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Hindi News मध्य प्रदेशसफेद बाघ रघु को नसीब नहीं राज्यमंत्री की गोद, आठ माह पहले किया था खर्च उठाने का वादा

सफेद बाघ रघु को नसीब नहीं राज्यमंत्री की गोद, आठ माह पहले किया था खर्च उठाने का वादा

व्हाइट टाइगर सफारी के एक बाघ को सूबे के ही एक राज्यमंत्री ने गोद लेने की बात कही थी। लंबा समय बीत गया लेकिन राज्य मंत्री ने बाघ के लिए पैसा देना तो दूर उसे देखना भी उचित नहीं समझा।

सफेद बाघ रघु को नसीब नहीं राज्यमंत्री की गोद, आठ माह पहले किया था खर्च उठाने का वादा
Vishva Gauravलाइव हिंदुस्तान,सतना।Mon, 26 Sep 2022 10:16 AM

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मध्य प्रदेश की व्हाइट टाइगर सफारी के एक बाघ को सूबे के ही एक राज्यमंत्री ने गोद लेने की बात कही थी। लंबा समय बीत गया लेकिन राज्य मंत्री ने बाघ के लिए पैसा देना तो दूर उसे देखना भी उचित नहीं समझा। बात सतना जिले में स्थित व्हाइट टाइगर सफारी की है। यहां के एक बाघ को राज्य मंत्री राम खेलावन पटेल ने गोद लेने की घोषणा की थी। इसके बाद से उन्होंने सुध नहीं ली। 

महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव टाइगर सफारी मुकुंदपुर के सफेद बाघ रघु को राज्यमंत्री की 'गोद' में खेलने का अवसर नसीब नहीं हो पाया। करीब आठ महीने पहले राज्य मंत्री रामखेलावन पटेल ने सफेद बाघ रघु को गोद लेने की घोषणा वन्य प्राणी अंगीकरण योजना के तहत की थी। योजना के अनुसार एक साल के लिए उन्होंने सफेद बाघ रघु का पूरा खर्च उठाने का जिम्मा तो लिया, लेकिन आठ माह गुजर जाने के बाद भी उन्होंने जू प्रबंधन को राशि का चेक नहीं दिया।

10 फरवरी को की थी गोद लेने की घोषणा
गौरतलब है कि मुकुंदपुर टाइगर सफारी में एक समारोह के दौरान राज्य मंत्री ने 10 फरवरी 2022 को रघु को गोद लिया था। उन्हें एक साल यानी 9 फरवरी 2023 तक के लिए पूरा खर्च देना था। लगभग आठ महीने से ज्यादा का वक्त गुजर जाने के बाद भी उनके द्वारा कोई भी राशि नहीं दी गई।

वन्य प्राणी अंगीकरण योजना के अनुसार सफेद बाघ को गोद लेने की सहमति देकर शायद राज्यमंत्री पटेल को अपना वादा याद नहीं रह गया। यही कारण है कि उन्होंने तीन बार सफारी का दौरा किया, लेकिन बाघ को सिर्फ एक पर्यटक के तौर पर ही देखा। प्रबंधन से जुड़े सूत्रों की मानें तो जब तक पैसा जारी नहीं होता तब तक गोद की प्रक्रिया पूर्ण नहीं मानी जाती। बहरहाल उन्होंने गोद लेने का ऐलान कर वाहवाही बटोर ली।

एक दिन का खर्च 1168 रुपये
बताया गया है कि वन्य प्राणी अंगीकरण योजना के अनुसार राज्यमंत्री को प्रतिदिन के हिसाब से 1168 रुपये खर्च करने पड़ते। एक साल में उन्हें लगभग 4 लाख 26 हजार 320 रुपये का भुगतान करना पड़ता। हालांकि उन्होंने अभी तक जू प्रबंधन को एक फूटी कौड़ी तक नहीं दी। इस मामले में राजनीतिक प्रभाव के चलते जू प्रबंधन ने भी कोई पत्राचार नहीं किया। मुकुंदपुर जू सतना के प्रबंधक संजय रायखेरे ने बताया कि वन्य प्राणी अंगीकरण योजना के तहत राज्यमंत्री ने सहमति दी थी,लेकिन उन्होंने कोई राशि जारी नहीं की। सभी बाघों की देखभाल जू की तरफ से की जा रही है।

आपको बता दें कि मुकुंदपुर टाइगर सफारी में इन दिनों तीन सफेद बाघ सहित कुल 9 बाघ मौजूद हैं। पिछले दिनों बाघों के सम्पूर्ण स्वास्थ्य परीक्षण के लिए दल बुलाया गया था। जिन्होंने बारी-बारी से सभी की जांच की। जांच के बाद कुछ लोगों ने सफेद बाघिन विंध्या के बीमार होने की अफवाह उड़ा दी। प्रबंधन के मुताबिक वह बीमार नहीं है। हालांकि तस्वीरों में उसके स्वास्थ्य में गिरावट जरूर देखी जा रही है।

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