mp election relationships be tested in mp elections fight between cousins and uncle nephew somewhere एमपी चुनाव में रिश्तों का भी इम्तिहान; कहीं सगे भाई तो कहीं चाचा-भतीजे और जेठ-बहू के बीच जंग, Madhya-pradesh Hindi News - Hindustan
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एमपी चुनाव में रिश्तों का भी इम्तिहान; कहीं सगे भाई तो कहीं चाचा-भतीजे और जेठ-बहू के बीच जंग

Madhya Pradesh Assembly Elections 2023 : मध्य प्रदेश के चुनावी समर में रिश्तों का भी इम्तिहान होने वाला है। कहीं से सगे भाई तो कहीं से चाचा-भतीजे और जेठ-बहू चुनाव मैदान में आमने-सामने हैं।

Krishna Bihari Singh लाइव हिंदुस्तान, उज्जैनTue, 24 Oct 2023 09:55 AM
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एमपी चुनाव में रिश्तों का भी इम्तिहान; कहीं सगे भाई तो कहीं चाचा-भतीजे और जेठ-बहू के बीच जंग

Madhya Pradesh Assembly Elections 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में कई सीटों पर रिश्तों का भी इम्तिहान हो रहा है। सूबे की पांच सीटें ऐसी हैं जहां भाई से भाई और चाचा से भतीजा, समाधि से समधन और जेठ-बहू आमने सामने चुनाव लड़ रहे हैं। ये सीटें नर्मदापुरम, टिमरनी, सागर, देवतालाब और डाबर हैं। नर्मदापुरम में दो सगे भाइयों के बीच मुकाबला है। पहले दोनों भाजपा में थे। वहीं कांग्रेस ने भाजपा से आये गिरजा शंकर को टिकट दे कर इस सीट पर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। इस सीट पर भाजपा ने उनके सगे भाई को मैदान में उतारा है। सागर सीट पर यही नजारा है जहां जेठ के सामने बहु चुनाव लड़ रही है। हरदा जिले की टिमरनी विधानसभा में चाचा भाजपा से जबकि भतीजा कांग्रेस से चुनाव मैदान में है।

टिमरनी सीट पर चाचा-भतीजा आमने-सामने
हरदा जिले की टिमरनी विधानसभा सीट पर चाचा-भतीजा आमने-सामने नजर आ रहे हैं। हरदा जिले की इस सीट पर भाजपा ने विधायक संजय शाह को टिकट दिया है। संजय टिमरनी विधानसभा सीट से 2008 से लगातार तीन बार के विधायक हैं। वहीं कांग्रेस ने इस सीट पर संजय शाह के भतीजे अभिजीत को दोबारा चुनाव मैदान में उतार दिया है। पिछली बार भी इस सीट पर रोचक मुकाबला देखा गया था। भतीजा अपने चाचा से महज 2,213 वोटों के अंतर से हार गया था। मकराई राजघराने के वंशज चाचा-भतीजे की ये जोड़ी दूसरी बार आमने-सामने है।

सागर सीट पर जेठ-बहू आमने-सामने
सागर विधानसभा सीट पर जेठ और बहू आमने-सामने हैं। इस सीट पर जैन समाज के लोग बड़ी संख्या में हैं। इस सीट पर पिछले 38 साल से जैन प्रत्याशी ही चुनाव जीतते आ रहे हैं। भाजपा ने 3 बार के विधायक शैलेंद्र जैन को टिकट दिया है। शैलेंद्र चौथी बार चुनाव मैदान में हैं। वहीं, कांग्रेस ने इस सीट से शैलेंद्र के छोटे भाई सुनील की पत्नी निधि को टिकट देकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। निधि साल 2020 के नगरीय चुनावों में महापौर का चुनाव लड़ चुकी हैं। निधि भाजपा की संगीता तिवारी से चुनाव हार गई थीं। अपने जेठ के खिलाफ चुनाव लड़ने के सवाल पर निधि ने कहा कि परिवार और राजनीति अलग-अलग हैं। मेरे जेठ बीजेपी में हैं। मैं कांग्रेस में हूं। मेरे पति सुनील जैन 1993 में देवरी से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे। हम लोग कांग्रेस की राजनीति में विश्वास रखते हैं। मैं कांग्रेस की गांधीवादी विचारधारा से जुड़ी हूं। दोनों के अपने-अपने सिद्धांत हैं।

देवतालाब सीट पर चाचा-भतीजे के बीच जंग
देवतालाब विधानसभा से भाजपा ने 3 बार के विधायक और वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को टिकट दिया है। गिरीश इस सीट पर 2008 से लगातार विधायक हैं। पिछली बार देवतालाब सीट पर भाजपा-कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर हुई थी। गिरीश गौतम बीएसपी की सीमा सिंह सेंगर से 1080 वोट से चुनाव जीते थे। कांग्रेस की विद्यावती पटेल को 22% वोट मिले थे। गिरीश 2008 और 2013 का चुनाव करीब 3 हजार वोट के मार्जिन से जीते थे। इस बार कांग्रेस ने इस सीट पर गिरीश के भतीजे पद्मेश गौतम को टिकट देकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। इस सीट पर भाजपा, कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल सकता है। पद्मेश गौतम साल 2020 में जिला पंचायत का चुनाव जीते थे। उन्होंने गिरीश के बेटे राहुल गौतम को चुनाव हराया था। यही वजह रही कि कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया है।

नर्मदापुरम में दो सगे भाइयों के बीच मुकाबला
नर्मदापुरम सीट पर भी दिलचस्प मुकाबला होने जा रहा है। इस सीट से 2 सगे भाई चुनाव मैदान में हैं। भाजपा ने 5 बार के विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने इस सीट पर सीतासरन के सगे भाई गिरिजाशंकर को टिकट देकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। गिरिजाशंकर साल 2003 से 2013 तक भाजपा के टिकट पर विधायक रह चुके हैं। गिरिजाशंकर जनसंघ के समय से भाजपा में रहे। करीब 45 साल भाजपा में रहने के बाद 10 सितंबर को गिरिजाशंकर ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी। भाई के खिलाफ चुनाव लड़ने की बात पर गिरिजाशंकर ने कहा कि चुनाव को लेकर मेरी पूरी तैयारी है। हाईकमान ने टिकट देने से पहले ही आगाह कर दिया था। भाजपा ने मेरे भाई के नाम की घोषणा पहले कर देती तो मैं चुनाव नहीं लड़ता। कांग्रेस ने मुझे पहले ही टिकट दे दिया था। अब पीछे भी नहीं हटूंगा। पार्टी को जीत दिलाउंगा। सीतासरन पहली बार 1990 में विधायक बने थे। इसके बाद 1993 और 1998 का चुनाव जीते। अभी 2013 से लगातार विधायक हैं। साल 2014 से 2019 तक विधानसभा अध्यक्ष भी रहे हैं। सीतासरन ने कहा- मुकाबला कड़ा है। यह व्यक्ति विशेष की नहीं विचारधारा की लड़ाई है।

डबरा सीट पर समाधी-समधन के बीच मुकाबला
डबरा विधानसभा सीट पर समाधि-समधन के बीच मुकाबला देखा जा रहा है। भाजपा से इमरती देवी चुनाव मैदान में हैं। वहीं कांग्रेस ने इमरती देवी के समाधि और वर्तमान विधायक सुरेश राजे को टिकट दिया है। पिछले उप चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस से आईं इमरती देवी को डबरा से टिकट दिया था। वहीं कांग्रेस ने इमरती देवी के खिलाफ उनके समाधि और सुरेश राजे को टिकट दिया था। तब इमरती देवी चुनाव हार गई थीं। इसके पहले सुरेश राजे भाजपा में थे लेकिन इमरती देवी के आने के बाद कांग्रेस में चले गए। इमरती 2008 में पहली बार विधायक बनी थीं। साल 2020 तक डबरा से कांग्रेस की टिकट पर लगातार 3 बार विधायक रहीं। ऐसा तीसरी बार है, जब इमरती और उनके समधी चुनाव में आमने-सामने हैं। साल 2013 में सुरेश भाजपा के टिकट पर इमरती के खिलाफ चुनाव लड़े थे। इसके बाद 2020 के उपचुनाव में एक बार फिर दोनों आमने-सामने आए। दोनों एक-दूसरे के धुर विरोधी माने जाते हैं, इसलिए यहां भी मुकाबला रोचक होने वाला है। बता दें कि सुरेश के भाई के बेटे मनीष की शादी इमरती के भाई की बेटी प्रतिभा से हुई है। 

इनपुट- विजेन्द्र यादव

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