता अजीत पवार ने आगामी विधानसभा चुनाव बारामती से न लड़ने और इसके बजाय अपने बेटे जय पवार को पारंपरिक गढ़ से मैदान में उतारने का संकेत दिया है। उन्होंने अंतिम निर्णय पार्टी कार्यकर्ताओं और एनसीपी के संसदीय बोर्ड पर छोड़ दिया है। पुणे में मीडिया से बात करते हुए अजीत पवार ने कहा कि बारामती से उनके बेटे की संभावित उम्मीदवारी जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं की मांग पर निर्भर करेगी।
उन्होंने कहा, "मुझे चुनाव लड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं है। मैंने सात से आठ चुनाव लड़े हैं। अगर जय के बारे में जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं की मांग है तो एनसीपी का संसदीय बोर्ड फैसला लेगा। जो भी फैसला होगा हम उसका सम्मान करेंगे।"
अजीत पवार किस सीट से लड़ेंगे चुनाव?
रिपोर्टों के अनुसार, वह अहमदनगर जिले के कर्जत-जामखेड निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़कर रणनीतिक कदम उठा सकते हैं। यह मौजूदा विधायक रोहित पवार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जिन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के राम शिंदे को हराकर सीट जीती थी। अजीत पवार के कर्जत-जामखेड से चुनाव लड़ने की संभावना रोहित पवार के ट्वीट के बाद तेज हो गई है।
उनका यह ट्वीट अजीत पवार द्वारा एक इंटरव्यू में सार्वजनिक रूप से स्वीकार किए जाने के बाद आया है कि बारामती में सुप्रिया सुले के खिलाफ अपनी पत्नी को मैदान में उतारना एक गलती थी। इस स्वीकारोक्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए रोहित पवार ने कहा, "मुझे यकीन था कि सुप्रिया ताई के खिलाफ सुनेत्रा काकी को मैदान में उतारने का फैसला दादा का नहीं था। आपने एक साक्षात्कार में स्वीकार किया है कि यह एक गलती थी, लेकिन आपके सहयोगी कहते रहते हैं कि यह दादा का फैसला था। हालांकि आप इसे गलती कहते हैं, लेकिन वास्तव में यह दिल्ली में बैठे गुजरात के नेताओं के दबाव के कारण था। अब, विधानसभा चुनावों के लिए मेरे निर्वाचन क्षेत्र को लेकर आप पर भी इसी तरह के दबाव की बात हो रही है।"
इस ट्वीट ने अटकलों को हवा दी है कि अजीत पवार कर्जत-जामखेड से चुनाव लड़ सकते हैं। इससे पवार परिवार के भीतर ही एक महत्वपूर्ण चुनावी लड़ाई की स्थिति बन गई है।
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