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MP के इस गांव में रक्षाबंधन पर बहनें नही बांध पाती भाई की कलाई पर राखी, जानें कारण

सोमवार को जब अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर बहनें राखी मना रही होगी, ठीक उसी वक्त मध्य प्रदेश के एक गांव में अधिकांश बहनें तुलसी के पौधे या फिर भाई की तस्वीर को राखी बांधकर उनसे देश सेवा का वचन...

MP के इस गांव में रक्षाबंधन पर बहनें नही बांध पाती भाई की कलाई पर राखी, जानें कारण
The Pebble,राजगढ़।Sun, 02 Aug 2020 03:39 PM
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सोमवार को जब अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर बहनें राखी मना रही होगी, ठीक उसी वक्त मध्य प्रदेश के एक गांव में अधिकांश बहनें तुलसी के पौधे या फिर भाई की तस्वीर को राखी बांधकर उनसे देश सेवा का वचन ले रही होंगी।

देश मे जब रक्षाबंधन के पर्व पर बहने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। ऐसे में मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के एक गांव में की युवतियां सिर्फ़ भाइयों का इंतजार करती हैं। लेकिन ये युवतियां अपने भाई की कलाई पर राखी नहीं बांधी पातीं और उनके फोटो या फिर तुलसी के पौधे पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं।

गांव के हर तीसरे घर का युवा आर्मी में हैं, जिस कारण सीमा पर ड्यूटी के चलते उन्हें छुट्टी नहीं मिलती। वह रक्षाबंधन पर भी घर नहीं आते और उनकी बहन इंतजार करती रहती है। लेकिन इन बहनों की खुशनसीबी हैं, कि सन 1942 से गांव के युवा आर्मी में नौकरी कर रहे हैं। लेकिन आज तक इस गांव का एक भी जवान शहीद नहीं हुआ।

राजगढ़ जिले के रामगढ़ गांव में रक्षाबंधन के पर्व पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने को तरसती हैं। इस गांव के ज्यादार युवा आर्मी में भर्ती होकर देश सेवा कर रहे हैं। बहने अपने भाइयों से रक्षाबंधन पर देश सेवा का वचन लेती है।

रामगढ़ की तरह देश सेवा से जुड़ा हैं लथोनी गांव, जहां हर चौथे घर मे एक फ़ौजी
रामगढ़ गांव की तरह ही लथोनी गांव को वीरों की भूमि के नाम से जाना जाता है। इस गांव के भी हर चौथे घर से एक फ़ौजी हैं। और हर वर्ष बढ़ चढ़कर युवा सेना भर्ती में हिस्सा लेते हैं। दस से पन्द्रह युवा सेना में भर्ती होते हैं। और रक्षाबंधन पर यहां की युवतियां भी भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिए तरसती हैं।और सेना में भर्ती भाई का इंतजार करती हैं।

रक्षाबंधन पर बहनों को आती है भाइयों की याद- लेकिन देश सेवा भी हैं भाइयों का फ़र्ज
पूजा राठौर के मुताबिक दिलीप और दशरथ उसके दो भाई हैं। और दोनो भाई सेना में नौकरी करते हैं। लेकिन रक्षाबंधन पर उन्हें छुट्टी नही मिलती जिस कारण वह घर नही आ पाते। यही कुछ कहना हैं सुमित्रा कुँवर का जो अपने भाई को याद कर रोते हुए कहती हैं, इस दिन का वो सालभर इंतजार करती हैं। लेकिन उनके भाई को छुट्टी नही मिल पाती और वो अपने भाई की कलाई पर राखी नही बाँध पाती हैं। बस यही सोचकर सतोष कर लेती हैं, कि परिवार से बड़ी देश सेवा हैं जिसे उसका भाई निभा रहा हैं।

'जिस देश की मिट्टी में जन्म लिया उसका कर्ज़ चुकाना हैं फ़र्ज'
आर्मी में अठाईस वर्ष सेवा दे चुके सूबेदार भँवर सिंह के मुताबिक उनके दोनो बच्चे भी सेना में हैं। और देशभक्ति गांव में मिट्टी में हैं, और हर नौजवान में कूट कूटकर भरी हैं। और परिवार का पालन पोषण करने से पहले जिस मिट्टी में उन्होंने जन्म लिया है उसका कर्ज़ चुकाना पहला फ़र्ज हैं। जिसके लिए गांव के युवा सेना में रहकर देश सेवा करते हैं। और देश मे अलग -अलग इलाकों में ड्यूटी दे रहे है। और रिटायरमेंट के बाद वो खुद भी युवाओ को देश सेवा के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

आस पास के गांव भी हो रहे प्रेरित- इन जातियों में बढ़ रहा सेना भर्ती का क्रेज
रामगढ़ गांव के युवाओ के सेना में भर्ती होने से आस पास के गांव के लथोनी ,अरन्या ,राजपुरा, गढ़गच गांव के युवा भी प्रेरित हो रहे हैं। और सेना में जाने की तैयारी कर रहें हैं। वही सेना में सेवा देने में दांगी ,और राजपूत जाति के लोग ज्यादा हैं। और उसके बाद सेना जाने का सबसे ज्यादा क्रेज जिन जातियों में दिखाई दे रहा हैं। वो ब्राह्मण, हरिजन,लुहार, साहू ,गाडरी आदि समाज के लोग है।

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