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मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार में ग्वालियर-चंबल संभाग का दबदबा, सिंधिया खेमे को अहमियत

मध्यप्रदेश में डेढ़ साल पहले विधानसभा चुनाव में जिस ग्वालियर-चंबल संभाग ने भाजपा को सत्ता से बाहर करने में अहम भूमिका निभाई थी, वही अब भाजपा की शिवराज सिंह चौहान सरकार में सबसे भारी है। ज्योतिरादित्य...

मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार में ग्वालियर-चंबल संभाग का दबदबा, सिंधिया खेमे को अहमियत
विशेष संवाददाता,नई दिल्लीFri, 03 Jul 2020 03:43 AM
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मध्यप्रदेश में डेढ़ साल पहले विधानसभा चुनाव में जिस ग्वालियर-चंबल संभाग ने भाजपा को सत्ता से बाहर करने में अहम भूमिका निभाई थी, वही अब भाजपा की शिवराज सिंह चौहान सरकार में सबसे भारी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस से बाहर आए विधायकों ने कांग्रेस की कमलनाथ सरकार का पतन तो किया ही है अब भाजपा की नई सरकार में भी वे प्रभारी बनकर उभरे हैं। इससे भाजपा का राज्य में क्षेत्रीय संतुलन तो बिगड़ा ही है। साथ ही बड़े नेताओं के बीच टकराव बढ़ने की आशंका भी बढ़ गई है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी सरकार के दूसरे बड़े विस्तार में 28 मंत्रियों को शामिल कर विधानसभा उपचुनाव के समीकरण साधने की पूरी कोशिश की है। इन उप चुनावों के नतीजे सरकार का भविष्य तय करेंगे। यही वजह है कि सिंधिया के साथ कांग्रेस से बाहर आए नेताओं को मंत्रिमंडल में काफी जगह मिली है और वही प्रदेश के क्षेत्रीय संतुलन को गड़बड़ा रहा है। 34 सदस्यों वाली सरकार में ग्वालियर चंबल संभाग से 12 मंत्री हैं।

शिवराज के सियासी समीकरण
हालांकि इससे सियासी जमीन पर मुख्यमंत्री और ज्यादा मजबूत हुए हैं। प्रदेश भाजपा और नई सरकार में ग्वालियर चंबल संभाग का दबदबा बढ़ने के साथ इस क्षेत्र के नेताओं के बीच वर्चस्व को लेकर टकराव भी बढ़ेगा, जबकि प्रदेश के अन्य हिस्सों में शिवराज सिंह चौहान को चुनौती देने वाला कोई बड़ा नेता नहीं होगा।

वर्चस्व को लेकर बढ़ सकता है टकराव
'ग्वालियर चंबल संभाग' में भाजपा के दिग्गज नेताओं में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, कांग्रेस से भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा, मध्य प्रदेश सरकार के ताकतवर मंत्री नरोत्तम मिश्रा जैसे बड़े नाम हैं। इन नेताओं को अब क्षेत्र में अपने वर्चस्व को बनाए रखने के लिए आपसी तालमेल तो बैठाना ही होगा साथ ही अपनी ताकत को बरकरार रखने के लिए जूझना भी पड़ेगा। दूसरी तरफ बाकी मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह बिना किसी बड़ी चुनौती के शीर्ष भूमिका में बने रहेंगे।

मालवा-विंध्य को झटका
नए मंत्रिमंडल में मालवा-निमाड़ को ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई है। इस क्षेत्र के बड़े नेता कैलाश विजयवर्गीय पहले से ही भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में केंद्रीय राजनीति में है, जबकि महाकौशल व विंध्य क्षेत्र के प्रमुख नेता सरकार में जगह पाने में नाकामयाब रहे हैं और जिन लोगों को जगह मिली है वे शिवराज सिंह चौहान और संगठन की पसंद से मंत्री बने हैं।

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