रात के ढाई बजे स्कूटर से अस्पताल पहुंचे मंत्री, आवाज लगाई कोई है... किसी के नहीं मिलने पर बोले बढ़िया है
मध्यप्रदेश के सागर जिले के गढ़ाकोटा में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल उस समय खुल गईं, जब राज्य के लोक निर्माण विभाग मंत्री गोपाल भार्गव स्वयं देर रात अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे और वहां पर कोई भी...
मध्यप्रदेश के सागर जिले के गढ़ाकोटा में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल उस समय खुल गईं, जब राज्य के लोक निर्माण विभाग मंत्री गोपाल भार्गव स्वयं देर रात अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे और वहां पर कोई भी दिखाई नहीं दिया। मंत्री ने अस्पताल के अंदर जाकर कई बार आवाज लगाई कोई है। पर किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। मंत्री ने अस्पताल में कई कमरों के दरवाजे भी खोले पर न तो उन्हें डॉक्टर मिले और न ही स्टाफ।
मंत्री भार्गव ने इस घटना के संबंध में एक मिनट से अधिक समय का वीडियो अपने फेसबुक एकाउंट पर पोस्ट करते हुए लंबी चौड़ी टिप्पणी की है। वीडियो में दिखाई दे रहा है कि मंत्री अपने विधानसभा क्षेत्र रहली के अधीन आने वाले गृहनगर गढ़ाकोटा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्कूटर से सवार होकर रात्रि लगभग ढाई बजे पहुंचे। अपने समर्थकों के साथ पहुंचे भार्गव ने केंद्र के विभिन्न कक्षों में जाकर कर्मचारियों आदि को आवाज भी दीं, लेकिन एक कर्मचारी भी नजर नहीं आया।
किसी के नहीं मिलने पर भार्गव वीडियो में 'बहुत बढ़िया, बहुत बढ़िया' भी कहते हुए नजर आए। इसके बाद वे केंद्र के बाहर आए और स्कूटर पर सवार होकन अपने समर्थकों के साथ चल दिए। भार्गव ने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि पिछले कई दिनों से उन्हें शिकायत प्राप्त हो रही थीं कि गढ़ाकोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों को घंटों प्रतीक्षा करनी पड़ती है, लेकिन कोई भी डॉक्टर या कर्मचारी उन्हें नहीं मिलते हैं। भोपाल से गढ़ाकोटा लौटने के बाद कल उन्हें फिर इसी तरह की शिकायत मिलीं और वे गुरुवार तथा शुक्रवार की दरम्यानी रात्रि में लगभग ढाई बजे अचानक स्वास्थ्य केंद्र पहुुंच गए। उनके साथ कुछ आम लोग भी थे।
भार्गव ने लिखा है कि उन्होंने पूरी अस्पताल का भ्रमण किया और जोर जोर से आवाज लगाईं, लेकिन कोई भी डॉक्टर, कंपाउंडर, नर्स या पैरामेडिकल स्टाफ, यहां तक कि चौकीदार भी अस्पताल में उपस्थित नहीं मिला। पूरे अस्पताल में घूमने के बाद वे अपनी स्कूटी से घर वापस आ गए।
पिछले तीन चार दशकों से विधानसभा के सदस्य रहे भार्गव ने लिखा है कि सोच रहा हूं, कि कैसे गैर जिम्मेदार लोग हैं कि प्रदेश सरकार में मंत्री के गृहनगर के स्वास्थ्य केंद्र के यह हालात हैं कि मंत्री 2: 30 बजे रात को जाग रहा है और कर्मचारी दिन में भी नहीं मिल रहे हैं। यही हाल मेरे विधानसभा क्षेत्र रहली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा शाहपुर स्वास्थ्य केंद्र का भी है। मैंने आज यह तय किया है कि जब भी मैं अपने क्षेत्र में रहूंगा, दिन और रात में कम से कम दो बार इन अस्पतालों का औचक निरीक्षण अवश्य करुंगा। न ही खुद सोऊंगा और न ही सोने दूंगा। लापरवाही में लिप्त पाए जाने पर इनके विरुद्ध विधिसम्मत जो भी सख्त कार्रवाई की जा सकेगी, उसे भी करुंगा।
भार्गव ने लिखा है कि कोरोना महामारी के संक्रमण काल में स्वास्थ्य सेवा जैसी आपातकाल सेवाओं में इस प्रकार की लापरवाही बदार्श्त करने लायक बिल्कुल भी नहीं है। एक तरफ जहां मनरेगा का मजदूर 200 रुपए प्रति दिन की मजदूरी के लिए अपनी हड्डियां तोड़ रहा है, वहीं तीन चार हजार रुपए प्रतिदिन का मोटा वेतन लेने वाले डॉक्टर और अधिकारी अपने वातानुकूलित घरों में ऐश कर रहे हैं। अब यह नहीं चलेगा। मंत्री ने कहा कि वे अपने क्षेत्र के स्वास्थ्य केंद्रों के औचक निरीक्षण के साथ साथ अब जिला चिकित्सालय एवं मेडिकल कॉलेज (सागर) की व्यवस्थाओं का निरीक्षण भी सप्ताह में दो दिन करेंगे।
भार्गव ने लिखा है कि उन्होंने स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के संबंध में मुख्यमंत्री को भी अवगत कराया था। मुख्यमंत्री ने उन्हें शीघ्र अतिशीघ्र व्यवस्थाओं को ठीक कराने का आश्वासन दिया है। सभी व्यवस्थाएं सरकार के भरोसे नहीं छोड़ी जा सकती हैं। अधिकार प्राप्त जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन को भी अपनी जिम्मेदारी समझकर व्यवस्थाओं का निरीक्षण कर सुधारना चाहिए।
इस बीच प्रदेश कांग्रेस के नेता के के मिश्रा ने ट्वीट कर कहा कि कद्दावर मंत्री भार्गव ने कोरोनाकाल में स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल मानवता पर अहसान किया है। उन्होंने लिखा है कि नेतृत्व अकर्मण्य होगा, तो अफसरशाही हावी होगी ही। राज्य के अस्पतालों में बच्चे बदलना, शव कंकाल होना, चूहों द्वारा उसे कुतरना आम बात हो गयी है।