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मध्य प्रदेश में एक साथ गिरे दो लड़ाकू विमान, बच गई 2 पायलट की जान; कैसे काम करती है इजेक्शन सीट

भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के दो लड़ाकू विमानों (Fighter Plane ) के क्रैश होने के बाद एक बार फिर पायलटों की सुरक्षा पर सवाल खड़े होने लगे हैं। सुखोई एसयू-30 एमकेआई, और मिराज-200 क्रैश हुए।

मध्य प्रदेश में एक साथ गिरे दो लड़ाकू विमान, बच गई 2 पायलट की जान; कैसे काम करती है इजेक्शन सीट
Himanshu Kumar Lallलाइव हिन्दुस्तान, मुरैनाSat, 28 Jan 2023 04:54 PM

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भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के एक ही दिन में दो लड़ाकू विमानों (Fighter Plane ) के क्रैश होने के बाद एक बार फिर पायलटों की सुरक्षा पर सवाल खड़े होने लगे हैं। हादसे में मिराज-2000 फाइटर प्लेन के पायलट की मौत हो गई, जबकि सुखोई एसयू-30 एमकेआई (Sukhoi Su-30MKI) लड़ाकू विमान से दोनों पायलटों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। 

हादसे वक्त दोनों लड़ाकू विमान नियमित प्रशिक्षण अभियान  के तहत मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में उड़ान भर रहे थे। आईएएफ (IAF) के दोनों विमानों ने ग्वालियर एयरबेस से उड़ान भरी थी। आसमान में 2 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी ज्यादा उड़ने वाले सुखोई एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में पायलट की सुरक्षा के लिए कई इंतजाम होते हैं।

यही नहीं, सभी लड़ाकू विमानों में पायलट की सीट के साथ एक रॉकेट बंधा होता है। इजेक्शन सीट के साथ ही पैराशुट भी लगा होता है। विमान के दुघर्टना होने से ठीक पहले पायलट इजेक्शन सीट के सहारे बटन दबाते ही क्रैश हो रहे विमान से सुरक्षित बाहर निकल जाता है। 

इजेक्शन सीट ऐसे बचाती है पायलट की जान
लड़ाकू विमान के क्रैश होने से पहले फाइटर पायलट के सामने जिंदगी, और मौत बीच की दूरी सिर्फ चंद ही सेकेंड की होती है। क्रैश होने से पहले पायलट को अपनी जान बचाने के लिए विमान से बाहर निकलना होता है। पायलट की जान बचाने के लिए सीट के नीचे लगा रॉकेट पावर सिस्टम बहुत ही ज्यादा मददगार साबित होता है।

बटन दबाते ही पायलट इजेक्शन सीट के सहारे गिरते हुए विमान से बाहर निकल जाता है, जिससे उसकी जान बच जाती है। इजेक्शन सीट की मदद से पायलट क्रैश हो रहे लड़ाकू विमान से करीब 25-30 फुट तक ऊपर उछल जाता है। यहीं नहीं, सीट के साथ पैराशुट भी लगा होता है, जिसकी मदद से पायलट सुरक्षित जमीन पर लौट आता है। 

क्रैश हो रहे लड़ाकू विमान से पैराशुट के साथ पायलट क्यों नहीं लगाते छलांग?
क्रैश हो रहे फाइटर प्लने से निकलने के लिए पायलट को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इजेक्शन सीट के इस्तेमाल से भले ही पायलट की जान बच जाती है, लेकिन पायलट के जख्मी होने का भी खतरा हमेशा ही बना रहता है। रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो लड़ाकू विमान की रफ्तार बहुत तेज होती है। ऐसे में पैराशूट लेकर बाहर कूदते समय इस बात  की आशंका हमेशा ही बनी रहती है कि पायलट विमान के पंख या किसी अन्य हिस्से के चपेट में आ जाए। ऐसे होने पर पैराशुट को भी नुकसान होगा। 

कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश
मध्य प्रदेश में दो फाइटर जेट‌्स के दुघर्टना के बाद बाद भारतीय वायु सेना का सख्त एक्शन देखने को मिला है। मामले को गंभीर मानते हुए आईएएफ ने हादसे की जांच के लिए ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ का आदेश जारी कर दिया है। दोनों विमानों ने ग्वालियर एयरबेस से उड़ान भरी थी। दुघर्टना के बाद अचानक मिराज में आग लगी। रक्षा सूत्रों की बात मानें तो लड़ाकू विमानों के हादसे की बारीकी से निगरानी की जा रही है।  

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