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Hindi News मध्य प्रदेशPM ने कुनो में छोड़े चीतें, ऐतिहासिक दिन पर देशवासियों को दी बधाई , नामीबिया सरकार को ज्ञापित किया धन्यवाद

PM ने कुनो में छोड़े चीतें, ऐतिहासिक दिन पर देशवासियों को दी बधाई , नामीबिया सरकार को ज्ञापित किया धन्यवाद

चीता दशकों बाद हमारी धरती पर वापस आए हैं। और इस ऐतिहासिक दिन पर मैं सभी देशवासियों को बधाई देना चाहता हूं। इसके साथ ही नामीबिया की सरकार को भी धन्यवाद देना चाहता हूं।

PM ने कुनो में छोड़े चीतें, ऐतिहासिक दिन पर देशवासियों को दी बधाई , नामीबिया सरकार को ज्ञापित किया धन्यवाद
Suyash Bhattलाइव हिंदुस्तान,भोपालSat, 17 Sep 2022 12:46 PM

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देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जन्मदिन के मौके पर नामीबिया से भारत लाए गए 8 चीतों को मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में छोड़कर चीता परियोजना का शुभारंभ किया। पीएम ने बटन दबाकर पिंजड़े का दरवाजा खोला और चीतों को कूनो नेशनल पार्क में रिहा किया। चीतों को छोड़ते हुए खुद कैमरे में कैप्चर किया। 

प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबियाई चीतों को छोड़ने के बाद कहा कि आज चीता दशकों बाद हमारी धरती पर वापस आए हैं। और इस ऐतिहासिक दिन पर मैं सभी देशवासियों को बधाई देना चाहता हूं। इसके साथ ही नामीबिया की सरकार को भी धन्यवाद देना चाहता हूं। क्योंकि यह उनकी मदद के बिना संभव नहीं हो सकता था। 

उन्होंने आगे कहा कि हमने उस समय को भी देखा, जब प्रकृति के दोहन को शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक मान लिया गया था। साल 1947 में जब देश में केवल तीन चीते बचे थे, तो उनका भी शिकार कर लिया गया। और ये दुर्भाग्य रहा कि 1952 में हमने चीतों को विलुप्त तो घोषित कर दिया। लेकिन आज आजादी के अमृत काल में देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है।

पीएम ने कहा कि एक ऐसा काम राजनैतिक दृष्टि से जिसे कोई महत्व नहीं देता, इसके पीछे हमने वर्षों ऊर्जा लगाई। जिसके चलते हमने चीता एक्शन प्लान बनाया। हमारे वैज्ञानिकों ने नामीबिया के एक्सपर्ट के साथ काम किया। और पूरे देश में वैज्ञानिक सर्वे के बाद नेशनल कूनो पार्क को शुभ शुरुआत के लिए चुना गया। अबकूनो नेशनल पार्क में चीता फिर से दौड़ेंगे। आने वाले दिनों में यहां ईको टूरिज्म बढ़ेगा। साथ ही रोजगार के नए अवसर बढ़ेंगे।

हमारे यहां चीते मेहमान बनकर आए और इस क्षेत्र से अनजान हैं। कूनो को ये चीते अपना घर बना पाएं, इसीलिए हमें इन्हें कुछ महीनों का समय देना होगा। इंटरनेशनल मापदंड के अनुसार ही भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहा हैं।

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